लॉकडाउन को सशर्त बढ़ाने, लेकिन उद्योग खोलने की तैयारी

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काम पर ना जाने वाले श्रमिकों का कटेगा वेतन, “सबको मिलेगा वेतन” बना जुमला!

पिछले कुछ दिनों से मोदी सरकार उद्योगपातियों के “संकट” पर गहन मंथन में लगी हुई है। शीर्ष उद्योगपतियों से वार्ताओं के दौर चलते रहे। पूँजीपतियों की संस्था सीआईआई ने खाका दिया, जिसके आधार पर मंत्रालयों ने रिपोर्ट बनाकर प्रस्तुत कर दिया है। 11 अप्रैल को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने विस्तृत सुझाव भेज दिए हैं। इसी आलोक में 12 अप्रैल को प्रधानमंत्री की राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ गहन मंत्रणा भी हुई।

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच 14 अप्रैल के बाद दो सप्ताह के लिए लॉकडाउन जारी रहने की संभावना के साथ उद्योग मंत्रालय ने टेक्सटाइल, निर्माण, जेम्स एंड ज्वेलरी जैसे 15 बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में काम शुरू करने की सिफारिश की है। यही नहीं, कम्पनी द्वारा बुलाने पर काम पर ना जानेवालों को वेतन देने की बाध्यता ख़त्म करने का भी फरमान दिया है।

पूँजीपतियों के सुझाव

बड़े पूँजीपतियों के परिसंघ सीआईआई ने सरकार को सुझाव दिया है कि विभिन्न क्षेत्रों को उनके इलाके में कोरोना वायरस के संक्रमण की तीव्रता के आधार पर चरणबद्ध तरीके से धीरे-धीरे खोला जाना चाहिये। किसी इलाके में संक्रमण के मामलों की संख्या के आधार पर उसे लाल, पीले या हरे इलाके में वर्गीकृत किया जा सकता है।

सीआईआई के अनुसार, ई-वाणिज्य, वाहन तथा रसायन के अलावा कपड़ा एवं परिधान, दवा, खाद्य प्रसंस्करण, खनिज एवं धातु आदि प्रमुख क्षेत्र हैं, जिनमें धीरे-धीरे परिचालन शुरू करने की जरूरत है।

इसके बाद एक या दो सप्ताह का अंतराल लेकर दूसरे चरण में कृषि बाजारों, खाद्य एवं किराना डिलिवरी समेत ई-वाणिज्य, वाहन तथा वैसे रसायन जिनका इस्तेमाल साफ-सफाई में किया जाता है, इन्हें खोला जाना चाहिये। इसके एक या दो सप्ताह बाद तीसरे चरण में बचे क्षेत्रों को खोला जाना चाहिये। संगठन ने एक आर्थिक पैकेज की भी माँग की है।

भारत सरकार की प्रस्तावित योजना

इसी अलोक में 11 अप्रैल को सचिव उद्योग संवर्धन और आतंरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार की तरफ से जो सूचना जारी हुई है, उसके मुताबिक, सरकार ने यह सुझाव दिया है कि देश के इलाकों को राज्यों की बजाय कोरोना के संक्रमण के स्तर के हिसाब से लाल, नारंगी और हरे क्षेत्र में बांटकर ढील संबंधी नियम तय किए जाएं। कोरोना के नारंगी और हरे क्षेत्र में बाजार खोले जा सकते हैं, लेकिन समय सीमित किया जा सकता है।

सरकार का प्रस्ताव है कि देश में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए उद्योगों में काम शुरू होना जरूरी है, लेकिन इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। साथ ही स्ट्रीट वेंडर्स को पहचान-पत्र के साथ काम करने की मंजूरी देने का भी सुझाव दिया गया है।

इसके तहत 15 उद्योग समूहों की एक सूची जारी करके उद्योग संचालन के लिए एक दिशानिर्देश तय किया है। उसमें साफ़ किया है कि जिनका नाम काम करने वालों की सूची में होगा, वे यदि अपने काम पर उपस्थित नहीं होते हैं, तो उनको वेतन देने की ज़िम्मेदारी नियोक्ता की नहीं होगी।

तीन क्षेत्र बनाने का सुझाव

रेड जोन : हॉटस्पॉट वाले जिले, वहाँ पहले की तरह सबकुछ बंद रहे।
ऑरेंज जोन : जिन जिलों में नए मरीज नहीं आ रहे, पुराने मरीज बेहद कम।
ग्रीन जोन: संक्रमण मुक्त जिले, जहाँ व्यापारिक गतिविधियां शुरू हों।

किस क्षेत्र में क्या छूट मिले, क्या नहीं

  • हॉस्पिटैलिटी : रेड और ऑरेंज जोन में सभी होटल, रेस्त्रां, लॉज और गेस्टहाउस बंद रहें, ग्रीन जोन में खुल सकते हैं।
  • परिवहन : सिर्फ ग्रीन जोन में लोकल परिवहन खोलने की छूट दी जाए। लेकिन, रेड और ऑरेंज जोन में सार्वजनिक परिवहन शुरू न करें।
  • उड़ान सेवा : भारत से बाहर जाने के लिए विशेष और कमर्शियल उड़ानों की छूट मिले।
  • आबकारी मामले : शराब की दुकानें खोलने की मंजूरी हो।

इन पर पाबंदी रहेगी : 

सभी प्रकार के सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और खेल संबंधी आयोजनों पर पाबंदी बनी रहे। सिनेमा हॉल, मॉल्स, पार्क, पर्यटन स्थल, धर्मस्थल, शिक्षण संस्थान भी नहीं खुलें।

उद्योग : मालिकों के हित में दिशा निर्देश

श्रमिकों को राहत की जगह बाध्यता

सरकार ने कहा है कि जिन कंपनियों में काम शुरू करने की इजाजत दी गई है, वहाँ का प्रबंधन अपने कर्मचारियों को काम पर आने के लिए कह सकता है। अगर कोई कर्मचारी कार्य पर नहीं आता है, तो ऐसी स्थिति में बिना काम के दिए जाने वाले वेतन की जिम्मेदारी नियोक्ता पर नहीं होगी।

बड़ी कंपनियों को राहत

सरकार के सुझावों में कहा गया है कि बड़ी कंपनियों में 20-25% कर्मचारियों से ही एक शिफ्ट में काम लिया जाए। जबकि भवन व निर्माण क्षेत्र में तभी काम करने की अनुमति मिले, जब मजदूरों को रहने की व्यवस्था कराई जाए। निर्माण ठेकेदार की पूरी जिम्मेदारी रहे कि वह साइट को पूरी तरह से सैनिटाइज कराए और वहां स्वच्छता रखे। 

उद्योगों के लिए दिशानिर्देश : उद्योगों के हित में

  • कुछ मीठे टिप्स के साथ कंपनियों को मनमर्जी काम करने की छूट देने का प्रस्ताव है!
  • कर्मचारियों के लिए सिंगल एंट्री पॉइंट हो, सोशल डिस्टेंसिंग के लिए पर्याप्त स्थान हो, कर्मचारियों को लाने-ले जाने के लिए अलग ट्रांसपोर्ट और फैक्ट्री परिसर में उनके रहने का इंतजाम हो, पूरे परिसर का बेहतर क्वालिटी के साथ सैनिटाइजेशन हो, जिला और राज्य के अधिकारी उद्योगों को चलाने की इजाजत देने के साथ जरूरी इंतजामों का निरीक्षण करें।
  • उद्योगों को चलाने के लिए वाहनों और श्रमिकों की आवाजाही में कोई परेशानी न हो। कर्मचारियों और माल की आवाजाही पर निगरानी रखने वाला अमला गृह मंत्रालय के निर्देशों का पूरी तरह पालन करे। श्रमिकों और माल की खुली आवाजाही हो।
  • टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक मेन्यूफैक्चरिंग जैसा काम करने वाली बड़ी कंपनियों को सिंगल शिफ्ट में काम करने की इजाजत दी जा सकती है। (यानी 12 घंटे की शिफ्ट)
  • एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों और लघु उद्योगों को मिनिमम मैनपॉवर के साथ काम करने की इजाजत दी जाए। माल ढुलाई का पास जारी करते समय संबंधित अधिकारी निर्यात की इजाजत दे सकेंगे।
  • सभी बड़े उद्योगों में शिफ्ट को इस तरह संचालित किया जाए कि उसकी शुरुआत और आखिर में एकदम भीड़ इकट्ठी ना हो।

जिन उद्योगों को उत्पादन की छूट मिलेगी-

निम्न उद्योगों को सैनिटाइजेशन, सोशल डिस्टेंसिंग और सुरक्षा के इंतजाम करने पर न्यूनतम कर्मचारियों के साथ काम करने की इजाजत दी जा सकती है।

भारी इलेक्ट्रिकल आइटम जैसे ट्रांसफार्मर और सर्किट व्हीकल्स; ऑप्टिक फाइबर केबल सहित टेलीकॉम इक्विपमेंट और पुर्जे; कंप्रेसर और कंडेनसर यूनिट; स्टील और फ्रेस अलाय मिल; स्पिनिंग और जिनिंग मिल, पावर लूम; रक्षा और संबंधित उत्पाद बनाने वाले यूनिट; सीमेंट प्लांट (सीमेंट का उत्पादन एक निरंतर प्रक्रिया होने से तीन शिफ्ट में संचालित करने पर अनुमति दी जा सकती है)।

लकड़ी का पल्प और कागज निर्माण इकाइयां (जहाँ कोरोनावायरस के मामले कम आए हो); उर्वरक प्लांट; पेंट और डाई उत्पादन की इकाइयां; सभी प्रकार के खाने-पीने की वस्तुएं; प्लास्टिक उत्पादन इकाइयां; बीज प्रोसेसिंग इकाइयां।

ऑटो मोबाइल क्षेत्र की इकाइयां; रत्न और आभूषण निर्माण की इकाइयां (बड़े और संगठित क्षेत्र में); सभी एसईजेड और विशेष आर्थिक जोन में उत्पादन की इजाजत रहेगी।

निरंतर उत्पादन करने वाले उद्योग जैसे कि स्टील, पावर और माइनिंग को गृह मंत्रालय ने पहले ही लॉकडाउन से बाहर रखा है। ये उद्योग निरंतर काम करते रहेंगे।

उत्पादन के लिए छूट पाने वाले अन्य उद्योग

रबर के उत्पादन को मंजूरी दी गई है, जिनमें-

प्रेशर कुकर में इस्तेमाल की जाने वाली रबर (गास्केट्स); एलपीजी में इस्तेमाल होना वाला होज पाइप; सर्जिकल ग्लव्स; एड्हेसिव; हॉस्पिटल में उपयोग की जाने वाली रबर शीट्स; मेडिकल सिलिकॉन; फार्मास्युटिकल स्टॉपर्स; लेटेक्स गुड्स (रबर से बनी चीजें); हॉस्पिटल्स में इस्तेमाल की जाने वाली ट्रॉलियों के रबर से बने पहिए; एप्रॉन्स जो रबर कोटेड हों; फेस मास्क बनाने में इस्तेमाल होने वाले एड्हेसिव्स; रबर के जूते और सेफ्टी शूज; कैथेटर्स; मेडिकल उपकरण; आईव्ही ट्यूब्स; एनेसथेसिया बैग्स; वेंटीलेटर बेलोस; रबर स्टॉपर्स; डेंटल सप्लाइज।

लकड़ी या प्लायवुड के वो जरूरी सामान जो फार्मा कंपनी और एफएमसीजी कंपनियां पैकेजिंग में इस्तेमाल करती है। कांच और मेटल इंडस्ट्रीज में उत्पादन की मंजूरी, जिनमें रिसाइक्लिंग प्रोसेस शामिल होगा। बैंक और कस्टम डिजिटल डॉक्यूमेंट्स बॉन्ड्स के साथ स्वीकार कर सकेंगे।

खेती यानी एग्रीकल्चर से जरूरी सभी गतिविधियों को मंजूरी। इनमें एग्रो कैमिकल (खाद या कीटनाशक आदि) प्रोडक्शन, डिस्ट्रब्यूशन और सेल (बिक्री) शामिल हैं।

मालवाहक वाहन होंगे बेरोकटोक

छोटे और बड़े सभी तरह के मालवाहक वाहनों को कहीं भी आने-जाने की छूट हो। संबंधित अधिकारी इन्हें राज्य के अंदर या बाहर, एक शहर से दूसरे शहर तक जाने से नहीं रोकें। ऐसे वाहन खाली हो या भरे इसके बारे में अधिकारी कोई सवाल नहीं करें।

फल-सब्जी वालों और मैकेनिक्स को छूट

फल और सब्जी विक्रेता जैसे सभी स्ट्रीट वेंडर्स को काम करने की इजाजत होगी।

चुनिंदा मरम्मत यूनिट को ऑपरेट करने की इजाजत हो। इनमें छोटी इकाइयां जैसे मोबाइल, रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, टेलीविजन, प्लंबिंग, चर्मकार, प्रेस वाले, इलेक्ट्रीशियन, ऑटोमोबाइल मैकेनिक, साइकिल रिपेयर मैकेनिक को काम करने की इजाजत दी जाए। इन लोगों को अपने साथ आईडी कार्ड रखना होगा और वे पहले से जहाँ काम कर रहे थे, उसी जगह पर काम करेंगे।

मरम्मत का काम करने वाली ई कॉमर्स सेवाओं को भी ऑपरेट करने की इजाजत दी जा सकती है।

यह है पूरी स्थिति की एक तस्वीर। लगभग सभी उद्योग इसमे शामिल हैं। आवश्यक सेवा के तौर पर फार्मा, खाद्य, पैकिंग, दुग्ध आदि उद्योग पहले से ही संचालित हो रहे हैं।

Vintage engraving of a Victorian satire on capitalism and labour. A greed capitalist boss carried on the backs of his workers. 1890

कुछ वाज़िब सवाल

सवाल यह है कि यदि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन ज़रूरी है, ताकि भौतिक दूरी बनाकर चेन को तोडा जाए, तो सामूहिक उत्पादन की प्रणाली को फटाफट शुरू करने की ज़रूरत क्यों पड़ी?

सवाल यह भी है कि इस तरह काम की बाध्यता के बाद संभावित संक्रमण पर ज़िम्मेदारी निश्चित क्यों नहीं की जा रही है? सवाल यह भी बनता है कि इस दौरान बगैर काम के वेतन देने की घोषणा के बाद मालिकों को ‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ की छूट क्यों दी जा रही है? कार्यस्थल से दूर-दराज घर गए या रास्तों में अटके श्रमिकों की वापसी की चिंता क्यों गायब है?

कम-से-कम मज़दूरों से काम कराने का फार्मूला पेश करते हुए यह यह सवाल वाजिब है कि कहीं यह मज़दूरों की छंटनी की तैयारी तो नहीं है? क्या इसी उद्यम के लिए गुपचुप तरीके से श्रम संहिताओं को संसद में पारित किए बगैर अध्यादेश के जरिए प्रभावी नहीं बनाया जा रहा है? काम के घंटे बढ़ाने के पीछे मोदी सरकार की इसी कुटिलता को नहीं दर्शाता है?

उद्योग संघों की चिंता ज़हिरातौर पर मुनाफे की चिंता है। लेकिन सरकार के लिए मुख्य चिंता तो जन कल्याण की होनी चाहिए, लेकिन मोदी सरकार की प्रधान चिंता मुनाफाखोरों के प्रति होना, उसकी पक्षधरता को और भी ज्यादा स्पस्ट करता है!

जाहिर है, जनाब मोदी अपने जादू के पिटारे से एक और शिगूफा उछालेंगे और मेहनतकश का बहुलांश खुशियाँ मानते उछल पड़ेगा, और मालिकों का कल्याण और कुशलता से सम्पन्न हो जाएगा! यह जनाबेआली का आजमाया नुस्खा जो ठहरा!