लखनऊ: निजीकरण के खिलाफ़ 25,000 बिजलीकर्मियों का बड़ा प्रदर्शन; 29 मई से कार्य बहिष्कार

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में प्रदेशभर से भारी संख्या में आए बिजली कर्मियों ने फील्ड हॉस्टल से शक्ति भवन तक विशाल रैली निकाली। रैली के बाद हुई आमसभा में प्रस्ताव पारित किए गए।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को चुनौती देते हुए ऐलान किया कि 29 मई से निजीकरण वापस न होने तक अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार होगा। इससे पहले क्रमिक अनशन सहित विविध आंदोलन भी जारी रहेगा।

दरअसल, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन पूर्वांचल और दक्षिणांचल के 42 जिलों का निजीकरण करने की की कोशिशों से नाराज बिजली कर्मचारियों ने बुधवार दोपहर 12:30 बजे राणा प्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड हॉस्टल से रैली निकाली।

ये रैली सिकंदरबाग चौराहा, अशोक मार्ग, इंदिरा भवन, जवाहर भवन, शक्तिभवन होते हुए मीराबाई मार्ग के रास्ते वापस फील्ड हॉस्टल तक आई। इसके बाद फील्ड हॉस्टल पर विशाल सभा का आयोजन किया गया।

बड़ी संख्या में तैनात पुलिसबल ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोकने का भरपूर प्रयास किया। इस दौरान बिजली कर्मियों और पुलिस के बीच नोक झोंक भी हुई। बड़ी तादाद में जमा हुए बिजली कर्मियों की रैली और जनसभा के चलते हजरतगंज का पूरा क्षेत्र ही जाम हो गया।

25 हजार बिजली कर्मचारी हुए शामिल

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के अनुसार इस रैली में लगभग 25 हजार बिजली कर्मचारी शामिल थे। बिजली कर्मियों ने पूरे अनुशासन के साथ रैली निकाली। समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि हमारा मकसद निजीकरण रोकना है, जो राष्ट्र और कर्मचारियों दोनों के हित में नहीं है।

संगठन के पदाधिकारी अमिताभ सिन्हा का कहना है कि 125 दिन से आंदोलन चल रहा है लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही है. निजीकरण करके पावर कॉरपोरेशन एक बार फिर उत्तर प्रदेश को लालटेन युग में ले जाने का प्रयास कर रहा है. निजीकरण हुआ तो बड़ी संख्या में बिजली कर्मी बेरोजगार हो जाएंगे.

रैली के बाद आयोजित सभा के दौरान बिजली कर्मचारियों ने कहा कि निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन और कार्य बहिष्कार की तैयारी कर रहे कर्मचारियों के खिलाफ अगर कोई ऐक्शन होगा तो बिजली कर्मचारी राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेंगे।

रैली में शामिल कर्मचारियों ने कहा कि निजीकरण के खिलाफ सभी एकजुट हैं। शांतिपूर्ण तरीके से रैली निकालने के साथ ही प्रबंधन को स्पष्ट संदेश भी दे दिया गया है कि कोई भी इस अन्याय के खिलाफ झुकेगा नहीं। निजीकरण का फायदा चंद पूंजीपतियों को ही मिलेगा। बाकी सभी लोग परेशान हो जाएंगे।

कार्य बहिष्कार से पूर्व चलेगा जनजागरण अभियान

संघर्ष समिति ने ऐलान किया कि कार्य बहिष्कार से पहले 16 अप्रैल से 30 अप्रैल तक जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। जन-जागरण पखवाड़े में सभी सांसदों और विधायकों को निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दिये जायेंगे। समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध सभा की जायेगी।

इसी क्रम में 1 मई को बाइक रैली निकाली जायेगी, 2 मई से 9 मई तक शक्ति भवन मुख्यालय पर क्रमिक अनशन किया जाएगा, जिसमें प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के साथ-साथ उत्तर भारत के विभिन्न प्रांतों के बिजलीकर्मी और अभियंता भी सम्मिलित होंगे।

14 मई से 19 मई तक नियमानुसार कार्य आंदोलन (वर्क टू रूल) चलाया जाएगा, जिसके तहत बिजली कर्मी अपने लिये निर्धारित ड्यूटी और अपने लिए निर्धारित कार्य की अवधि के अलावा काम नहीं करेंगे। इसी के साथ 14 मई को उत्तरी भारत के सभी प्रांतों के बिजलीकर्मी यूपी में हो रहे निजीकरण के विरोध में व्यापक प्रदर्शन करेंगे।

20 मई को व्यापक विरोध प्रदर्शन होगा और 21 मई से 28 मई तक तीन घंटे का कार्य बहिष्कार रहेगा। फिर भी योगी सरकार ने निजीकरण वापस नहीं लिया तो 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार होगा।

समर्थन में देशभर से जुटे बिजली कर्मचारी नेता

निजीकरण के विरोध में दूसरे राज्यों से आए कर्मचारी नेताओं ने भी प्रदर्शन में भाग लिया। इसमें मुख्य रूप से तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड के पदाधिकारी और अभियंता शामिल हैं।

ज्ञात हो कि मंगलवार को नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स की आंदोलन को लेकर बैठक हुई थी। इसमें फैसला लिया गया था कि अगर सरकार अब भी निजीकरण वापस नहीं लेती है तो कर्मचारी आंदोलन करेंगे।

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