दार्जिलिंग: जुझारू आंदोलन के बाद लॉन्गव्यू टी एस्टेट के श्रमिकों को मिली शानदार जीत

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग हिल्स के 145 साल पुराने लॉन्गव्यू टी एस्टेट के श्रमिकों की लंबित वेतन, पीएफ, बोनस, वेतन के नियमितीकरण आदि मांगें हुईं पूरी। एचपीईयू के नेतृत्व में आगे की लड़ाई जारी।
दार्जिलिंग। महीने भर के जुझारू आंदोलन के बाद पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग हिल्स में 145 साल पुराने चाय बागान लॉन्गव्यू टी एस्टेट के श्रमिकों को लंबित वेतन, पीएफ, बोनस, वेतन के नियमितीकरण और अन्य मुद्दों पर शानदार जीत हासिल हुई है।
हिल प्लांटेशन एम्प्लाइज यूनियन (एचपीईयू) के नेतृत्व में चले इस संघर्ष के बाद 6 सितंबर को त्रिपक्षीय बैठक में प्रबंधन को यूनियनों के साथ समझौता करने के लिए मजबूर होना पड़ा। एचपीईयू ने इस समझौते को लांगव्यू टी एस्टेट के श्रमिकों की शुरुआती जीत बताया है।

मांगों के अनुरूप समझौता
समझौते के तहत दिसंबर 2024 तक तीन किस्तों में श्रमिकों को लगभग 2 करोड़ की राशि जारी करने पर सहमति बनी। इसमें 6 महीने के लंबित वेतन, 2022 और 2023 का लंबित बोनस, ग्रेच्युटी, बकाया (पिछले दैनिक वेतन वृद्धि 210 रुपये से 232 रुपये और 232 रुपये से 250 रुपये) आदि शामिल हैं।
इसके तहत वेतन के नियमितीकरण और श्रमिकों के पीएफ से संबंधित अन्य मांगों पर सहमति बनी। साथ ही 58 वर्ष से अधिक आयु के श्रमिकों के वेतन से पीएफ अंश की अवैध कटौती को रोकने पर भी सहमति बनी। अतिरिक्त श्रम आयुक्त ने लगभग 15 करोड़ की बकाया पीएफ राशि की वसूली के लिए सहायता प्रदान करने का भी वादा किया। इस महीने तक देय 74 लाख रुपये की प्रतिबद्धता की पहली किस्त 10 सितंबर को श्रमिकों को दी गई है। दिसंबर में एक समीक्षा बैठक आयोजित की जाएगी।
हिल प्लांटेशन एम्प्लाइज यूनियन (एचपीईयू) के नेतृत्व में लांगव्यू टी एस्टेट के श्रमिकों की शुरुआती जीत एक ऐसी स्थिति में उम्मीद की किरण है, जब दार्जिलिंग हिल-तराई-डूआर्स क्षेत्र के लगभग 300 चाय बागानों के लगभग 8 लाख स्थायी और आकस्मिक श्रमिकों की हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है।

इसलिए मज़दूरों ने पकड़ी संघर्ष की राह
दार्जिलिंग हिल-तराई-डूआर्स क्षेत्र में 2015 में चाय उद्योग के त्रिपक्षीय समझौते में न्यूनतम मजदूरी लागू करने के निर्णय और उच्च न्यायालय के बार-बार आदेश के बावजूद आज तक लागू नहीं किया गया है। जबकि पिछली बढ़ोतरी में दैनिक मजदूरी 232 रुपये से बढ़कर केवल 250 रुपये हो गई है। मालिक और सरकार दोनों ही बागानों में नए निवेश को लेकर उदासीन हैं। मालिकों का एकमात्र उद्देश्य चाय की पत्तियों से अधिकतम लाभ कमाना है, जो केवल श्रमिकों के खून-पसीने की लूट के जरिए ही संभव है।
श्रमिकों को वैधानिक लाभ न देना, पीएफ जमा न करना, ग्रेच्युटी न देना, सेवानिवृत्ति की आयु के बाद भी उनसे काम करवाना, फ्रिंज-बेनिफिट से वंचित ठेका श्रमिकों का बड़े पैमाने पर उपयोग करना तथा विभिन्न तरीकों से काम का बोझ बढ़ाना आदि कई बागानों में आम बात हो गई है।
इन विभिन्न समस्याओं के बीच, लॉन्गव्यू चाय बागान के लगभग 300 श्रमिक पिछले 6 महीने के वेतन, पिछले दो वर्षों के बोनस बकाया, पिछले दो वेतन वृद्धि के बकाया और पीएफ आदि से वंचित हैं, जिनकी राशि लगभग 17 करोड़ रुपये है।
एचपीईयू के नेतृत्व में आगे बढ़ता गया संघर्ष
28 जुलाई 2024 को हिल प्लांटेशन एम्प्लाइज यूनियन (एचपीईयू) की लांगव्यू शाखा के गठन के अगले ही दिन 29 जुलाई को यूनियन सदस्यों ने शाखा पदाधिकारियों के साथ प्रबंधक एपी सिंह को शाखा इकाई के गठन की सूचना देते हुए 3 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। उसी दिन 2022 के लिए पिछले साल के बकाया बोनस के 9% में से 4% बीघा श्रमिकों को वितरित किया गया। यह श्रमिकों की छोटी व प्रतीकात्मक जीत थी।
लेकिन उस दिन 232 से 250 रुपये वेतन वृद्धि की पूरी बकाया राशि, 210 से 232 रुपये वेतन वृद्धि के बकाया का 40%, पिछले साल के बोनस सहित श्रमिकों को मिलने वाला भारी भरकम बकाया और कुल 45 दिनों के बकाया वेतन के बारे में कोई विशेष निर्णय नहीं लिया गया।
श्रमिक नेतृत्व ने प्रबंधक एपी सिंह को सूचित किया कि वे मांग पत्र पर वार्ता करने के लिए 5 अगस्त को फिर से उनके कार्यालय का दौरा करेंगे। लेकिन 5 अगस्त को मैनेजर साहब दफ्तर से गायब थे, सुनने में आया कि वे दिल्ली गए हैं। बात करने पर उन्होंने बताया कि वे वापस आने पर ही बात कर पाएंगे।
14 अगस्त को प्रबंधक के वापस आने की खबर पर 15 अगस्त को यूनियन सदस्यों और कार्यकर्ताओं के साथ परिसर में आम बैठक हुई। 17 अगस्त को कुछ अन्य बुनियादी मांगों को लेकर कर्मचारी प्रबंधन से मिलने गए। उस दिन चाय बनाने वाले पद पर कार्यरत 27 कर्मचारियों को एक महीने का वेतन मिला। यह मजदूरों की एकता की एक और छोटी जीत है, हालांकि उन्हें अभी भी 3 महीने का बकाया वेतन नहीं मिला।

चला एक जुझारू संघर्ष
17 अगस्त को यूनियन द्वारा प्रस्तुत अन्य मांगों पर आश्वासन के अलावा कोई ठोस निर्णय नहीं निकला। उस दिन से मजदूरों ने धरना कार्यक्रम शुरू कर दिया, लेकिन प्रबंधन की ओर से केवल मौखिक आश्वासन ही मिले। अंततः निर्णय बना कि मजदूर चाय की पत्तियां नहीं तोड़ेंगे, बल्कि बगीचे की सफाई व रख-रखाव के साथ अन्य कार्य जैसे दरांती, निराई, लहरा आदि करते रहेंगे।
इस निर्णय का उद्देश्य प्रबंधन-मालिकों को यह संदेश देना था कि वे बगीचे की देखभाल व रख-रखाव पर ध्यान दें, न कि केवल चाय तोड़ने व मुनाफा कमाने पर। हालांकि मजदूर इसका महत्व समझते हैं, लेकिन मालिक-प्रबंधन को केवल हरी पत्तियां बेचकर लाभांश गबन करना व मुनाफा कमाने का काम ही समझ में आता है। अन्यथा मालिक गोविंद गर्ग द्वारा कारखाना क्यों नहीं चलाया जा रहा है?
19 अगस्त को, श्रमिक फिर से कार्यालय में एकत्र हुए और कुछ समय के लिए धरना कार्यक्रम किया। लेकिन राखी के लिए गए प्रबंधक वापस नहीं लौटे। अंततः 20 अगस्त को, बागान के लगभग सभी श्रमिकों ने गारीधुरा पुलिस चौकी पर मार्च किया और प्रबंधक की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई और फिर सैकड़ों श्रमिकों ने कार्सियांग एएलसी कार्यालय जाकर अपनी बुनियादी मांगों को व्यक्त करते हुए एक ज्ञापन सौंपा।
एएलसी ने पीएफ समस्या को हल करने के बारे में कुछ अनुकूल टिप्पणियां कीं और यह भी कहा कि मालिक ने उन्हें बागान के बारे में सही स्थिति के बारे में गलत जानकारी दी है। एचपीईयू यूनियन ने उस दिन मालिक गोविंद गर्ग के साथ एक त्रिपक्षीय बैठक की मांग की। उसी दिन, प्रबंधन ने चार पाक्षिक देय वेतन में से एक का भुगतान करने की पेशकश की।
21 अगस्त को सुबह 11 बजे तक कार्यालय में धरना कार्यक्रम आयोजित कर मजदूर उद्यान रखरखाव के काम पर निकल पड़े। मजदूरों ने अपने हक के लिए धरना दिया, लेकिन मालिक-प्रबंधन ने काम नहीं तो वेतन नहीं, प्रबंधन के निर्देशानुसार काम नहीं करने पर दिहाड़ी नहीं देने का नोटिस लगाया।
21 अगस्त की शाम को कंपनी की ओर से एएलसी को संबोधित पत्र की प्रतिलिपि यूनियन को प्राप्त हुई, जिसमें आरोप लगाया गया था कि एचपीईयू ने बागान में काम बाधित किया है। मालिक के अनुसार जनवरी से अब तक 22 दिनों तक धरना-प्रदर्शन हो चुका है, जिसके परिणामस्वरूप बागान में काम ठप है। हालांकि यह झूठ है, क्योंकि एचपीईयू शाखा का गठन 28 जुलाई को हुआ था।
22 अगस्त की सुबह मजदूर फिर कार्यालय परिसर में बैठक कर मालिक-प्रबंधन की इस भयंकर दमनकारी नीति के बारे में एएलसी को एक पत्र लिखने का फैसला किया। 250 से अधिक मजदूर सिलीगुड़ी के दागापुर स्थित श्रमिक भवन पहुंचे और यूनियन ने औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के तहत एक श्रम विवाद दायर किया, जिसमें 48 घंटे के भीतर गोविंद गर्ग के साथ त्रिपक्षीय वार्ता की मांग की गई।
अगले ही दिन एएलसी, कार्सियांग ने लॉन्गव्यू चाय बागान में सभी सक्रिय ट्रेड यूनियनों को एक पत्र भेजकर 28 अगस्त, 2024 को त्रिपक्षीय बैठक की जानकारी दी। उसी दिन खबर मिली कि कंपनी ने गरीधुरा पुलिस चौकी को एक पत्र भेजा है, जिसमें यूनियन के सहायक सचिव सुमेंद्र तमांग और उपाध्यक्ष चेवांग योनज़ोन पर मजदूरों को भड़काने का बेबुनियाद आरोप लगाया गया है।

एचपीईयू का कहना है कि कंपनी औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत बागान स्तर पर ही मजदूर विवाद को सुलझाने के बजाय पुलिस थाने में पत्र भेजकर इसे शांति व्यवस्था की समस्या दिखाने की कोशिश कर रही है। क्या उन्हें कब्रिस्तान जैसी शांति चाहिए? अगर मजदूर उचित मजदूरी-वेतन-बोनस-बकाया मांगते हैं और मालिक को यह समस्या लगती है तो फिर वे देश के कानून का पालन करते हुए बागान कैसे चलाएंगे?
मज़दूरों ने इन षडयंत्रों को नज़रअंदाज़ किया और ज़्यादा एकजुट और दृढ़ निश्चयी होकर 28 अगस्त को त्रिपक्षीय बैठक के फ़ैसलों को सुनने के लिए बड़ी संख्या में एएलसी दफ़्तर पहुंचे। लेकिन मालिक नहीं आया। मालिक के दूसरे प्रतिनिधियों ने ‘घाटे’ और रोज़ाना की तोड़ाई के लक्ष्य को बढ़ाने के प्रस्ताव पर बात की।
मज़दूर प्रतिनिधियों ने कहा कि यह यहाँ चर्चा का विषय ही नहीं है और मालिक को आकर भारी बकाया के बारे में एक निश्चित प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए। एएलसी द्वारा एक हफ़्ते के भीतर अगली बैठक आयोजित करने, जिसमें गोविंद गर्ग भी शामिल होंगे, के आश्वासन के साथ बैठक समाप्त हुई।
इस दौरान रोज़ाना सुबह एक घंटे का विरोध प्रदर्शन जारी रहा।
आंदोलन ने कई समस्याओं और कठिनाइयों का सामना किया है, लेकिन लॉन्गव्यू टी गार्डन के मज़दूरों और कर्मचारियों की एकता अटूट रही और हर दिन मजबूत होती गई। बागान को बंद करने की धमकियाँ देने और कभी-कभी मज़दूरों की एकता के ख़िलाफ़ बदनामी का प्रचार करने के बावजूद मज़दूर डटे रहे।
एचपीईयू के नेतृत्व में लॉन्गव्यू चाय बागान के श्रमिकों ने शुरू में प्रबंधन के साथ द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से मांगों को हल करने की कोशिश की। धरना सहित द्विपक्षीय वार्ता चल रही थी। लेकिन मालिक की हठधर्मिता से विवाद जारी रहा।
दमन का किया डटकर सामना
28 अगस्त की त्रिपक्षीय वार्ता की विफलता के बाद, आंदोलन तेज हो गया विरोध प्रदर्शनों के बीच, क्षेत्रीय सत्तारूढ़ पार्टी और प्रबंधन द्वारा समर्थित गुंडों ने 5 सितंबर को मुख्य नेताओं में से एक और एचपीईयू लॉन्गव्यू शाखा सचिव, कार्यकर्ता संगीता छेत्री पर हमला किया।
इस घटना के संबंध में पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने के बाद गुंडों ने भी झूठी शिकायतें दर्ज कराईं, जो बाद में सुमेंद्र तमांग और चेवांग योनजोन के खिलाफ झूठे मामलों में बदल गईं। लेकिन मजदूरों ने एकजुट होकर और दृढ़ता से विरोध किया, बढ़ती संख्या में इकट्ठा होना शुरू कर दिया, इस अत्याचार के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई, दोषियों को सजा देने और झूठे मामलों को वापस लेने की मांग की।
अंततः संघर्ष लाया रंग, आगे की लड़ाई जारी
हिल प्लांटेशन एम्प्लाइज यूनियन (एचपीईयू) के नेतृत्व में चले इस संघर्ष के बाद 6 सितंबर को मालिक आए और त्रिपक्षीय बैठक के अंदर और बाहर भारी भीड़ का सामना करते हुए, प्रबंधन को सकारात्मक समझौता करने के लिए मजबूर होना पड़ा। लॉन्गव्यू टी एस्टेट के श्रमिकों को लंबित वेतन, पीएफ, बोनस, वेतन के नियमितीकरण और अन्य मुद्दों पर सहमति बनी।
एचपीईयू के नेतृत्व में मजदूर अब इस समझौते की शर्तों के उचित कार्यान्वयन के लिए सतर्क हैं और समझौते की शर्तों को लागू नहीं किए जाने पर भविष्य के संघर्षों की तैयारी कर रहे हैं।
चाय बागान श्रमिकों की माँग है कि सरकारें सभी चाय बागानों में उचित न्यूनतम मजदूरी तय करने और लागू करने, श्रमिकों का ठेकाकरण बंद करने, पट्टा अधिकारों को सुनिश्चित करने, बंद चाय बागानों को फिर से खोलने और चाय मजदूरों की समग्र समस्या का समाधान करने के लिए तुरंत कदम उठाएं।
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