• Home
  • मज़दूरनामा
    • संघर्ष
    • श्रमजीवी महिला
    • असंगठित मजदूर
    • मजदूर हादसा
  • श्रम कानून
  • राजनीति / समाज
  • इतिहास
    • विरासत
    • हमारे नायक – नायिकाएं
  • विश्व पटल
  • गैलरी
    • कार्टून/चित्रकथा
    • चित्र कथा
    • वीडियो
    • तस्वीरों में
  • साहित्य
    • कविता
    • कहानी
    • नाटक
    • समीक्षा
    • साहित्य/सिनेमा
  • विशेष
  • दस्तावेज़
  • हम भी पत्रकार
    • हमारे बारे में
    • खबर भेजने हेतु
No Result
View All Result
No Result
View All Result
No Result
View All Result

मज़दूर अधिकारों पर राज्य सरकारों के हमले तेज

by
June 16, 2020
in Home Slider, श्रम कानून, संघर्ष
0
मज़दूर अधिकारों पर राज्य सरकारों के हमले तेज

घातक : मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, पंजाब, हिमांचल, राजस्थान, महाराष्ट्र में मालिकों के हित में बड़े फैसले

कोरोना/लॉकडाउन के बीच भारत में श्रम सुधार के बहाने मज़दूर अधिकारों पर हमले तेज हो गए हैं। जहाँ केंद्र सरकार ने काम के घंटे बढ़ाने की नीति तय कर दी है, अध्यादेश द्वारा पिछले दरवाजे से मज़दूर विरोधी 3 श्रम संहिताएँ लाने की तैयारी में है, वहीँ राज्य सरकारें इसमें तेज गति से दौड़ लगा दी हैं। काम के घंटे 12 करने से लेकर ‘रखने-निकालने’ की खुली छूट वाले क़ानून पारित हो रहे हैं।

मध्यप्रदेश की शिवराज और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने श्रम कानून में सुधार के नाम पर मज़दूरों बड़ा हमला बोला है। वहीँ, गुजरात, पंजाब, हिमांचल, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तराखंड आदि राज्य सरकारों ने मालिकों के हित में काम के घंटे बढाकर 12 घंटे करने के फरमान जारी कर दिए हैं। इसी तर्ज पर और राज्य सरकारें भी क़दम उठा रही हैं।

सभी सरकारों ने कोविड-19 संकट के हवाले से 33 फीसदी श्रमबल काम करने को बेहयाई से स्वीकारा है।

महाराष्ट्र: फैक्ट्रियों में 12 घंटे काम की मंजूरी

महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को मज़दूरों की कमी का बहाना लेकर राज्य भर के कारखानों में 30 जून तक 12 घंटे काम करने की अनुमति दे दी। हालांकि, श्रमिक संघों ने इस कदम का विरोध किया है।

श्रम मंत्री दिलीप वाल्से पाटिल ने कहा, ‘मजदूरों की कमी का हवाला देकर हमें दो उद्योग निकायों से यह अनुरोध मिला था कि 12 घंटे की शिफ्टों में काम करने की अनुमति दी जाए, क्योंकि कई लोग अपने गांवों में वापस चले गए हैं। सरकार ने फैक्टरीज एक्ट में दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए जून तक 12 घंटे की शिफ्ट की अनुमति दी है।’

उत्तराखंड में हुआ काम के घंटे 12

उत्तराखंड में 5 मई को जारी अधिसूचना के तहत 12 घंटे की पाली घोषित हो गई। यह अधिसूचना जारी होने के दिन से ही यह लागू हो गया।

राज्य सरकार की ओर से सचिव हरबंस सिंह चुघ द्वारा जारी इस संशोधित अधिसूचना में प्रतिदिन 12-12 घंटे की दो पालियों में कार्य करने की स्वीकृति दी गई है, जिसमे 4 घंटे ओवरटाइम के होंगे। इसके तहत अब 6 घंटे काम के बाद 30 मिनट के विश्राम देने का प्रावधान है, जबकि अभी तक 4 घंटे पर 30 मिनट का विश्राम रहा है।

पंजाब सरकार ने भी किया 12 घंटे का कार्यदिवस

उद्योगपतियों की माँग पर पंजाब सरकार ने काम के घंटे बढाकर 12 कर दिया है। अभी तक पंजाब में कर्मचारियों को अधिकतम 9 घंटे काम की अनुमति थी।

पंजाब के श्रम विभाग में प्रिंसिपल सेक्रटरी विजय कुमार जांजुआ ने कहा, ‘कामकाज के घंटे बढ़ाने की उद्योगों की माँग को सरकार ने स्वीकार कर लिया है और इस बारे में आने वाले दिनों में अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।’ उन्होंने कहा, ‘कामकाज के घंटे को आठ से बढ़ाकर 12 घंटे किया जा रहा है और अतिरिक्त घंटों के लिए मेहनताना दोगुना होगा।’

राजस्थान में भी काम के घंटे 12

राजस्थान सरकार ने मालिकों की माँग के अनुरूप काम के घंटे बढाकर 12 कर दिए हैं। सरकार ने तर्क दिया कि काम के अतिरिक्त घंटों के साथ काम करने से फैक्ट्रियों को उच्च क्षमता के साथ काम करने में मदद मिलेगी।

इसके लिए कारखाना अधिनियम बदलाव करके फ़िलहाल 3 महीने के लिए 8 घंटे से बढाकर कार्यदिवस 12 घंटे का किया गया है।

ज्ञात हो कि राजस्थान पहला राज्य है, जहाँ भाजपा की बसुन्धरा राजे सरकार ने एक झटके में पुराने श्रम क़ानूनों को बदलकर मालिकों के हित में कर दिया था।

हिमांचल में भी बढे काम के घंटे

हिमाचल प्रदेश में भी काम के घंटे बढ़ाने का फरमान जारी हो चुका है। यहाँ 3 लाख से अधिक कामगार इंडस्ट्रियल हब और फैक्ट्रियों में काम करते हैं। प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘राज्य ने ओवरटाइम से अतिरिक्त आमदनी को भी बढ़ा दिया है।’

गुजरात : बगैर ओवरटाइम भुगतान 12 घंटे काम की अनुमति

गुजरात में काम के घंटे 8 से बढाकर 12 करने का अध्यादेश जारी हो गया। यही नहीं, किसी को अतिरिक्त घंटे काम का ओवरटाइम दोगुना भुगतान ना देकर सामान्य वेतन ही मिलेगा। 4 घंटे काम के बाद आराम का भी प्रावधान समाप्त करके 6 घंटे में आधे घंटे अवकाश का फरमान है।

गुजरात के श्रम विभाग ने 17 अप्रैल को जारी आदेश में कहा है, ‘वेतन मौजूदा वेतन के अनुपात में होना चाहिए (उदाहरण के लिए अगर 8 घंटे का वेतन 80 रुपये है तो 12 घंटे का वेतन 120 रुपये होगा)।’ यानी डबल ओवरटाइम का मसला समाप्त।

यह प्राïवधान 20 अप्रैल से शुरू होकर 3 महीने के लिए लागू होंगे। गुजरात सरकार ने कहा है कि शिफ्ट इस तरह तय होनी चाहिए कि हर 6 घंटे में कर्मचारियों को आधे घंटे आराम दिया जाए।

  • इसे भी पढ़ें– यूपी : मज़दूर अधिकारों पर बड़ा हमला, 3 साल तक श्रम क़ानून स्थगित
  • इसे भी पढ़ें– लॉकडाउन : मज़दूरों को मिले राहत, मासा ने प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन
  • इसे भी पढ़ें– कोरोना/लॉकडाउन के बीच मज़दूर विरोधी श्रम संहिताएँ होंगी पारित
  • इसे भी पढ़ें– कोरोना संकट के बहाने काम के घंटे 12 करने की तैयारी

मध्यप्रदेश : 12 घंटे काम करने की दी अनुमति, रखने-निकालने की खुली छूट

मध्य प्रदेश सरकार ने फैक्ट्री एक्ट व अन्य श्रम कानूनों में बदलाव कर मालिकों को मनमर्जी रखने व निकालने की खुली छूट देने के साथ एक दिन में 12 घंटे काम करने का प्रावधान कर दिया है। सरकार का तर्क है कि कोविड-19 के कारण, कारखानों में कामगार अब 8 घंटे के बजाय 12 घंटे तक काम करेंगे। प्रदेश के मुख्यमंत्री व स्वंभू सरकार शिवराज सिंह चौहान ने इन फैसलों की जानकारी खुद दी।

मध्य प्रदेश सरकार के घातक फैसले-

  • कारखानों और कार्यालयों में काम कराने की अवधि 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे की गई है। सप्ताह में 72 घंटे तक कार्य कराए जाने की अनुमति होगी। लेकिन इसके लिए श्रमिकों को ओवर टाइम देना होगा।
  • मालिकों को मनमर्जी की छूट बढ़ाते हुए कारखानों में 61 रजिस्टर और 13 रिटर्न भरने की जगह पर केवल एक रजिस्टर और रिटर्न भरना होगा। रिटर्न फाइल करने के लिए सेल्फ सर्टिफिकेशन काफी होगा।
  • कंपनियों, दुकानों, ठेकेदारों और बीड़ी निर्माताओं के लिए पंजीकरण या लाइसेंस की प्रक्रिया को केवल 1 दिन में पूरा करना होगा। ऐसा नहीं करने पर अधिकारी पर जुर्माना लगेगा और यह ट्रेडर को मुआवजे के तौर पर दे दिया जाएगा। अभी यह प्रक्रिया 30 दिन में पूरी होती है।
  • स्टार्टअप को अपने उद्योगों का केवल एक बार ही रजिस्ट्रेशन करना होगा।
  • कारखाना लाइसेंस नवीनीकरण अब हर साल के बजाय हर 10 साल में होगा।
  • कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट के तहत कैलेंडर वर्ष की जगह अब लाइसेंस पूरी ठेका अवधि के लिए मिलेगा।
  • नए कारखानों के रजिस्ट्रेशन अब पूरी तरह ऑनलाइन होंगे।
  • प्रदेश में दुकानें सुबह 6 से रात 12 बजे तक खुली रह सकेंगी।
  • 100 से कम श्रम शक्ति वाले उद्योगों को औद्योगिक नियोजन अधिनियम के प्रावधान से मुक्ति। मालिक जरूरत के बहाने मनमर्जी श्रमिक रख सकेंगे।
  • ट्रेड यूनियन व कारखाना प्रबंधन के बीच विवाद का निपटारा सुविधानुसार अपने स्तर पर ही किया जा सकेगा। इसके लिए लेबर कोर्ट जाने की जरूरत ख़त्म।
  • 50 श्रम शक्ति से कम वाली कम्पनी में कोई निरिक्षण नहीं होगा।
  • छोटी व मंझोली फर्म्स में निरिक्षण केवल लेबर कमिश्नर की मंजूरी या शिकायत दर्ज किए जाने के मामले में ही होगा।

UP में कारखानों को श्रम अधिनियमों से 3 साल की छूट

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 6 मई को मंत्रिमंडल की बैठक में यूपी में लागू श्रम अधिनियमों से अस्थाई छूट प्रदान किए जाने संबंधी अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दे दिया है।

को​रोनावायरस से ठप्प औद्योगिक क्रियाकलापों व आर्थिक गतिविधियों को पुनः पटरी पर लाने के बहाने यूपी सरकार ने आगामी तीन वर्ष की अवधि (1000 दिन) के लिए राज्य में मौजूद सभी कारखानों और विनिर्माण इकाईयों को वर्तमान में लागू श्रम अधिनियमों में अस्थायी छूट प्रदान करने का फैसला किया है। प्रदेश में इस समय 38 श्रम अधिनियम लागू हैं। यानी सभी श्रम कानूनी अधिकारों को स्थगित कर दिया है।

ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 पहले से ही मालिकों के काफी अनुरूप हैं। केन्द्रीय अधिनियम में बदलाव व मज़दूर विरोधी सहें संहिताएँ आने से पूर्व ही इस अधिनियम में 300 से कम श्रमिकों वाले कारखानों में बंदी या छंटनी के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं रही है।

ले ऑफ़ (कामबंदी) के मामले में भी केन्द्रीय अधिनियम के विपरीत यूपी आईडी एक्ट में गोलमाल भाषा है। मनमाने कामबंदी करने और उसे 45 दिन से भी अधिक, बगैर किसी समय सीमा के बढ़ाने के प्रावधान हैं। जो मालिकों के हित में है। यही नहीं, यूपी व उत्तराखंड में लागू क़ानून के तहत यूनियन पंजीकरण के बाद 2 साल तक यूनियन को माँग उठाने का अधिकार भी नहीं है।

ऐसे में इस घातक क़दम से मज़दूरों के रहे सहे कानूनी अधिकार भी छिन गए।

  • इसे भी पढ़ें– मज़दूरों की न्यायपूर्ण आवाज़ सुनो!
  • इसे भी पढ़ें– कोविड-19 : बेरोजगारी, भुखमरी विकराल; नस्ली भेद चरम पर
  • इसे भी पढ़ें– खुलती फैक्ट्रियां : मज़दूरों की क़यामत का नया दौर
  • इसे भी पढ़ें– लॉकडाउन को सशर्त बढ़ाने लेकिन उद्योग खोलने की तैयारी

विधायी मार्ग छोड़कर सीधे जारी होते आदेश

कोरोना संकट के बहाने मालिकों के हित में व्याकुल केंद्र की मोदी सरकार से लेकर राज्य सरकारों ने इन बदलावों के लिए संसदीय/विधायी मार्ग अपनाए बगैर विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया है, जो सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति के लिए हैं। भाजपा से लेकर शिव सेना, एनसीपी, कांग्रेस तक, सभी सरकारों का यही रुख है।

मोदी सरकार 44 श्रम क़ानूनों को ख़त्म कर मज़दूर विरोधी चार संहिताओं में से बची तीन श्रम संहिताएँ भी विधेयक से लाने की तैयारी कर चुकी है।

सरकारों के ये क़दम संविधान विरोधी और निरंकुशतंत्र की स्पष्ट अभिव्यक्ति है। ये क़दम कम मजदूरी पर ज्यादा काम लेने, मालिकों को मनमर्जी काम पर रखने व निकालने की खुली छूट देने के साथ मज़दूरों को ज्यादा ख़तरनाक परिस्थितियों में खटाने का जरिया हैं। यह लम्बे संघर्षो के दौरान हासिल श्रम अधिकारों में डकैती है और अंतरराष्ट्रीय  श्रम संगठन के मानकों का भी खुला उल्लंघन।

मालिकों की माँग की पूर्ति

मज़दूर अधिकारों में डकैती की माँग मालिकों की लम्बे समय से थी, और मोदी सरकार उनके हित में तेजी से आगे भी बढ़ती रही है। इसबीच कोरोना संकट ने मुफीद मौका भी दे दिया।

पिछले दिनों बड़े पूँजीपतियों के परिसंघ सीआईआई ने सरकार को कई सुझाव दिए थे, जिसके अनुरूप लॉकडाउन के बीच उद्योगों को खोलने और कंपनियों को हितलाभ देना प्रमुख था। केंद्र सरकार उसी अनुरूप दिशा निर्देश व शासनादेश भी जारी कर रही है।

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार का नया अध्यादेश राज्य सरकारों को प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों के काम के घंटे बढ़ाने की छूट देगा। कानून में नया बदलाव कंपनियों को शिफ्ट बढ़ाने का अधिकार देगा। जिससे रोजाना की शिफ्ट 12 घंटे की हो जाएगी।

रिपोर्ट में लिखा था कि नियोक्ता संगठनों और इंडस्ट्री ने सरकार से काम के घंटे बढ़ाने का अनुरोध किया है क्योंकि इससे उन्हें मज़दूरों की कमी के बाद लॉकडाउन की समस्या का समाधान करने में मदद मिलेगी।

इस ख़तरनाक दौर को पहचानों

मज़दूर वर्ग के लिए यह एक ख़तरनाक दौर है। पूँजीपति वर्ग ने अथाह रुपए बहाकर मोदी की सरकार इसीलिए बनवाई, जिसका ज़नाब मोदी खुलकर कर्ज अदा कर रहे हैं। राज्य सरकारें भी उसी तर्ज पर दौड़ रही हैं।

कांग्रेस भी मालिकों की ही सेवा में लगी हुई थी, लेकिन मोदी और संघ-भाजपा के पास वह जादूगरी है, जिससे वे लुटती-पिटती जनता को भ्रम में रखने में कामयाब रहती, जिसकी गर्दन कट रही होती है, वह भी वाह-वाह करते हुए, संघ-भाजपा द्वारा खड़ा किए गए हिन्दू-मुस्लिम के नकली दुश्मन से जूझने में मशगूल रहते हुए अपनी वर्गीय एकता को नष्ट कर देती है।

कोरोना संकट के बीच जनता से थाली-ताली पिटवाते, मोमबत्तियां जलवाते संकट का पूरा बोझ मज़दूर वर्ग पर डालने में वह कामयाब है।

अब मेहनतकश-मज़दूर जमात को तय करना है कि साम्प्रदायिक जूनून से बाहर निकलकर अपने असली दुश्मन के विरुद्ध वर्गीय एकता के साथ व्यापक संघर्ष के लिए एकजुट हो!

  • इसे भी पढ़ें– भयावह समय : रेल से मज़दूर कटे, तो प्लेन हुआ क्रैश
  • इसे भी पढ़ें– हादसे दर हादसे : अब नासिक की फैक्‍ट्री में लगी भीषण आग
  • इसे भी पढ़ें– एक दिन में तीन फैक्ट्रियां बनी मज़दूरों की तबाही की गवाह
  • इसे भी पढ़ें– आंध्र प्रदेश: केमिकल प्लांट से गैस लीक, 8 की मौत, सैकड़ों लोग बीमार
Tags: छिनते श्रम कानून
Previous Post

क्या समाज के लिए मज़दूर सीमेंट, ईंट और गारे की तरह संसाधन मात्र हैं?

Next Post

वेतन कटौती : अब ब्रिटानिया मज़दूरों का वेतन कटा

Next Post
वेतन कटौती : अब ब्रिटानिया मज़दूरों का वेतन कटा

वेतन कटौती : अब ब्रिटानिया मज़दूरों का वेतन कटा

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें

मेहनतकश

Archives

  • June 2025 (65)
  • May 2025 (21)
  • April 2025 (35)
  • March 2025 (34)
  • February 2025 (44)
  • January 2025 (76)
  • December 2024 (43)
  • November 2024 (56)
  • October 2024 (47)
  • September 2024 (52)
  • August 2024 (38)
  • July 2024 (49)
  • June 2024 (37)
  • May 2024 (70)
  • April 2024 (57)
  • March 2024 (44)
  • February 2024 (56)
  • January 2024 (85)
  • December 2023 (59)
  • November 2023 (78)
  • October 2023 (86)
  • September 2023 (68)
  • August 2023 (91)
  • July 2023 (96)
  • June 2023 (79)
  • May 2023 (97)
  • April 2023 (79)
  • March 2023 (73)
  • February 2023 (61)
  • January 2023 (91)
  • December 2022 (90)
  • November 2022 (85)
  • October 2022 (99)
  • September 2022 (85)
  • August 2022 (104)
  • July 2022 (94)
  • June 2022 (90)
  • May 2022 (103)
  • April 2022 (87)
  • March 2022 (110)
  • February 2022 (99)
  • January 2022 (51)
  • December 2021 (99)
  • November 2021 (83)
  • October 2021 (115)
  • September 2021 (111)
  • August 2021 (136)
  • July 2021 (140)
  • June 2021 (118)
  • May 2021 (151)
  • April 2021 (113)
  • March 2021 (120)
  • February 2021 (95)
  • January 2021 (100)
  • December 2020 (124)
  • November 2020 (114)
  • October 2020 (111)
  • September 2020 (102)
  • August 2020 (100)
  • July 2020 (109)
  • June 2020 (89)
  • May 2020 (114)
  • April 2020 (135)
  • March 2020 (87)
  • February 2020 (69)
  • January 2020 (106)
  • December 2019 (134)
  • November 2019 (128)
  • October 2019 (160)
  • September 2019 (140)
  • August 2019 (64)

Tags List

HPEU (1) Settlement (1) अक्टूबर क्रांति (1) असंगठित क्षेत्र (1) उदारीकरण (6) उदारीकारण (4) एसजीयू (1) कविता (12) कश्मीर (1) कानूनी अधिकार (3) कार्ल मार्क्स (2) किसान आंदोलन (1) कोरोना (31) ग्राउंड रिपोर्ट (3) छिनते श्रम कानून (18) जनचेतना यात्रा (5) ठेका श्रम (1) प्रवासी श्रमिक (1) फासीवाद (2) भगत सिंह (6) माइक्रोमैक्स (61) मारुति मजदूर (60) मासा (70) मज़दूर इतिहास (14) लेनिन (2) श्रमजीवी महिला (5) समझौता (1)

पोस्टर

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें

मेहनतकश

Archives

  • June 2025
  • May 2025
  • April 2025
  • March 2025
  • February 2025
  • January 2025
  • December 2024
  • November 2024
  • October 2024
  • September 2024
  • August 2024
  • July 2024
  • June 2024
  • May 2024
  • April 2024
  • March 2024
  • February 2024
  • January 2024
  • December 2023
  • November 2023
  • October 2023
  • September 2023
  • August 2023
  • July 2023
  • June 2023
  • May 2023
  • April 2023
  • March 2023
  • February 2023
  • January 2023
  • December 2022
  • November 2022
  • October 2022
  • September 2022
  • August 2022
  • July 2022
  • June 2022
  • May 2022
  • April 2022
  • March 2022
  • February 2022
  • January 2022
  • December 2021
  • November 2021
  • October 2021
  • September 2021
  • August 2021
  • July 2021
  • June 2021
  • May 2021
  • April 2021
  • March 2021
  • February 2021
  • January 2021
  • December 2020
  • November 2020
  • October 2020
  • September 2020
  • August 2020
  • July 2020
  • June 2020
  • May 2020
  • April 2020
  • March 2020
  • February 2020
  • January 2020
  • December 2019
  • November 2019
  • October 2019
  • September 2019
  • August 2019

Tags List

HPEU (1) Settlement (1) अक्टूबर क्रांति (1) असंगठित क्षेत्र (1) उदारीकरण (6) उदारीकारण (4) एसजीयू (1) कविता (12) कश्मीर (1) कानूनी अधिकार (3) कार्ल मार्क्स (2) किसान आंदोलन (1) कोरोना (31) ग्राउंड रिपोर्ट (3) छिनते श्रम कानून (18) जनचेतना यात्रा (5) ठेका श्रम (1) प्रवासी श्रमिक (1) फासीवाद (2) भगत सिंह (6) माइक्रोमैक्स (61) मारुति मजदूर (60) मासा (70) मज़दूर इतिहास (14) लेनिन (2) श्रमजीवी महिला (5) समझौता (1)

हमारे बारे में

आज जहां मज़दूर वर्ग पर ताबड़तोड़ हमले हो रहे हैं। वहीं मेहनतकश आबादी की खबरें मुख्य मीडिया से गायब हैं। दरअसल, उस पर सत्ता संरक्षण में पूँजीपति वर्ग का कब्जा है, जो मेहनतकश आवाम का शोषण कर रही है। ऐसे में मज़दूरों को अपना वैकल्पिक मीडिया खड़ा करना बेहद जरूरी है। देश में मज़दूरों की वैकल्पिक मीडिया खड़ी हुई है या हो रही। उसी प्रक्रिया के एक हिस्से के तौर पर मेहनतकश वेबसाइट आपके बीच सक्रिय है, जो पूरी मेहनतकश आवाम की है। यहाँ मेहनतकश की हर खबर बिना किसी रोक-टोक के प्रकाशित होती है। जहाँ मेहनतकश ही रिपोर्टर है, पत्रकार है। इसलिए आइए www.mehnatkash.in को मजबूत और सशक्त बनाएं! मेहनतकश वर्ग के संघर्ष को मजबूत करने में योगदान अपना योगदान दें।

ये भी देखें


  • Economic & Political Weekly
  • Gurgaon Workers News
  • वर्कर्स यूनिटी
  • समयांतर पत्रिका
  • टी एन लेबर
  • संघर्षरत मेहनतकश
  • जनज्वार
  • संघर्ष संवाद
  • 100 फ्लावर्स
  • लेबर न्यूज
  • मुक्ति संग्राम

© 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.

No Result
View All Result

© 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.