मानेसर: निलंबन सहित विभिन्न माँगों को लेकर नपिनो ऑटो के मज़दूर हड़ताल पर

प्रबंधन की अड़ियलपन से उप श्रमआयुक्त की वार्ता विफल। मज़दूरों में प्रबंधन की हठधर्मिता व दमनकारी क़दम के साथ श्रम-विभाग द्वारा मामले को लटकाए रखने के कारण भी आक्रोश है।
मानेसर (हरियाणा)। अवैध निलंबन और माँगपत्र के निस्तारण की माँग के साथ ऑटो पार्ट्स बनाने वाली मशहूर कंपनी नपिनो ऑटो, मानेसर, गुड़गांव के मज़दूर हड़ताल पर हैं। इस बीच प्रबंधन के अड़ियल रुख के कारण उप श्रमआयुक्त द्वारा बुलाई गई वार्ता एक बार फिर विफल रही।
यूनियन के आह्वान पर मजदूरों ने पिछले तीन साल से लम्बित सामूहिक माँगपत्र के निस्तारण न होने तथा 6 श्रमिकों के निलम्बन के खिलाफ 14 जुलाई से हड़ताल शुरू की है। मज़दूरों में प्रबंधन की हठधर्मिता व दमनकारी नीतियों के साथ श्रम-विभाग द्वारा मामले को लटकाए रखने के कारण भी आक्रोश है।
दरअसल, नपिनो में यूनियन काफ़ी समय से मज़दूरों की माँगों को लेकर संघर्षरत है, पर प्रबन्धन द्वारा वार्ताकार समाधान की जगह मामले को लटकाए रखा गया है। इस दौरान कम्पनी स्टाफ़ के वेतन में हर साल बृद्धि होती रही, लेकिन मज़दूरों की तनख्वाह में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई।
मज़दूरों के अनुसार श्रम-विभाग भी प्रबन्धन की ही भाषा बोलता है। जबकि प्रबंधन स्पष्ट रूप से अनुचित श्रम अभ्यास में लगा हुआ है। मज़दूरों द्वारा कई बार कंपनी द्वारा श्रम क़ानूनों की धज्जियाँ उड़ाने को लेकर श्रम अधिकारियों से शिकायत की गयी है, पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
श्रम अधिकारियों के झूठे आश्वासन और खानापूर्ति से तीन साल से ज्यादा समय निकाल गया। श्रम अधिकारी की मध्यस्थता में पहले 2-3 बार लिखित में समझौते की बात के बावज़ूद इसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया। प्रबन्धन की तरफ से कोई भी उच्च अधिकारी किसी वार्ता में नहीं पहुंचता। उलटे श्रमिकों का निलंबन हो गया। ऐसे में मज़दूर हड़ताल करने पर मज़बूर हुए हैं।
इस बीच नवनियुक्त उप श्रमायुक्त ने समझौता वार्ता हेतु कार्यालय में बुलाया था लेकिन प्रबंधन के उसी अड़ियल रवैये के कारण बात आगे नहीं बढ़ पायी। अब 19 जुलाई को फ़िर से वार्ता है।
इधर मज़दूरों की हड़ताल लगातार जारी है। तीन दिन से काम बन्द है। उधर आंदोलन कमजोर करने के लिए प्रबंधन कारखाने का उत्पादन दूसरे कारखानों में ठेके पर करा रहा है।