लंबा जुझारू संघर्ष: भगवती-माइक्रोमैक्स मज़दूरों की ऐतिहासिक जीत; 58 माह बाद फिर खुला प्लांट

तमाम प्रयासों के बीच निहित स्वार्थ में समझौता विलंबित होता रहा। समझौते को सर्वोच्च अदालत में भी लंबित बनाने के बावजूद प्लांट पुनः खुला और कई मज़दूरों ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। गैर कानूनी छँटनी के खिलाफ माइक्रोमैक्स उत्पाद बनाने वाली भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड, पंतनगर के मज़दूरों को करीब 58 माह के लंबे जुझारू संघर्ष के बाद ऐतिहासिक जीत हासिल हुई है। छँटनी शुदा मज़दूरों की कार्यबहाली के लिए प्रबंधन ने 5 अक्टूबर को नोटिस लगा दी है। शुक्रवार, 6 अक्टूबर को कई मज़दूरों ने पूर्व की भांति कार्यभार ग्रहण कर लिया।

दरअसल प्रबंधन और श्रमिक पक्ष के बीच 13 जुलाई को समझौता संपन्न हुआ और समझौते का प्रपत्र देश की सर्वोच्च अदालत में दाखिल हुआ था, जिसकी 3 अक्टूबर को सुनवाई हुई।

इस बीच कतिपय ताकतों द्वारा कुछ श्रमिकों की ओर से सर्वोच्च अदालत में समझौते के ख़िलाफ़ आपत्ति लगाने से विवाद लंबित हो गया। हालांकि संघर्ष में लगातार सक्रिय मज़दूर साथी इस समझौते के पक्ष में हैं, जो कि बहुसंख्यक हैं।

श्रमिकों की यूनियन न होने के चलते, समझौता फ़िलहाल उन पांच श्रमिक प्रतिनिधियों पर ही लागू हुआ, जिनके हस्ताक्षर समझौते पर हैं। ऐसे में प्रतिनिधियों की प्रबंधन से वार्ता के बाद फैक्ट्री पुनः खोलने का नोटिस लगा। समझौते से सहमत होने वाले मज़दूरों पर भी यह समझौता लागू हो जाएगा।

इस समझौते के तहत छँटनी के शिकार 303 श्रमिकों में से 152 श्रमिकों और बर्खास्त श्रमिक नेता सूरज सिंह बिष्ट की कार्यबहाली होगी। यह भी तय हुआ है कि आंदोलन के दौरान अपना हिसाब ले चुके 151 श्रमिकों की कार्यबहाली के लिए अलग से प्रक्रिया चलेगी और कार्यबहाली का मौका मिलेगा।

दोनों पक्षों के बीच समझौते के तहत बकाया वेतन भुगतान संबंधी भी सहमति बनी है। जो मज़दूर कार्य की निरन्तरता में रहेंगे, उन्हें ज्वाइनिंग बोनस भी मिलेगा। जो कार्यबहाली नहीं चाहते हैं, उन्हें उसी अनुरूप पूर्ण चुकता भुगतान मिलेगा।

जबकि ले-ऑफ/कथित ट्रेनिंग के शिकार मज़दूरों के लिए प्लांट विगत एक माह से चालू हो चुका है।

छँटनी-ले ऑफ के खिलाफ 58 महीने का जुझारू संघर्ष

27 दिसम्बर 2018 का दिन भगवती-माइक्रोमैक्स मज़दूरों के लिए काला दिन था, जब 351 महिला व पुरुष श्रमिक अचानक रातों-रात सडक पर आ गये थे। कंपनी ने 303 श्रमिकों की गैरकानूनी छँटनी कर दी थी। साथ ही शेष बचे श्रमिकों में से 47 मज़दूरों को गैरकानूनी ले-ऑफ के तहत बाहर बैठा दिया था व यूनियन अध्यक्ष सूरज सिंह बिष्ट को निलंबित और बाद में बर्खास्त कर दिया था।

इस दरमियान मज़दूरों की जमीनी और कानूनी लड़ाई लगातार जारी रही। जिसमें स्थानीय मज़दूरों का भरपूर साथ मिला। विकट आर्थिक व मानसिक कठिनाई के साथ बेहद कठिन संकटों के दौर से गुजर कर भी मज़दूर संघर्ष में डटे रहे।

पुलिस प्रशासन के फर्जी मुकदमों को झेलते, आंधी-तूफान, बारिश, भयावह ठंड, गर्मी, कीड़े-मकौड़े-सांप से जूझते और कोविड महामारी के विकट संकटपूर्ण दौर में भी कंपनी गेट पर धरना चलता रहा, श्रम भवन में धरना, कई जुझारू प्रदर्शन, जुलूस, मज़दूर पंचायतें और विविध कार्यक्रम होते रहे।

क़ानूनी संघर्ष में मज़दूरों को मिली जीतें

कानूनी लड़ाई में औद्योगिक न्यायाधिकरण, हल्द्वानी से श्रमिकों के पक्ष में फैसला आया था। अदालत ने प्रबंधन द्वारा प्रस्तुत नज़ीरों व तर्कों को अस्वीकार करते हुए दिनांक 02/03/2020 के अपने अभीनिर्णय में छँटनी को अविधिक घोषित कर दिया था।

इसके खिलाफ प्रबंधन उच्च न्यायालय गया।

उच्च न्यायालय, नैनीताल की एकल पीठ ने तीन अलग-अलग याचिकाओं का निस्तारण करते हुए यह स्पष्ट किया कि औद्योगिक न्यायाधिकरण का फैसला सही है, 303 श्रमिकों की हुई छँटनी अवैध है और समस्त श्रमिक कार्यबहाली के साथ छँटनी के दिन से सभी प्रकार के लाभ को पाने के हकदार हैं।

इसके बावजूद श्रम अधिकारी व शासन-प्रशासन अदालत के फैसलों को लागू करवाने की जगह मामले को उलझाते रहे। वार्ताओं में भी श्रमिकों पर ही दबाव बनाते रहे। काफी संघर्षों के बाद एएलसी ने अगस्त, 2022 को बकाया वेतन के लिए ₹15,49,59910 की आरसी काटी थी।

उच्च न्यायालय के फैसले व आरसी के खिलाफ भगवती प्रबंधन ने उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दायर की। जहाँ प्रबंधन को मज़दूरों के वेतन के मद में आरसी राशि के समकक्ष 5 करोड़ रुपए जमा करना पड़ा। मामला सर्वोच्च अदालत में लंबित रहा और अंतिम बहस की स्थिति में पहुँच गया तो प्रबंधन ने 2 मई को समझौते के लिए पत्र लगाकर अदालत से समय माँगा।

समाधान के प्रयासों के बीच प्लांट खुलकर हुआ था बंद

पिछले करीब 2 साल से प्रबंधन के साथ मज़दूर प्रतिनिधियों की वार्ताएं भी चलती रही, समझौते और कार्यबहाली की स्थितियां बनती रही। वार्ताओं के कई दौर चले, ड्राफ्ट भी तैयार हुए, लेकिन बार-बार कतिपय कारणों से गतिरोध की स्थिति बरकरार रही।

ज्ञात हो कि 1 सितंबर 2022 को फैक्ट्री ले-ऑफ मज़दूरों के लिए खुल गई और 7 सितंबर को प्लांट में छँटनीग्रस्त मज़दूरों के साथ कंपनी मालिक की वार्ता भी हुई। समझौते पर सहमति भी बन गई, लेकिन अज्ञात कारणों से मामला लटका रहा। यही स्थिति अबतक बनी हुई है और निहित स्वार्थ में समझौते को सर्वोच्च अदालत में भी लंबित बनाने का खेल जारी है।

उधर कथित ट्रेनिंग के तहत राज्य से बाहर भिवाड़ी भेजने के बहाने 27 अक्टूबर 2022 से ले-ऑफ श्रमिकों के लिए भी प्लांट बंद हो गया था। जिनका विवाद श्रम न्यायालय, काशीपुर में लंबित है। लेकिन 25 अगस्त, 2023 से इन श्रमिकों के लिए प्लांट पुनः खुला और उत्पादन कार्य शुरू हो गया।

अंततः बेहतर समझौता सम्पन्न

लगातार गतिरोध के बीच कई दौर की वार्ताओं के बाद दोनों पक्षों के मध्य अंततः छँटनीग्रस्त मज़दूरों के लिए 13 जुलाई, 2023 को ऐतिहासिक समझौता सम्पन्न हुआ।

समझौते पर प्रबंधन की ओर से कारखाना प्रबंधक एन के त्यागी तथा श्रमिक पक्ष से नंदन सिंह, दीपक सनवाल, सूरज सिंह बिष्ट, राजकुमार व प्रवीन ने की है। जबकि श्रमिक प्रतिनिधि ठाकुर सिंह व लोकेश पाठक का भी सक्रिय योगदान रहा।

इसी समझौते पर सुप्रीम कोर्ट को आदेश देने के लिए 3 अक्टूबर की तिथि निर्धारित थी, लेकिन अंतिम समय में स्वार्थवश दायर आपत्ति से थोड़ी जटिलता आ गई।

मौजूदा विवाद और सुप्रीम कोर्ट का आदेश

27 श्रमिकों की आपत्ति के बाद न्यायमूर्ति संजीव खन्ना व न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने 3 अक्टूबर के अपने फैसले में कहा कि समझौता ज्ञापन दिनांक 13/07/2023 को रिकॉर्ड पर लेने के लिए वर्तमान आवेदन सीमित सीमा तक स्वीकार किया जाता है। उपरोक्त समझौते के हस्ताक्षरकर्ता व प्रतिवादी श्रमिक नंदन सिंह बगड्वाल, दीपक कुमार सनवाल, सूरज सिंह बिष्ट, राजकुमार और परवीन कुमार शर्तों से बंधे होंगे।

चूंकि 27 श्रमिकों द्वारा दायर एक आवेदन में कहा गया है कि वे समझौते में पक्षकार नहीं हैं, अतः समझौता किसी पर बाध्यकारी नहीं होगा। इस मामले की अगली सुनवाई फरवरी, 2024 में होगी।

श्रमिक प्रतिनिधियों ने मज़दूरों को जारी सूचना में कहा कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले की गलत रिपोर्टिंग से श्रमिक साथियो को गुमराह किया जा रहा है। सच यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने श्रमिकों और प्रबंधन के बीच समझौते को वैध माना है और उसे अपने आदेश में लागू भी कर दिया है।

कुछ श्रमिकों की ओर से समझौते के ख़िलाफ़ आपत्ति उठाने और श्रमिकों की यूनियन न होने के चलते, समझौता फ़िलहाल उन पांच श्रमिकों पर ही लागू है जिनके हस्ताक्षर समझौते पर हैं। शेष सभी श्रमिकों को भी समझौते पर अपने हस्ताक्षर अलग से करने होंगे ताकि समझौता उन पर लागू हो। जो श्रमिक इस पर हस्ताक्षर न करना चाहें, उन पर लागू नहीं होगा।

प्रतिनिधियों ने कहा कि 27 श्रमिकों की आपत्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फ़रवरी में मामले की सिर्फ़ लिस्टिंग के लिए आदेश दिया है। मामले के अंतिम निपटारे के लिए सुनवाई कब होगी, कुछ कहा नहीं जा सकता। समझौता किसी पर बाध्य नहीं है। जो समझौता न चाहें, मुकदमा लड़ना चाहें, लड़ सकते हैं। जोखिम के जिम्मेदार वे खुद होंगे।

प्रबंधन द्वारा कार्यबहाली के लिए जारी नोटिस

5 अक्टूबर को भगवती प्रबंधन द्वारा जारी सूचना में लिखा है कि सभी संबंधित व्यक्तियों को सूचित किया जाता है कि प्रबंधन ने हाल में प्राप्त निर्माण आदेशों की पूर्ति हेतु कारखाने को पूर्ण क्षमता के साथ पुनर्संचलित करने के लिए सभी उत्पादन गतिविधियों की शुरुआत करने का निर्णय लिया है।

प्रारंभिक चरण में 27/12/2018 को छंटनी किए गए ऐसे 152 कामगारों को प्राथमिकता और नियुक्ति का अवसर दिया जाएगा जिन्होंने अपनी छंटनी का पूर्ण और अंतिम भुगतान प्राप्त नहीं किया है। ऐसे श्रमिकों को नियोजन का प्रस्ताव भेजा जा रहा है जिनको इस सूचना प्राप्ति के लिए 10 दिनों के अंदर एचआर विभाग को सूचित करके सेवा में योगदान करने की सलाह दी जाती है।

प्रबंधन ने यह भी लिखा है की सेवा में योगदान करने वाले व्यक्तियों ने छँटनी के दिन जो वेतन मजदूरी और लाभ प्राप्त किए थे और राज्य द्वारा सूचित की गई वर्तमान न्यूनतम मजदूरी से कम भुगतान नहीं किया जाएगा। यदि कोई श्रमिक सेवा में योगदान नहीं करना चाहता है तो उसे कारण सहित सूचना प्रस्तुत करनी चाहिए जिससे प्रबंधन किसी अन्य व्यक्ति को रोजगार का मौका दे सके।

यह प्रस्ताव उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित एसएलपी के अंतिम परिणाम के पूर्वाग्रह के बिना है।

समझौते की शर्तें-

कई दौर की वार्ताओं के बाद दोनों पक्षों के मध्य अंततः 13 जुलाई, 2023 को हुए समझौते की मुख्य बातें निम्नवत हैं-

  • समझौता 152 श्रमिकों पर लागू होगा। आंदोलन के दौरान अपना हिसाब ले चुके शेष 151 श्रमिकों की कार्यबहाली हेतु अलग से प्रक्रिया चलाने पर सहमति बनी है।
  • पंतनगर प्लांट पुनः शुरू करने के साथ श्रमिकों की पूर्ववर्ती स्थिति में कार्यबहाली होगी;
  • छँटनी के बाद से बकाया वेतन के रूप में मूल वेतन का 50 फीसदी सभी श्रमिकों को मिलेगा;
  • सभी श्रमिकों की पीएफ व ईएसआई की निरन्तरता के साथ बकाया राशि जमा होगी;
  • 152 श्रमिकों की कार्यबहाली के लिए नोटिस लगाकर 10 दिन का समय दिया जाएगा;
  • जो श्रमिक काम पर नहीं लौटेंगे, उनको इन्हीं शर्तों पर पूर्ण भुगतान मिलेगा;
  • जो श्रमिक कार्य पर लौटेंगे, उनको 3 माह कार्य के बाद ज्यवाइनिंग बोनस मिलेगा;
  • बर्खास्त श्रमिक सूरज सिंह बिष्ट की भी इन्हीं शर्तों पर कार्यबहाली होगी।

यह जीत मज़दूरों के संघर्ष और मज़दूर वर्ग की एकता की है

प्रतिनिधियों ने इस ऐतिहासिक जीत का श्रेय भगवती मज़दूरों के एकताबद्ध लंबे जुझारू संघर्ष, श्रमिक संयुक्त मोर्चा, स्थानीय व देश की अन्य यूनियनों एवं मज़दूरों के सतत सहयोग व समर्थन तथा मज़दूर सहयोग केंद्र के विशिष्ट सहयोग व कुशल निर्देशन को दिया है।

इसी के साथ संगठन ने इस कामयाबी के लिए सर्वोच्च अदालत में अधिवक्ता श्री राजेश त्यागी के शानदार व कुशल पैरवी व सक्रिय पहलकदमी को बताते हुए आभार जताया और धन्यवाद दिया। साथ ही ट्रिब्यूनल व हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता श्री एमसी पंत की क़ानूनी पैरवी व अधिवक्ता श्री डी डी कांडपाल, श्री वीरेंद्र गोस्वामी व सुश्री रेनू तिवारी को भी धन्यवाद दिया है।

प्रतिनिधियों ने इस जीत को मज़दूर वर्ग की जीत बताते हुए मेहनतकशों के प्रति अपनी संग्रामी एकजुटता प्रदर्शित की है।

यह ऐतिहासिक जीत है, वर्गीय एकता से इसे सजोना होगा!

इस जीत पर मज़दूर सहयोग केंद्र ने भगवती-माइक्रोमैक्स के समस्त संघर्षरत जुझारू मज़दूरों को बधाई दी है, जिन्होंने धैर्य के साथ, विविध कठिनाइयों को झेलते हुए जमीनी व क़ानूनी, दोनों रूप से बेहतरीन संघर्ष चलाया। संघर्ष में स्थानीय यूनियनों व मज़दूरों के साथ गुड़गांव-मनेसर-नीमराना सहित देश के तमाम यूनियनों व मज़दूरों का सहयोग मिला। क़ानूनी रूप से अधिवक्ताओं का उपयोगी साथ मिला।

एमएसके ने कहा कि आज के कठिन दौर में विभिन्न अवरोधों के बावजूद करीब पाँच साल में छँटनी समाप्त करवाना, बंद प्लांट पुनः खुलवाना एक ऐतिहासिक जीत है। उम्मीद है कि मज़दूर साथी निहित स्वार्थी तत्वों की कुचालों को भी ध्वस्त करके अपनी पूर्ण एकता को मजबूत करेंगे।

उम्मीद है कि भगवती-माइक्रोमैक्स के मज़दूर संघर्ष का सबक व कामयाबी को याद रखेंगे और अपनी वर्गीय एकजुटता को कायम रखते हुए मज़दूर भाईचारा और मजबूत करेंगे।

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