इस सप्ताह : दमन व प्रतिरोध की कविताएं !
पिंजरातोङ की बहादुर बेटियों - नताशा और देवांगना के समर्थन में ……. पिंजरा तोड़ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बघारने वालों...
पिंजरातोङ की बहादुर बेटियों - नताशा और देवांगना के समर्थन में ……. पिंजरा तोड़ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बघारने वालों...
जलावतनी / उदय प्रकाश उन्होंने दबा दिए सारे बटन जल गए सारे बल्ब अनगिनत रँगों के अपार उजाले में जगमगा...
हत्यारे अनुपस्थित हैं / रवि प्रकाश हत्यारे अनुपस्थित हैं इसलिए आप इसे हत्या न कहें रोटियां उपस्थित हैं इसलिए आप...
मज़दूर वर्ग के शिक्षक व दोस्त कार्ल मार्क्स के जन्म दिवस (5 मई) के अवसर पर जीवन-लक्ष्य / कार्ल मार्क्स...
रोटी और कालजयी कविता / रविन्द्र कुमार दास सिर्फ़ भूखा व्यक्ति जानता हो रोटी का महत्त्व ऐसा नहीं है, रोटी...
भूख / नरेश सक्सेना भूख सबसे पहले दिमाग़ खाती है उसके बाद आंखें फिर जिस्म में बाक़ी बची चीज़ों को...
1. सांस सब कुछ कभी भी कहीं ठीक-ठाक था फिर भी यह क्या यह कैसी भागमभाग मची हुई है जैसे...
हम तो बहुत कम हैं / संजीव कुमार तुम जा रहे हो तो जाओ लेकिन तुम आए क्यों थे? ये...
कोरोना / कौशल कुमार टीवी पर सरकार है अपने-अपने घरों में हम-जैसे लोग हैं सड़कों पर उन-जैसों की भीड़ है...
शहादत दिवस 23 मार्च पर 23 मार्च / अवतार सिंह ‘पाश’ उसकी शहादत के बाद बाक़ी लोग किसी दृश्य की...