कविताएँ इस सप्ताह : वाह रे बिल्ला-रंगा !
शववाहिनी गंगा / पारुल खख्खर (गुजराती से अनुवाद : इलियास शेख) एक-साथ सब मुर्दे बोले...
शववाहिनी गंगा / पारुल खख्खर (गुजराती से अनुवाद : इलियास शेख) एक-साथ सब मुर्दे बोले...
लावारिस लाशें / प्रभात नदियों में, तालाबों में जली झोपड़ियों के राखों में बड़े बड़े...