वाराणसी: बुनकर सम्मेलन में बुनकरों की समस्याओं व संघर्ष पर चर्चा; आंदोलन ज़रूरी

यह सम्मेलन इस उद्योग के साथ-साथ शहर के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले गरीब बुनकरों, जिनमें मुख्यतः मुस्लिम हैं, के जीवन में निराशा के माहौल के बीच आशा का संचार करता है।
वाराणसी। 29 सितंबर को वाराणसी के पराड़कर भवन में आयोजित बुनकर सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण के साथ भारी भीड़ और लोगों में उत्साह देखने को मिला। इस सम्मेलन में बिजली की बढ़ी हुई दरों को वापस लेने, बुनकर उद्योग को पुनर्जीवित करने, सम्मानजनक आय और बनारस की सौ साल पुरानी बुनकर संस्कृति को संरक्षित करने की मांगें प्रमुख रहीं।
वाराणसी के बुनकर लंबे समय से प्रतिनिधिमंडलों और शिष्टमंडलों के माध्यम से सरकार के समक्ष अपनी जायज मांगों को उठाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है।

यह सम्मेलन इस उद्योग के साथ-साथ शहर के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले गरीब बुनकरों, जिनमें मुख्य रूप से मुस्लिम लोग हैं, के जीवन में निराशा के माहौल के बीच आशा का संचार करता है। इस सम्मेलन ने कुछ गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
बनारस, बुनकरों के ज्ञान और कौशल तथा ‘बनारसी साड़ियों’ की सदियों पुरानी परंपरा के लिए प्रसिद्ध होने के बावजूद, कपड़ा उद्योग के लिए सारा सरकारी ढांचागत सुविधा सूरत/गुजरात को क्यों दी जा रही है और बनारस के बुनकरों को बहुत कम पारिश्रमिक पर गुजरात में पहले से बनी साड़ियों को सजाने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है। बुनकर गुजरात से महंगे दामों पर धागा खरीदने को मजबूर हैं, जबकि यूपी के विभिन्न जिलों में बुनकरों की इतनी बड़ी संख्या है।
ऐसा क्यों है कि जब बुनकर उद्योग के पुनरुद्धार के लिए बुनकरों को सब्सिडी देने की बात आती है तो सरकार के पास पैसे की कमी होती है, जबकि कॉरपोरेट सेक्टर और विदेशी निवेशकों को 1000 गुना अधिक सब्सिडी दी जाती है, जिनके निवेश से रोजगार बहुत कम मिलता है। ये सवाल बुनकर प्रतिनिधियों के भाषणों में गूंजे।

अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अपने भाषण में कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं का उल्लेख किया, जैसे कि हैंडलूम कॉरपोरेशन, बुनकरों के उत्पाद नहीं खरीद रहा है और बुनकरों के लिए बाजार की सुविधा ठप है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य और केंद्र सरकार बुनकरों से बातचीत नहीं कर रही है और ऐसी नीतियां बना रही है जो बुनकरों के लिए विनाशकारी हैं।
उन्होंने देश में रोजगार की दयनीय स्थिति की ओर इशारा किया और सरकार पर इस ओर ध्यान न देने और अंबानी-अडानी से सांठगांठ करने का और हिंदू-मुसलमान करने का आरोप लगाया। उन्होंने मनरेगा की तरह रोजगार गारंटी अधिनियम की वकालत की।
सभा का फजलुर्रहमान अंसारी और सौरव कुमार ने संचालन किया जो युद्देश का क्रांतिकारी गाना से शुरू हुआ। सभा को मुख्य वक्त के अलावा निजाम खान, इद्रीस अंसारी, जुबेर आदिल, वंदना चौबे, गुलजार अहमद, जुबेर अहमद, हाजी रहमतुल्लाह, मोविन अहमद, रमजान अली आदि ने संबोधित किया।
सम्मेलन में किसान समाज, मल्लाह समाज, डोम-धैकार समाज और बनारस का नागरिकों के अलग अलग प्रतिनिधि उपस्थित थे। बुनकरों की समस्या पर विस्तार में चर्चा हुई और आगे इन समस्याओं को लेकर जनआंदोलन खड़ा करने का बात हुआ।