एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड योजना 31 जुलाई तक लागू हो: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों से जुड़े मामले में सभी राज्य सरकारों को 31 जुलाई तक एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना लागू करने के निर्देश जारी किए हैं जिसके तहत प्रवासी श्रमिक देश के किसी भी हिस्से से राशन लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के मामले में केंद्रीय श्रम मंत्रालय के नकारात्मक और उदासीन रवैया की भी आलोचना की। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और एमआर शाह की पीठ ने प्रवासी श्रमिकों के लाभ के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को अन्य कई निर्देश जारी किए।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 31 जुलाई तक असंगठित और प्रवासी श्रमिकों को पंजीकृत करने के लिए एनआईसी, राज्य सरकारों और जिम्मेदार संस्थाओं के परामर्श से एक राष्ट्रीय पोर्टल विकसित करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने श्रम मंत्रालय को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रवासी मजदूरों के मामले में नेशनल डेटाबेस फॉर अनॉर्गनिज्ड वर्कर्स (एनडीयूडब्लू प्रोजेक्ट) को तैयार करने को श्रम मंत्रालय ने जिस तरीके से नजरअंदाज किया है वह अक्षम्य है।
प्रवासी श्रमिकों को लेकर यह एक बड़ा फैसला है क्योंकि यह प्रक्रिया पिछले 2018 से कोर्ट के आदेश के बावजूद ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। प्रवासी मजदूरों को किसी भी प्रकार की सामाजिक- आर्थिक सुविधा उपलब्ध कराने के लिए उनका पंजीकरण करना एक आवश्यक प्रक्रिया होगी ताकि डेटाबेस के आधार पर किसी भी योजना को लागू किया जा सके। राज्य सरकार और केंद्र सरकार तक ने आरटीआई से मांगी गई सूचनाओं में यह बताया था कि उनके पास अपने राज्य में रह रहे प्रवासी मजदूरों से संबंधित कोई आंकड़ा नहीं है।
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों को जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उनके लिए खाद्यान्न वितरण के लिए योजनाएं तैयार करने और केंद्र से राज्य सरकारों की मांगों के अनुसार खाद्यान्न आवंटित करने का निर्देश देते हुए एक बार फिर से कोरोनो वायरस महामारी के बीच जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करने के लिए सूखा राशन वितरण और सामुदायिक रसोई के संचालन का निर्देश दुहराया।
यह फैसला अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप कोचर द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान सुनाया गया। पिछले लॉकडाउन के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों की अमानवीय स्थिति पर संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किए थे।