पुस्तक लोकार्पण समारोह: राष्ट्रीय प्रश्न पर सही समझदारी बगैर भारत में मज़दूर क्रांति संभव नहीं

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लुधियाणा में अदारा ‘प्रतिबद्ध’ द्वारा पुस्तक लोकार्पण समारोह और विचार-चर्चा आयोजित: राष्ट्रीय प्रश्न को सिर्फ मार्क्सवादी विचारधारा की रोशनी में ही सही ढंग से समझा जा सकता है।

लुधियाणा (पंजाब)। रविवार को पंजाबी भवन, लुधियाणा में अदारा ‘प्रतिबद्ध’ द्वारा ‘कौमी सवाल और मार्क्सवाद’ (पंजाबी) पुस्तक (और इसका अंग्रेजी अनुवाद National Question and Marxism) लोकार्पण की गई। यह किताब मार्क्सवादी पत्रिका ‘प्रतिबद्ध’ के संपादक सुखविंदर द्वारा लिखी गई है। पुस्तक लोकार्पण समारोह के अवसर पर गंभीर विचार-चर्चा भी हुई।

कार्यक्रम की शुरूआत इजराइली हमले में मारे गई फिलिस्तीनी लोगों के लिए दो मिनट का मौन रख कर हुई। फिलिस्तीनी राष्ट्र के संघर्ष के पक्ष में और इजराइली व अमेरिकी साम्राज्यवादी हुक्मरानों के विरोध में आवाज बुलंद की गई। इसके बाद साथी नवजोत रायकोट ने पंजाबी क्रांतिकारी गीत ‘बागी’ पेश किया।

विचार-चर्चा के दौरान सबसे पहले सुखविंदर ने इस किताब में पेश सामग्री के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस किताब में प्रतिबद्ध के अलग-अलग अंकों में छपे चार लेख शामिल किए गए हैं – कौमी सवाल और मार्क्सवाद (National Question And Marxism), भारत विच कौमी मसला (National Question in India), पंजाब दा कौमी मसला’ (National Question of Punjab) और ‘भारत विच कौमी मसले उपर वख-वख समझां- इक आलोचनात्मक समीख्या’ (Various Understandings Of The National Question In India – A Critical Review)।

उन्होंने कहा कि यह किताब राष्ट्रीय प्रश्न पर सही समझ बनाने की दिशा में एक कोशिश है क्यों कि इसके बिना भारत में मज़दूर क्रांति संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय प्रश्न को सिर्फ मार्क्सवादी विचारधारा की रोशनी में ही सही ढंग से समझा जा सकता है। मार्क्सवाद ही है जो अन्य प्रश्नों की तरह ही राष्ट्रीय प्रश्न का सही हल पेश करता है। मार्क्सवाद द्वारा दिखाई राह पर चलते हुए समाजवादी सोवियत यूनियन ने राष्ट्रीय प्रश्न को कामयाबी से हल किया था।

उन्होंने कहा कि भारत में राष्ट्रीय प्रश्न हल नहीं हुआ है और बुनियादी प्रश्नों में से एक है। यहाँ सिर्फ कश्मीर और उत्तर पूर्व की राष्ट्रीयताएँ ही राष्ट्रीय उत्पीड़न का शिकार नहीं हैं बल्कि मुख्य भूमि भारत में मौजूद राष्ट्रीयताएँ भी राष्ट्रीय उत्पीड़न का शिकार हैं। यहाँ किसी भी राष्ट्रीयता को आत्म निर्णय का अधिकार हासिल नहीं है।

उन्होंने कहा कि मुख्य भूमि भारत या समूचे भारत में ही राष्ट्रीय प्रश्न की मौजूदगी से इनकार करना मार्क्सवादी समझ नहीं है। उन्होंने कहा कि मज़दूर वर्ग को राष्ट्रीयताओं के जनवादी अधिकारों के पक्ष में खड़े होना चाहिए।

पंजाब के राष्ट्रीय प्रश्न पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाबी राष्ट्रीयता को अनेकों टुकड़ों में बाँटा गया है। इसका एकीकरण होना चाहिए। चंडीगढ़ भी पंजाब में शामिल किया जाना चाहिए। इसकी नदियों के पानी की लूट बंद होनी चाहिए, रिपोरियन कानून लागू होना चाहिए। पंजाबी और अन्य सभी राष्ट्रीयताओं के लोगों को उनके भाषाई अधिकार मिलने चाहिए।

अध्यक्ष मंडल में शामिल डॉ. जोगा सिंह, प्रो. अजायब टिवाणा, डॉ. जगजीत चीमा और डॉ. सुखदेव ने भी विचार-चर्चा में हिस्सा लेते हुए विचार पेश किए। सभी ने कहा कि राष्ट्रीय उत्पीड़न का खात्मा होना चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि यह किताब राष्ट्रीय प्रश्न को समझने में काफ़ी मदद करती है और ज़रूर पढ़ी जानी चाहिए। एडवोकेट राजीव लोहटबद्धी और मास्टर दविंदर ने भी विचार पेश किए। मंच संचालन लखविंदर ने किया।

Book pdf- https://marxismeng.files.wordpress.com/2023/09/national-question.pdf

(अदारा ‘प्रतिबद्ध’ द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित)

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