विकट महंगाई के बीच आने वाले दिनों में खाने-पीने की चीजों के दाम होंगे बेलगाम

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भारत की खुदरा महंगाई सितंबर में बढ़कर 7.41% हो गई, जो पिछले महीने में 7% थी। महंगाई का यह स्तर दर्शाता है कि आरबीआईकी कोशिशें भी नाकाम रहीं।

Food Inflation: महंगाई से अभी कोई राहत नहीं मिलने वाली है. आने वाले दिनों में खाने-पीने की चीजों के दाम में आग लग सकती है. एसबीआई रिसर्च ने अपनी इकोरैप रिपोर्ट में कहा है कि अक्टूबर में भारत के कुछ हिस्सों में बेमौसम बारिश आने वाले महीनों में खाद्य महंगाई (Food Inflation) पर एक बड़ा नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बेमौसम बारिश ने खरीफ फसलों (Kharif Crops) को काफी प्रभावित की है.

खरीफ की फसलें ज्यादातर मॉनसून- जून और जुलाई के दौरान बोई जाती हैं और उपज अक्टूबर और नवंबर के दौरान काटी जाती है. यूपी जैसे राज्यों में बेमौसम बारिश सामान्य से 400% से अधिक थी. कुल मिलाकर भारत में अक्टूबर में अब तक सामान्य से 54% अधिक बारिश हुई है. यह मानता है कि अनाज के साथ सब्जियों, दूध, दालों और खाद्य तेलों की कीमतें, जो ओवरऑल कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) का एक चौथाई हिस्सा हैं, बढ़ रही हैं और आने वाले महीनों में हाई रहने की संभावना है.

एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 के दौरान जब भारत में अक्टूबर में बारिश सामान्य से 44% अधिक हुई थी तो 3 महीने का एवरेज फूड CPI 10.9% था, जो पिछले 3 महीनों में 4.9% था. इससे पता चलता है किआने वाले महीनों में बेमौसम बारिश का खाद्य महंगाई पर बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

बता दें कि भारत की खुदरा महंगाई सितंबर में बढ़कर 7.41% हो गई, जो पिछले महीने में 7% थी, जिससे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की लगातार तीसरी तिमाही के लिए 2-6% की संतोषजनक सीमा से ऊपर रही.

महंगाई का यह स्तर दर्शाता है कि आरबीआई अपना निर्दिष्ट दायित्व निभाने में असफल रहा है. दरअसल, आरबीआई अधिनियम की धारा 45ZN में प्रावधान है कि लगातार तीन तिमाहियों यानी लगातार नौ महीनों तक महंगाई के निर्धारित स्तर से ऊपर रहने पर केंद्रीय बैंक को अपनी नाकामी के बारे में सरकार को एक समीक्षात्मक रिपोर्ट सौंपनी होगी.

इस रिपोर्ट में आरबीआई को यह बताना होता है कि महंगाई को काबू में रख पाने में उसकी नाकामी की क्या वजह रही? इसके साथ ही आरबीआई को यह भी बताना होता है कि वह स्थिति को काबू में लाने के लिए किस तरह के कदम उठा रहा है.

इन वैधानिक प्रावधानों और महंगाई के मौजूदा स्तर को देखते हुए RBI ने 3 नवंबर को MPC की विशेष बैठक बुलाई है जिसमें सरकार को सौंपी जाने वाली रिपोर्ट को तैयार किया जाएगा. एमपीसी के छह-सदस्यीय पैनल की अगुवाई गवर्नर शक्तिकांत दास करेंगे. आरबीआई ने पिछले गुरुवार को जारी बयान में कहा था कि आरबीआई अधिनियम की धारा 45जेडएन के प्रावधानों के अनुरूप तीन नवंबर को एमपीसी की एक अतिरिक्त बैठक बुलाई जा रही है. यह धारा मुद्रास्फीति को तय दायरे में रख पाने में विफलता से जुड़े प्रावधान निर्धारित करती है.

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