इंटरार्क मज़दूर नेता की गिरफ़्तारी क्यों? मज़दूरों की धर-पकड़ के लिए कैसे सक्रिय रहता है प्रशासन?

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जब भी मज़दूर हक के लिए संघर्षरत रहते हैं; मजदूरों पर फर्जी मुकदमे ठोकना, गिरफ़्तारी आम बात हो गई है। इंटरार्क यूनियन के महामंत्री सौरभ कुमार की गिरफ़्तारी इसकी बानगी है।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। यह एक नंगी सच्चाई है कि मालिकों/प्रबंधकों की मनमर्जी का पूरी तरीके से सरकार, शासन-प्रशासन और पुलिस खुलेआम साथ देती है और उनके आपराधिक कार्यवाहियों को भी दबा कर रखती है। इसके विपरीत इन जालिम प्रबंधकों/मालिकों के इशारे पर पुलिस-प्रशासन मज़दूर का दमन करने के लिए एकदम सक्रिय रहती है।

जब भी आंदोलन होता है या मज़दूर हक की आवाज उठा रहे होते हैं फर्जी मुकदमे ठोकना आम बात है। यहां तक की जब कुछ नहीं मिलता है तो प्रशासन सीधे 107/116/116(3)/151 जैसी धाराओं को लगाकर मज़दूरों को पाबंद करने की भरपूर कोशिश करती है। इस मामले में उधम सिंह नगर के विभिन्न कारखानों के हालात को देखा जा सकता है।

चाहे इंटरार्क हो, भगवती-माइक्रोमैक्स, वोल्टास, नेस्ले या लुकास टीवीएस हो अथवा उनके हक की आवाज उठाने वाला श्रमिक संयुक्त मोर्चा या मजदूर व सामाजिक संगठन के साथी हों, इन धाराओं में फर्जी आरोप लगाकर प्रशासन पाबंद करता रहता है और जब तब मजदूरों को गिरफ्तार करता है।

ताजा मामला इंटरार्क बिल्डिंग प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड सिडकुल पंतनगर का है, जहां प्रबंधन ने बड़े ही सजिशन तरीके से यूनियन के महामंत्री सौरभ कुमार को कंपनी गेट से गिरफ्तार कर लिया।

उल्लेखनीय है कि इंटरार्क के मजदूर सन 2018 से ही लगातार संघर्षरत हैं और कई जुझारू आंदोलन के दौर से गुजर चुके हैं। वर्तमान गिरफ्तारी सन 2018 के आंदोलन के दौरान दर्ज फर्जी मुकदमे के तहत हुई है। अभी इस मामले में 36/37 और मजदूर के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है।

इंटरार्क यूनियन नेता की गिरफ़्तारी क्यों?

इंटरार्क प्रबंधन के इशारे पर पंतनगर थाना पुलिस ने इंटरार्क मजदूर संगठन उधमसिंह नगर के महामंत्री सौरभ कुमार को 2018 में आंदोलन के दौरान दर्ज झूठे मुकदमे में सुनियोजित साजिश के तहत 23 दिसम्बर को तब गिरफ्तार किया, जब वे घरेलू जांच के बाद कंपनी से बाहर निकल रहे थे।

साजिश भी ऐसी थी कि गिरफ़्तारी शनिवार को हुई। अगले दिन रविवार फिर जाड़ों की छुट्टी थी। लेकिन मजदूरों की तत्परता और वकील की सक्रियता से इंटरार्क बिल्डिंग प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड सिडकुल पंतनगर के प्रबंधन, जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के मंसूबों पर पानी फिर गया।

रविवार 24 दिसम्बर को सौरभ कुमार को पुलिस द्वारा शाम के समय करीब 4 बजे जिला कोर्ट रुद्रपुर में पेश किया गया। जहां वरिष्ठ अधिवक्ता जुगल बल्लभ गोस्वामी एवं किशन यादव द्वारा की गई जोरदार पैरवी से न्यायालय सहमत हुआ और उनकी जमानत पर रिहाई हो गई।

तो ऐसी थी साजिश

34 मजदूरों सहित यूनियन महामंत्री सौरभ कुमार का प्रबंधन ने 7 माह से भी अधिक समय से गेट बंद कर रखा है। शनिवार, 23 दिसम्बर को सौरभ कुमार मज़दूरों की घरेलू जांच के सिलसिले में शाम के समय कंपनी गए थे। इसी दौरान पुलिस कंपनी गेट पहुंच गई और उनको गिरफ्तार कर लिया। सौरभ के कंपनी में मौजूदगी की जानकारी पुलिस को होने से स्पष्ट है कि पुलिस प्रबंधन के जीवंत संपर्क थी।

यही नहीं पुलिस द्वारा शनिवार की शाम को सौरभ कुमार को कंपनी गेट से इसलिए गिरफ्तार किया गया था क्योंकि रविवार से 2 जनवरी तक कोर्ट की छुट्टियां पड़ चुकी थीं। उनकी मंशा स्पष्ट थी; अवकाश के कारण सामान्य धाराओं में गिरफ्तारी के बावजूद उनको कम से कम 3 जनवरी तक जेल में क़ैद करके मजदूरों के भीतर डर भय का वातावरण बनाकर आंदोलन को कमजोर किया जाए।

निंदनीय: आदेशों-समझौतों की अनदेखी, मज़दूर नेता की गिरफ़्तारी

इन्टरार्क मजदूर संगठन, ऊधम सिंह नगर व इन्टरार्क मजदूर संगठन किच्छा द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि यूनियन महामंत्री सौरभ कुमार को गिरफ्तार करने वाला प्रशासन और पुलिस वही है जो राष्ट्रीय लोक अदालत के 13 आदेशों, लेबर कोर्ट के आदेशों और उच्च न्यायालय के आदेशों को विगत 10 माह के बाद भी लागू नहीं करा रहा हैं। जबकि कानूनन स्पष्ट है कि लोक अदालतों के आदेश दोनों पक्षों पर बाध्यकारी हैं, जिसे किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।

यही नहीं डीएम द्वारा एडीएम की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय कमेटी की मध्यस्थता में संपन्न अपने ही त्रिपक्षीय समझौते को प्रशासन लागू नहीं करा रहा है। मजदूरों, महिलाओं द्वारा लगातार आंदोलनों के पश्चात भी जिला प्रशासन ने कंपनी प्रबंधन के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही नहीं की। वहीं यूनियन महामंत्री को कायराना तरीके से गिरफ्तार कर लिया गया।

लड़ेंगे, जीतेंगे! संघर्ष रहेगा जारी

यूनियन नेताओं ने कहा कि हम मजदूर इंटरार्क प्रबंधन, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के गठजोड़ को साफ साफ बता देना चाहते हैं कि तुम हमारे शरीर को तो कैद कर सकते हो, हमारे विचारों और संघर्ष के जज्बे को नहीं।

यूनियन ने अधिवक्ताओं, सामाजिक संगठनों, सिड़कुल की यूनियनों और मज़दूर साथियों को सक्रिय पहल के लिए धन्यवाद देते हुए ऐलान किया कि हम और अधिक ताकत के साथ व और अधिक जोरदार तरीके से अपने आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे और जीत की मंजिल पर पहुंचकर ही रुकेंगे।

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