भयावह समय : रेल से मज़दूर कटे, तो प्लेन हुआ क्रैश

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मुनाफे की बलिवेदी पर मज़दूर, 30 घंटे में 6 घटनाएँ

मज़दूरों की यह अजीब दास्तान है! कोरोना संकट के साथ-साथ उनपर लगातार तमाम विपदाएँ टूट रही हैं। कोरोना से बचें, तो भूख से मरें; काम करें तो फैक्ट्रियों में मरें; जहरीले गैस से गाँव में मरें; घर जाएँ तो ट्रेन से काटकर मरें! …महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 17 मज़दूरों की ट्रेन से काटकर दर्दनाक मौत की ख़बर के बीच पंजाब से प्लेन क्रैश की दुखद घटना सामने आई है।

बीते 30 घंटों के बीच देश में 6 भयावह घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। गुरुवार तड़के आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम के पास केमिकल फैक्ट्री में गैस लीक, छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में पेपर मिल में गैस लीक, तमिलनाडु के नेवेली में बॉयलर फटने, महाराष्‍ट्र के नासिक में फार्मास्युटिकल पैकेजिंग फैक्‍ट्री में आग लगने की घटनाओं के बाद आज सुबह महाराष्ट्र में रेल से कटकर 16 मजदूरों की दर्दनाक मौत की, तो पंजाब में भारतीय वायुसेना की फाइटर एयरक्राफ्ट प्लेन क्रैश होने की ख़बर आ गई।

इन सभी हादसों का शिकार देश की मज़दूर-मेहनतकश जमात ही बनी है।

रेल से कटकर 17 मज़दूरों की दर्दनाक मौत

शुक्रवार की सुबह 5.15 बजे महाराष्ट्र के औरंगाबाद के जालना रेलवे लाइन पर एक दर्दनाक हादसे पटरी पर सो रहे मजदूरों को एक मालगाड़ी ने रौंद डाला। इस हादसे में करीब 17 प्रवासी मजदूरों की हृदयविदारक मौत हो गई है और तकरीबन 5 घायल हो गए हैं। 

रेल मंत्रालय ने दिए औरंगाबाद ...

दरअसल, कोरोना/ लॉकडाउन की वजह से देश के अलग-अलग जगहों पर प्रवासी मज़दूर फंसे हुए हैं। सरकारी दुर्व्यवस्था के बीच तमाम संकटों को मोल लेते कई प्रवासी मज़दूर पैदल ही घरों को निकाल पड़े हैं। रास्ते में पुलिस से बचने के लिए कई मज़दूर रेलवे ट्रैक का सहारा ले रहे हैं। इसी क्रम में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में घर वापसी की मज़दूरों की आस रेल की पटरी पर ही दम तोड़ दी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,  घटना महाराष्ट्र में औरंगाबाद के जालना रेलवे लाइन पर कर्माड स्टेशन के पास घटी। पैदल घर लौट रहे थके प्रवासी मज़दूर रेलवे ट्रैक पर ही सो रहे थे। तभी अचानक उनके ऊपर से मालगाड़ी गुजर गई। किसी को भी संभलने का मौका नहीं मिला। 

सभी मजदूर जालाना से भुसावल की ओर जा रहे थे। मृतक प्रवासी मजदूर मध्य प्रदेश के बताए जा रहे हैं। रेल सेवा बंद होने से किसी को भान भी नहीं था कि ट्रैक पर ट्रेन भी दौड़ेगी।

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इन मज़दूरों के पास रस्ते में खाने के लिए रोटी और प्याज था जो पटरियों पर बिखरा पड़ा मिला।

पंजाब में फाइटर प्लेन मिग-29 क्रैश

Air Force Fighter Plane Jaguar Crash - तस्वीरें ...

नवांशहर। पंजाब में वायु सेना का फाइटर प्लेन मिग-29 क्रैश हो गया है। पायलट ने प्लेन क्रैश होने से पहले कूदकर अपनी जान बचा ली। पायलट की हालत गंभीर है। उन्हें सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

यह हादसा नवांशहर जिले के चुहाड़पुर में हुआ। प्लेन क्रैश होने पर आस-पास के गांव के लोग घटनास्थल पर पहुंच गए। कुछ देर बाद पुलिस-प्रशासन भी मौके पर पहुंच गया।

बीते दिन के चार बड़े हादसे

गुरुवार तड़के आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम के पास केमिकल फैक्टरी में गैस लीक होने के बाद वहाँ अबतक 17 लोगों की मौत और करीब दस हजार लोग गंभीर रूप से बीमार होने की पुष्टि हुई हो चुकी है। देर रात विशाखापत्तनम में दोबारा गैस लीक की ख़बर आ गई और आसपास के कई गाँवों को प्रशासन ने खाली करा दिया।

इसके बाद छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में शक्ति प्लस पेपर्स मिल में क्लोरीन गैस पाइप लाइन फटने से बड़ा हादसा हुआ। हादसे के शिकार 7 मजदूरों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, इनमें से 3 की हालत गंभीर है।

फिर खबर आई कि तमिलनाडु राज्‍य के कुड्डालोर जिले में नेवेली लिग्‍नाइट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्‍लांट में बॉयलर फटने से सात लोग घायल हो गए। हादसे के बाद प्‍लांट से धुएं का बादल देखा गया।

रात में एक और दुर्घटना महाराष्‍ट्र के नासिक जिले के सातपुर इलाके में हुई जहाँ फार्मास्युटिकल पैकेजिंग फैक्‍ट्री में आग लग गई थी।

हर क़यामत का शिकार मज़दूर

आभी की रेल दुर्घटना हो, या बीते दिनों के हादसे, सबका कहर मज़दूरों पर ही टूटा है। ज़ाहिर है कि ये मुनाफे की अंधी हवस का परिणाम हैं।

मज़दूरों की घर वापसी से इसलिए जबरिया रोका जा रहा है, ताकि मुनाफे के लिए मज़दूरों की कमी ना हो जाए। मोदी सरकार विगत डेढ़ माह से उन्हें बंधुआ मज़दूर में बदलने की कोशिशों में संलग्न है। कर्नाटक की भाजपा सरकार ने तो बाकायदा मज़दूरों को ले जाने वाली ट्रेनों तक को रोका।

ध्यानतलब है कि बगैर उचित सुरक्षा प्रावधानों के कम्पनियाँ खोलने की हड़बड़ी भी दुर्घटनाओं को बढ़ा रही हैं। सुरक्षा मानकों की अनदेखी, बगैर उचित प्रशिक्षण मामूली वेतन पर मज़दूरों को काम में झोंकने, अन्धाधुन मुनाफे के लिए बगैर उचित प्रावधान के खतरनाक व जहरीली गैसों का उत्पादन आदि आज मज़दूरों की ज़िन्दगी के साथ लगातार खिलवाड़ करते जा रहे हैं।

हादसे नहीं हत्या

मज़दूरों की जान जाने से लेकर अंग-भंग होने तक आज सामान्य बात हो चुकी है। ये हादसे नहीं हत्या हैं।

दरअसल, इस मुनाफाखोर व्यवस्था में, निजी कंपनियों के मुनाफे के आगे एक मज़दूर के जान की कोई कीमत नहीं है। पूँजीपतियों की प्रबंधक बनी सरकारें, हर कीमत पर लुटेरे व हत्यारे मालिकों की सुरक्षा कवच बनकर मज़दूरों पर शासन का डंडा चलती हैं। उन्हें मुनाफे की आग में झोंकती हैं।

मालिकों के लाभ के लिए कोरोना संकट को ढाल बनाकर लम्बे संघर्षों के दौरान हासिल श्रम कानूनों को ख़त्म करने, 3 साल तक फ्रिज करने, काम के घंटे बढ़ाने जैसे मज़दूर विरोधी घोडा सरपट दौड़ रहा है।

इसके विपरीत, आज एक संगठित ताक़त ना होने के कारण मज़दूर लगातार शिकार बनने को मजबूर है!

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