26 नवंबर को 12 प्रमुख मांगों किसानों-मज़दूरों का होगा देशव्यापी प्रदर्शन

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26 नवंबर को चार साल पहले शुरू हुए ऐतिहासिक किसान आंदोलन की चौथी वर्षगांठ है। कृषि कानूनों और श्रम संहिताओं के खिलाफ किसानों व मजदूरों की एकजुटता का प्रदर्शन होगा।

26 नवंबर 2024 को देशभर में किसान-मजदूर एकता का एक विशाल प्रदर्शन आयोजित होने जा रहा है। यह दिन चार साल पहले शुरू हुए ऐतिहासिक किसान आंदोलन की चौथी वर्षगांठ के रूप में मनाया जाएगा। इस बार किसानों के साथ-साथ मजदूर भी प्रमुख मांगों को लेकर अपनी आवाज बुलंद करेंगे। कृषि कानूनों और श्रम संहिताओं के खिलाफ यह आंदोलन एक नई दिशा में कदम बढ़ा रहा है, जिसमें किसानों और मजदूरों की एकजुटता केंद्र बिंदु होगी।

1. संयुक्त किसान मोर्चा का विरोध प्रदर्शन

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने इस प्रदर्शन को 12 मुख्य मांगों के तहत आयोजित करने का ऐलान किया है। इन मांगों में मजदूरों और किसानों की समस्याओं का समाधान न होने के कारण उन्हें आंदोलन का सहारा लेना पड़ा है। SKM के अनुसार, उनकी मांगें लंबे समय से अनसुनी हैं, जिसके चलते विरोध प्रदर्शन अपरिहार्य हो गया है।

2. प्रमुख मांगें

इस आंदोलन के दौरान 12 प्रमुख मांगें उठाई जाएंगी, जो किसानों और मजदूरों के बुनियादी हकों से जुड़ी हैं। इनमें सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, श्रम संहिताओं का निरसन, ठेकाकरण पर रोक, और संगठित-असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए 26,000 रुपये मासिक न्यूनतम वेतन और पेंशन शामिल हैं। इसके अलावा, सार्वजनिक सेवाओं का निजीकरण रोकना और कृषि को कॉर्पोरेट हाथों में जाने से बचाना भी इन मांगों का हिस्सा है।

3. महंगाई और रोजगार पर चिंता

मांगों में महंगाई पर नियंत्रण और रोजगार की गारंटी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे भी शामिल हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सुधार, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं, और शिक्षा में सुधार की मांग के साथ-साथ साम्प्रदायिकता और जातिवाद के उन्मूलन के लिए भी सख्त कानून बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इसके अलावा, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा समाप्त करने के लिए फास्ट ट्रैक न्यायिक प्रणाली का प्रावधान भी प्रस्तावित है।

4. संयुक्त किसान मोर्चा की अपील

SKM ने सभी किसान संगठनों, मजदूर संगठनों, और अन्य सामाजिक समूहों से इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेने की अपील की है। मोर्चा ने कहा कि मोदी सरकार के साथ किए गए 2021 के समझौते को तोड़ने और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के प्रयासों को रोकना आज की जरूरत है। वे कहते हैं कि असल मुद्दों से ध्यान हटाने की बजाए, समाज में एकजुटता बनाए रखना समय की मांग है।

5. SKM की रणनीतिक पहल

संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी राजनीतिक शक्ति का परिचय देते हुए बताया कि कैसे फरवरी 2024 में औद्योगिक हड़ताल, ग्रामीण बंद, और भाजपा के खिलाफ अभियान ने चुनावी परिणामों पर असर डाला। SKM का मानना है कि यदि जन आंदोलन इसी तरह तेज किए जाते हैं तो चुनावी संघर्षों में कॉर्पोरेट समर्थक दलों को हराने का लक्ष्य भी प्राप्त किया जा सकता है।

6. जागरूकता अभियान

इस विरोध प्रदर्शन के पहले, 7 से 25 नवंबर तक SKM और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। इन अभियानों में गांवों और कस्बों में वाहन जत्था, साइकिल जत्था, पदयात्रा, और घर-घर जाकर पर्चे बांटने जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं। इस जागरूकता अभियान का मुख्य उद्देश्य मजदूर-किसान एकता को मजबूत करना और लोगों को इस बड़े विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए प्रेरित करना है।

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