कीहिन फिन में समझौते की ख़बर गलत, महिला मज़दूरों का धरना जारी

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10 मार्च को एएलसी के साथ होगी त्रिपक्षीय वार्ता

बावल (हरियाणा)। ऑटो पार्ट्स निर्माता कीहिन फिन की महिला श्रमिकों के आंदोलन को तोड़ने की प्रबंधन की साजिशों का सच सामने आया है। आंदोलन के प्रति भ्रम फैलाने हेतु समझौते की ख़बर सचेतन फैलाई गई, जो ‘मेहनतकश’ में भी लग गई। जबकि सच यह है कि महिला मज़दूरों का धरना 17 वें दिन भी जारी रहा। इस गलती के लिए हम खेद प्रकट करते हैं।

दरअसल बुधवार को ख़बर फैलाई गई कि हरियाणा के बावल औद्योगिक क्षेत्र में स्थित कीहिन फिन मे समझौता हो गया है और वेतन वृद्धि पर भी सहमति बन गई है। अंडरटेकिंग भर कर महिलाएं काम पर वापस लौट गई हैं।

लेकिन तहकीकात कराने पर पता चला कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ है और ना ही वेतन वृद्धि पर मैनेजमेंट माना, ना ही कार्यबहाली पर समझौता हुआ है। 10 मार्च को श्रम अधिकारियों के साथ अगले दौर की वार्ता होनी है।

सच झूठ की खबरों के मिश्रण के बीच कमेटी की सदस्यों को छोड़कर बाकी महिलाएं गुड कंडक्ट बांड भरकर अंदर चली गई हैं। हालांकि अंदर गईं महिलाओं में भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है और उनके फिर से बाहर आने की संभावना है।

https://mehnatkash.in/2021/02/24/the-movement-of-women-workers-of-kahin-fin-against-exploitation-continues/

असल में 2 मार्च की श्रम विभाग में वार्ता के बाद ये ख़बर बहुत चालाकी से लिखी गई थी और तेजी से उसे फैलाया गया। आधे सच की आड़ में वायरल ख़बर की चपेट में काफी लोग आ गए, कुछ महिलाएं काम पर भी चली गईं और मेहनतकश की टीम भी प्रभावित हुई और ‘मेहनतकश’ में भी पूरा तथ्य जाने बगैर लग गई।

कमेटी की सदस्य भतेरी देवी ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि उनका मामला सहायक श्रमायुक्त (एएलसी) के पास चल रहा है और उनके कहने पर ही बाकी महिला मज़दूरों को अंडरटेकिंग भर कर अंदर जाने को कहा गया। लेकिन अभी 10 महिला मज़दूर गेट के आगे धरने पर बैठी हैं।

उधर काम पर लौटी महिलाओं ने बताया कि सहायक श्रमायुक्त (एएलसी) ने दबाव डालकर महिला मज़दूरों को अंदर जाने को कहा। जबकि कोई समझौता नहीं हुआ, ना ही वेतन वृद्धि से संबंधित कोई सहमति बनी और ना ही निलंबित की गई महिला मज़दूरों को अंदर लिया गया।

कंपनी में गई एक महिला मज़दूर ने नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर वर्कर्स यूनिटी को बताया कि वो काम पर लौटना नहीं चाहती थीं लेकिन कमेटी के कहने पर ही वो अंदर गई हैं। मंगलवार को सुबह ये सारी महिलाएं गुड कंडक्ट बांड भरकर काम पर लौटीं, जिसमें लिखा था कि वो सभी अनुशासन के साथ काम करेंगी और कंपनी का अनुशासन मानेंगी।

भतेरी देवी कहती हैं, “लड़कियां जा रहीं रही थीं, लेकिन एडिशनल लेबर कमिश्नर ने ज़बरदस्ती करके उन्हें अंदर जाने को कहा। जो गई हैं वो अंदर रो रही हैं और कह रही हैं कि हम कल फिर वापिस धरने पर आएंगे।”

उन्होंने कहा कि ‘उनका कोई समझौता नहीं हुआ है और 10 मार्च को फिर एएलसी के साथ मीटिंग है। मैनेजमेंट ये झूठा प्रचार करवा रहा है कि समझौता हो गया है, ताकि महिला मज़दूरों में फूट पड़ जाए और कमेटी के सदस्य अलग थलग पड़ जाएं।’

वो कहती हैं, ‘पता नहीं क्या होगा। लेकिन समझौते की अफ़वाह कौन फैला रहा है क्यों, इसकी हमें कोई जानकारी नहीं है।’

गौरतलब है कि जिन कंपनियों में लॉकडाउन के चलते सालभर तक वेतन समझौते में देरी हुई है, वहां श्रमिक असंतोष उभर रहा है। अभी दो दिन पहले ही मानेसर के सेक्टर तीन में स्थित सत्यम ऑटो में भी मज़दूर कंपनी के अंदर ही हड़ताल पर बैठ गए थे। हालांकि उनका समझौता 24 घंटे के अंदर ही हो गया।

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