मारुती मज़दूरों पर पुलिस दमन का व्यापक विरोध; “मानेसर चलो” रैली हेतु मज़दूर संकल्पबद्ध

Chalo_manesar

गुड़गांव। “मारुति सुज़ुकी अस्थायी मज़दूर संघ” के बैनर तले मानेसर तहसील में 30 जनवरी को आयोजित होने वाले एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन व “मानेसर चलो” रैली के ठीक पहले मारुती मज़दूरों पर पुलिस की अन्यायपूर्ण कार्रवाई की विभिन्न मज़दूर संगठनों ने जोरदार मुखालफत की है और इसे जनतान्त्रिक अधिकारों पर बड़ा हमला बताया है।

उल्लेखनीय है कि 18 सितंबर 2024 से सन 2012 से बर्खास्त मारुति मज़दूरों द्वारा हक के लिए लगातार धरना जारी है। इधर मारुति फैक्ट्री से कार्य कर निकाले गए CW व TW आदि अस्थाई मज़दूर भी एकजुट हुए। 5 जनवरी की मीटिंग और “मारुति सुज़ुकी अस्थायी मज़दूर संघ” के गठन के साथ 10 जनवरी को गुड़गांव डीसी कार्यालय में हजारों मज़दूरों के प्रदर्शन कर मज़दूरों ने अपनी मांगें बुलंद कीं। मारुति प्लांट में काम कर रहे या कर चुके हजारों अस्थायी मज़दूर स्थायी नौकरी, मान्यताप्राप्त प्रमाणपत्र, वेतन वृद्धि और समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग कर रहे हैं।

इसी संघर्ष की कड़ी में 30 जनवरी को मारुति मज़दूर “मारुति सुज़ुकी अस्थायी मज़दूर संघ” के बैनर तले मानेसर तहसील में एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन आयोजित करने का आह्वान किया है।  

इससे घबड़ाए मारुति प्रबंधन ने 27 जनवरी को मज़दूरों के खिलाफ स्टे के लिए क़ानूनी कार्यवाही शुरू की। सुनवाई कर अदालत ने 29 जनवरी को आदेश पारित किया, जिसके तहत मज़दूर मारुति फैक्ट्री की सीमा से 500 मीटर दूर शांतिपूर्ण कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं।

जिला प्रशासन पूर्व में पत्र के माध्यम से मज़दूरों को मानेसर तहसील धरना स्थल पर शांतिपूर्ण कार्यक्रम की अनुमति दे चुका था। इसके बावजूद पुलिस और प्रशासन ने दमनात्मक कार्रवाई कर मज़दूरों के शांतिपूर्ण सभा को रोकने की कोशिश में जुट गया।

29 जनवरी की सुबह मानेसर पुलिस लगभग 11 बजे, बड़ी संख्या में मानेसर चौक स्थित मारुति मज़दूरों के धरना स्थल पर पहुंची और हमलावर तरीके से मज़दूरों के तंबू, बैनर और अन्य सामान नष्ट कर दिए। पुलिस ने करीब 100 मारुति मज़दूरों को बस में भरकर मानेसर से दूर पटौदी ले जाकर छोड़ दिया, लेकिन उन्हें वापस मानेसर न जाने की हिदायत दी गई।

पूरे दिन पुलिस द्वारा मज़दूरों को उठाने और दूर ले जाकर छोड़ने की निंदनीय कार्यवाही जारी रही। पुलिस ने मज़दूरों को बताया कि गुड़गांव डीसी के आदेश से मानेसर में धारा 144 (163 बीएनएसएस) लागू कर दी गई है।

मारुति सुज़ुकी अस्थायी मज़दूर संघ और संघर्षरत बर्खास्त मारुति मज़दूरों ने कहा कि मारुति मज़दूर पुलिस-प्रशासन के इस मनमाने रवैये और मारुति सुज़ुकी कंपनी के इशारे पर की गई इस कार्रवाई का सामना करने के लिए संकल्पबद्ध हैं और मानेसर तहसील धरना स्थल पर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार अपना शांतिपूर्ण कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी पुरे जोश के साथ करेंगे।

इस दमनात्मक कार्रवाई का विभिन्न मज़दूर संगठनों द्वारा व्यापक विरोध जारी है। संगठनों का कहना है कि मज़दूरों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का संवैधानिक, जनतान्त्रिक व संवैधानिक अधिकार है। मज़दूरों को डराने-धमकाने, गिरफ़्तारी और शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकने के लिए 163 बीएनएसएस की धारा 163 (धारा-144) लगाना प्रावधान का खुला उल्लंघन है।

देश के संग्रामी मज़दूर संगठनों के साझा मंच मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) ने मारुती मज़दूरों पर पुलिस की दमनात्मक कार्रवाई तथा शांतिपूर्ण प्रदर्शन व “मानेसर चलो” रैली रोकने के असंवैधानिक कार्रवाई का विरोध करते हुए बयान जारी किया है।

सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग ट्रेड यूनियंस (सीएसटीयू) ने बयान जारी करके कहा कि मारुति सुजुकी मानेसर के मज़दूर दमन और अन्याय के खिलाफ विगत 13 साल से संघर्षरत हैं। वे एकबर फिर एकजुट हैं और अपने लिए जायज स्थायी रोजगार, सम्मानजनक वेतन और सुरक्षित भविष्य का अधिकार हासिल करने के लिए मानेसर चलो का आह्वान किया है। इससे घबड़ाए मारुति प्रबंधन ने सरकार, पुलिस व प्रशासन के खुले समर्थन से एकबार फिर दमन पर आमादा है।

सीएसटीयू ने असंवैधानिक, मनमाने रवैये और मारुति सुज़ुकी कंपनी के इशारे पर मज़दूरों के दमन की इस कार्रवाई और जनतान्त्रिक अधिकारों पर इस हमले की खुली निंदा करते हुए मज़दूरों के इस जायज संघर्ष के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित की है।

इंक़लाबी मजदूर केंद्र ने मारुति के बर्खास्त मजदूरों के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित करते हुए गुड़गांव पुलिस की कार्रवाही की घोर निंदा की है तथा सभी मजदूरों का आह्वान किया है कि एकजुट हो इसका प्रतिरोध करें।

भगत सिंह स्टूडेंट एण्ड यूथ फ्रंट ने मारुति श्रमिकों पर कार्रवाई गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए राज्य दमन के खिलाफ संघर्ष पर विचार कर व्यापक रणनीत बनाने पर जोर दिया है।

मज़दूर संगठनों की माँग-

  1. हरियाणा सरकार व गुड़गांव प्रशासन दमन की कार्रवाई बंद करे और 30 जनवरी के पूर्व घोषित कार्यक्रम को करने देने की अनुमति दे!
  2. पुलिस द्वारा मज़दूरों के धरना स्थल से जप्त किए गए सभी सामानों को तत्काल वापस लौटाए और न्याय मिलने तक जारी धरना को ससम्मन बहाल करे!
  3. मारुति प्लांट में काम कर रहे या कर चुके सभी अस्थायी मज़दूरों को स्थायी नौकरी, वेतन वृद्धि और समान कार्य के लिए समान वेतन सहित सब्जी न्यायपूर्ण मांगें पूरी करे!
  4. मारुति के अन्यायपूर्ण रूप से बर्खास्त सभी मज़दूरों की कार्यबहली करे!

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