हरिद्वार: राजा बिस्कुट के मजदूरों का सम्मानजनक समझौते के बाद 11 माह चला धरना समाप्त

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शोषण, बंदी, छँटनी के खिलाफ 330 दिन सतत आंदोलन। मजदूरों की सक्रिय भूमिका ने प्रबंधन को ग्रेचुइटी और बोनस व 55 लाख रुपए की राशि देने के समझौता के लिए बाध्य किया।

हरिद्वार (उत्तराखंड)। राजा बिस्कुट के मजदूरों का 11 माह से चल रहा धरना व जुझारू आंदोलन एक सम्मानजनक समझौते के बाद संपन्न हुआ और अनिश्चितकालीन धरना समाप्त हो गया। मजदूरों ने अपनी एकजुटता व संगठन तथा संयुक्त मोर्चा के साथ मिलकर आंदोलन में जीत हासिल की।

समझौते के तहत प्रबंधन ने जहां 17 सालों से काम करने वाले मजदूरों का फुल एण्ड फाइनल हिसाब 61 लाख रुपए देकर किया था। वहीं 1 साल की ग्रेचुइटी और बोनस का हिसाब तथा ओवरटाइम के केस को वापस लेने की स्थिति में 55 लाख रुपए की राशि देकर समझौता करने को बाध्य हुआ।

क्यों आंदोलित हुए थे राजा बिस्किट के मज़दूर?

हरिद्वार सिडकुल में अगस्त 2006 से राजा उद्योग ने जीरा बिस्किट, नमकीन बिस्किट, मीठा बिस्किट व चॉकलेट तथा बेकरी के बिस्किट बनाना शुरू किया। इस फैक्ट्री में 2017 तक 600 से 700 के करीब स्थाई मजदूर व 500 से 600 ठेका मजदूर कार्य करते थे। कोरोना काल में 36-36 घंटे राजा उद्योग के मजदूरों ने कार्य किया। उधर कंपनी ने कोलकाता, नोएडा, बनारस तथा दिल्ली में छोटे-छोटे 5-6 प्लांट खोल लिए थे।

2021 के बाद राजा उद्योग के प्रबंधन ने नई सब्सिडी और टैक्स की छूटों को पाने और पुराने स्थाई मज़दूरों से छुटकारा पाने के लिए हरिद्वार प्लांट में श्रमिकों को परेशान करके निकलना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे इस प्लांट में 2022 के शुरू में 300 मजदूर स्थाई रह गए थे। 118 मजदूरों ने 28 फरवरी 2022 को एक मांग पत्र श्रम विभाग हरिद्वार में लगाया था। 100 से अधिक मज़दूर त्यागपत्र दे चुके थे। 2022 के अंत तक मात्र 60 स्थाई मजदूरों द्वारा संघर्ष को आगे बढ़ाया गया।

कंपनी में काम करने के बाद मजदूरों से त्यागपत्र ले लिए जाते थे परंतु उनका हिसाब-किताब नहीं किया जाता था और टरका दिया जाता था। मज़दूरों के आंदोलन के बाद दो-तीन साल पहले काम छोड़ चुके बहुत से मजदूर जो को कम्पनी में बुलाकर त्यागपत्र पर हस्ताक्षर करवा कर हिसाब कर दिया। यह मजदूरों के संघर्ष के बल पर ही हुआ।

मज़दूरों ने शुरू किया आंदोलन

पीड़ित मज़दूरों ने श्रम विभाग हरिद्वार में एक मांग पत्र लगाया और स्थाई मजदूरों को नियुक्ति पत्र, पे स्लिप, क़ानूनी रूप से सारी सुविधाएं, अतिरिक्त काम का नियमानुसार दुगुना भुगतान व समय पर भुगतान आदि मांगें उठाई गयीं। इसके बाद 12 घंटे काम करने के बाद मिल रहा वेतन 8 घंटे काम पर मिलने लगा। इससे मजदूरों का मनोबल बढ़ा और संघर्ष ने नई गति पकड़ी।

कानूनी कार्यवाही एवं आन्दोलनात्मक कार्यवाही संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा के नेतृत्व में आगे बढ़ी। संघर्ष से मजदूरों का रूका हुआ दो माह का वेतन रिकवरी (आरसी) से मिली। साथ ही कुछ माह तक वेतन समय पर मिलता रहा। उत्पादन बंद होने के कारण कम्पनी ने ले ऑफ लगा दिया, केवल हस्ताक्षर करने पर आधी सैलरी मजदूरों ने प्राप्त की। यह सिलसिला छः महीने चला।

2 फरवरी 2023 को कंपनी प्रबंधन द्वारा कम्पनी गेट पर बंदी का नोटिस चस्पा कर दिया। इससे पूर्व प्रबंधन मजदूरों से कहता रहा कि जल्द ही फैक्ट्री खुलेगी। कंपनी ने सजिशन 6 फरवरी 2023 को सभी मजदूरों का 31 मार्च 2022 तक का फुल एण्ड फाइनल हिसाब मजदूरों के खातों में डाल दिया। इससे मजदूरों में काफी असंतोष हुआ। गौरतलब है कि कम्पनी बंदी का नोटिस 2 फरवरी 2023 को लग गया और ग्रेचुइटी और बोनस तथा अन्य हिसाब 31 मार्च 2022 तक का आया।

इससे मज़दूरों का आंदोलन और तेज हो गया। मज़दूरों ने ज़मीनी और क़ानूनी लड़ाई जारी रखी। मज़दूरों का धरना-प्रदर्शन सहित आन्दोलनात्मक गतिविधियां जारी रहीं। उधर श्रम अधिकारियों की मध्यस्थता में वार्ताएं चलने लगी। स्थानीय यूनियनों, संगठनों का सहयोग-समर्थन और आर्थिक चंद मिलने से आंदोलन में गति और उत्साह बना रहा।

मज़दूरों की एकजुट कार्यवाहियों से प्रबंधन को कोर्ट से गेट से धरना हटाने और मशीनें ले जाने की अनुमति नहीं मिल पाई। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद श्रम अधिकारी समझौता नहीं करा सके। हाईकोर्ट के आदेश पर उत्तराखंड के श्रम सचिव स्तर पर वार्ताएं हुईं, लेकिन मज़दूरों को न्याय नहीं मिला। मालिक के पक्ष में पुलिस की दखलंदाजी भी जारी रही। फिर भी मज़दूरों ने कंपनी से मशीनें नहीं जाने दीं। संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा भी आंदोलन को गति दे रहा था।

अंततः मज़दूरों के हक़ में हुआ समझौता

अंततः आंदोलन के दबाव में प्रबंधन ने जहां 17 सालों से काम करने वाले मजदूरों का फुल एण्ड फाइनल हिसाब 61 लाख रुपए देकर किया था। वहीं 1 साल की ग्रेचुइटी और बोनस का हिसाब तथा ओवरटाइम के केस को वापस लेने की स्थिति में 55 लाख रुपए की राशि देकर समझौता करने को प्रबंधन बाध्य हुआ।

मजदूरों ने अपनी एकजुटता व संगठन तथा संयुक्त मोर्चा के साथ मिलकर आंदोलन में जीत हासिल की। 55 लाख रुपए का चेक मजदूरों को दे दिया गया। 4 जनवरी 2024 को श्रम न्यायालय हरिद्वार में सभी मजदूरों द्वारा हस्ताक्षर हो चुके हैं। अनिश्चितकालीन धरना समाप्त हो चुका है।

हरिद्वार सिडकुल में राजा बिस्किट कम्पनी बंदी से पहले मजदूरों के वेतन के लिए, बाद में मजदूरों के बकाए भुगतान के लिए राजा बिस्किट के मजदूरों का दो साल से चल रहे आंदोलन एवं 11 माह से कम्पनी गेट पर अनिश्चितकालीन धरने का नेतृत्व संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा हरिद्वार एवं इंकलाबी मजदूर केन्द्र द्वारा किया गया।

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