औद्योगिक हड़ताल व ग्रामीण बंद: देशभर से एक आवाज- मज़दूर, किसान व जन विरोधी नीतियाँ रद्द करो!

इस दौरान कॉरपोरेट व सांप्रदायिक गठजोड़ की विनाशकारी, विभाजनकारी नीतियों को खत्म करने तथा मज़दूर, किसान व जन-समर्थक नीतियाँ लागू करने की मांग हुई। देखें विविध संघर्ष की झलक…

संयुक्त किसान मोर्चा और संयुक्त ट्रेड यूनियन के आह्वान पर 16 फरवरी को राष्ट्रव्यापी जन गोलबंदी के साथ औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और ग्रामीण बंद रहा। इसका असर उत्तर से लेकर दक्षिण तक पूरे भारत में देखा गया। इसमें छात्र, शिक्षक, युवा, महिलाएँ, नौकरीपेशा लोग, कलाकार, लेखक और अन्य सामाजिक आंदोलन से जुड़े लोग भी शामिल हुए।

देशभर के संघर्षशील मज़दूर संगठनों/ट्रेड यूनियनों के साझा मंच मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) ने औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और भारत ग्रामीण बंद का समर्थन करते हुए बयान जारी किया था और इससे जुड़े संगठनों/यूनियनों ने जगह-जगह भागीदारी निभाई।

देशव्यापी आयोजन की कड़ी में राजधानी दिल्ली में जंतर मंतर पर प्रर्दशन हुआ।

दिल्ली : मंगोल पुरी औद्योगिक क्षेत्र में प्रदर्शन

इस मौके पर जगह-जगह जुलूस निकाले गए। कुछ जगहों पर धरने और प्रदर्शन की भी खबरें हैं। पूरे पंजाब में बंद की स्थिति रही तो तमिलनाडु में रोड जाम हुआ। पंजाब और हरियाणा में किसानों ने टोल फ्री करने के साथ ही अलग-अलग तरीके से इसको संचालित किया। विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गांवों में दुकानें, उद्योग, बाजार और शैक्षणिक संस्थान और सरकारी कार्यालय बंद रहे। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों सेब किसान पुलिस और अर्धसैनिक बलों के दमन के शिकार हुए।

कोयला क्षेत्र, सड़क परिवहन, एनएमडीसी, बीएचईएल और कई प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र/जोन हड़ताल पर चले गये। कई राज्यों में राज्य सरकार के कर्मचारी एक्शन पर थे, जिनमें से कुछ हड़ताल में भी शामिल थी। बैंक और बीमा क्षेत्र, बिजली, दूरसंचार, इस्पात, तांबा और तेल क्षेत्र से जुड़े लोगों ने कार्यस्थलों पर विरोध-प्रदर्शन आयोजित किए और संयुक्त जुलूसों और बैठकों में भाग लिया। 

कई राज्यों में टैक्सी और ऑटो चालक समर्थन में प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आए। कई जगह फेरीवाले/विक्रेता संघ, निर्माण और बीड़ी श्रमिक, घरेलू श्रमिक और घरेलू कामगार जुलूसों और सड़क रोको का हिस्सा थे। आंगनवाड़ी, आशा, मध्याह्न भोजन और अन्य विभिन्न योजनाओं के कर्मचारी प्रदर्शनों में शामिल थे।

हरियाणा में विभिन्न संगठनों, कर्मचारी यूनियन, आंगनबाड़ी वर्कर्स, आशा वर्कर, बिजली निगम, पीडब्ल्यूडी विभाग व नगर निगम के कर्मचारियों ने हड़ताल में शामिल होकर शहर में जुलूस निकालते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

प्रदर्शन के दौरान कॉरपोरेट व सांप्रदायिक गठजोड़ की विनाशकारी, विभाजनकारी नीतियों को खत्म करने तथा मज़दूर समर्थक, किसान-समर्थक जन-समर्थक नीतिया लागू करने की मांग की गई।

मज़दूर विरोधी 4 लेबर कोड को रद्द करने, सभी फसलों के एमएसपी+50% की गारंटी, अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने और उन पर हत्या का मामला दर्ज़ करने, छोटे और मध्यम किसान परिवारों को व्यापक ऋण माफी, श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन 26,000/- रुपये प्रतिमाह, आशा, आंगनवाड़ी यदि स्कीम वर्कर को सरकारी कर्मी घोषित करने, मौलिक अधिकार के रूप में रोजगार की गारंटी, रेलवे, रक्षा, बिजली कोयला, तेल इस्पात, डाक, परिवहन, हवाई अड्डे, बंदरगाह और गोदी, बैंक, बीमा आदि उपक्रमों के निजीकरण पर रोक लगाने, शिक्षा और स्वास्थ्य के निजीकरण पर रोक लगाने, 200 दिनों के काम और 600/- रुपए दैनिक वेतन के साथ मनरेगा को मजबूत करने, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, संगठित व असंगठित सभी श्रमिकों को पेंशन और सामाजिक सुरक्षा, आईपीसी/सीआरपीसी में किए गए कठोर संशोधनों को निरस्त करने आदि मांगो को व्यापक रूप में उठाया गया।

दिल्ली और आस-पास किसानों-मजदूरों की राहों में मोदी सरकार द्वारा कांटे बोने और उन पर टियर गैस, रबर बुलेट छोड़ उनका दमन किए जाने की कार्रवाई पर गहरा आक्रोश जाहिर किया। नेतृत्वकारियों ने कहा कि मोदी सरकार देश को बर्बाद करने पर तुली हुई है। अपने आका अडानी-अम्बानी के लाभ के लिए मजदूरों-किसानों व आम नागरिकों को लगातार लूट रही है।

संयुक्त किसान मोर्चा का बयान-

संयुक्त किसान मोर्चा ने जारी बयान में कहा कि व्यापक और सफल रहा ग्रामीण भारत बंद, औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल, यह संघर्ष पूरे भारत में किसानों, श्रमिकों और ग्रामीणों के गुस्से को दर्शाता है। लोकसभा के आम चुनाव से ठीक पहले लोगों की आजीविका के मुद्दों को राष्ट्रीय एजेंडे में वापस लाने में सफलता मिली। मजबूत हुई मजदूर-किसान एकता, आम जनता की एकता की ओर बढ़े कदम। आम जनता के बीच अलग-थलग पड़ते प्रधानमंत्री सांप्रदायिक, धार्मिक विवादों की ओर भटका रहे लोगों का ध्यान।

एसकेएम ने कहा कि प्रधानमंत्री लोगों को मूर्ख बनाने के लिए ‘गुप्त वार्ता’ के लिए शंभू सीमा पर आंदोलनकारियों के पास मंत्रियों को भेज रहे हैं। जिस एमएसपी समिति का गठन किया गया था, उसके सदस्यों ने खुले तौर पर एमएसपी देने का विरोध किया था।

एसकेएम का आंदोलन लखीमपुर खीरी नरसंहार के अपराधियों को जेल भेजने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। एसकेएम आंदोलन तेज करेगा। इसके लिए 18 फरवरी को एसकेएम की पंजाब इकाई की बैठक और उसके बाद नई दिल्ली में एनसीसी और जीबी की बैठक होगी।

देशव्यापी प्रदर्शन की झलक-

उत्तराखण्ड

रुद्रपुर में सभा और जलूस-

रामनगर (नैनीताल) में दो पहिया वाहन रैली का आयोजन-

हल्द्वानी-

हरिद्वार-

अल्मोड़ा-

बिहार

ग्रामीण मजदूर यूनियन, बिहार प्रखंड काराकाट में प्रदर्शन-

पटना-

बिहार निर्माण व संगठित श्रमिक यूनियन तथा हिट एंड रन कानून विरोधी संघर्ष समिति का प्रदर्शन-

भागलपुर-

सीतामढ़ी-

उत्तरप्रदेश-

बरेली-

सोनभद्र के अनपरा तापीय परियोजना गेट पर धरना-

अम्बुजा सीमेंट, दादरी, गौतमबुद्धनगर-

पंजाब

इन्कलाबी मजदूर केन्द्र पंजाब के वर्कर-

राजस्थान

जयपुर-

मध्य प्रदेश

हरियाणा

कुरुक्षेत्र-

जन संघर्ष मंच, हरियाणा

यमुना नगर

21 सूत्रीय मांगों का चार्टर

  1. मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण रखें, भोजन, दवाओं, कृषि-इनपुट और मशीनरी जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी हटाएं, पेट्रोलियम उत्पादों और रसोई गैस पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में काफी कमी करें।
  2. वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, दिव्यांगों, खिलाड़ियों को दी जाने वाली रेलवे रियायतें, जो कोविड के बहाने वापस ले ली गई थीं, बहाल की जाएं।
  3. खाद्य सुरक्षा की गारंटी और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाना।
  4. सभी के लिए मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और स्वच्छता के अधिकार की गारंटी।  नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को रद्द करें।
  5. सभी के लिए आवास सुनिश्चित करें।
  6. वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) और भूमि अधिग्रहण पुनर्वास, पुनर्स्थापन अधिनियम (एलएआरआर अधिनियम) 2013 का कड़ाई से कार्यान्वयन;  वन (संरक्षण) अधिनियम, 2023 और जैव-विविधता अधिनियम और नियमों में संशोधन वापस लें जो केंद्र सरकार को निवासियों को सूचित किए बिना जंगल की निकासी की अनुमति देते हैं।  जोतने वाले को भूमि सुनिश्चित करें।
  7. राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन रु. 26000/- प्रति माह।
  8. भारतीय श्रम सम्मेलन नियमित रूप से बुलाना।
  9. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, सरकारी विभागों का निजीकरण बंद करें और राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को ख़त्म करें।  खनिजों और धातुओं के खनन पर मौजूदा कानून में संशोधन करें और स्थानीय समुदायों, विशेषकर आदिवासियों और किसानों के उत्थान के लिए कोयला खदानों सहित खदानों से लाभ का 50% हिस्सा सुनिश्चित करें।
  10. बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 वापस लें। कोई प्री-पेड स्मार्ट मीटर नहीं।
  11. काम के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया जाये।  स्वीकृत पदों को भरें और बेरोजगारों के लिए रोजगार पैदा करें।  मनरेगा का विस्तार और कार्यान्वयन (प्रति वर्ष 200 दिन और 600 रुपये प्रति माह मजदूरी)।  शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम बनायें।
  12. किसानों को बीज, उर्वरक और बिजली पर सब्सिडी बढ़ाएं, किसानों की उपज के लिए एमएसपी @ सी-2+50% की कानूनी गारंटी दें और खरीद की गारंटी दें।  किसानों की आत्महत्याओं को हर कीमत पर रोकें।
  13. कॉर्पोरेट समर्थक पीएम फसल बीमा योजना को वापस लें और जलवायु परिवर्तन, सूखा, बाढ़, फसल संबंधी बीमारियों आदि के कारण किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सभी फसलों के लिए एक व्यापक सार्वजनिक क्षेत्र की फसल बीमा योजना स्थापित करें।
  14. सभी कृषक परिवारों को कर्ज के जाल से मुक्त करने के लिए व्यापक ऋण माफी योजना की घोषणा करें।
  15. केंद्र सरकार द्वारा दिए गए लिखित आश्वासनों को लागू करें, जिसके आधार पर ऐतिहासिक किसान संघर्ष को निलंबित कर दिया गया था: सभी शहीद किसानों के लिए सिंघू सीमा पर स्मारक, मुआवजा दें और उनके परिवारों का पुनर्वास करें, सभी लंबित मामलों को वापस लें, अजय मिश्रा टेनी, संघ पर मुकदमा चलाएं  गृह राज्य मंत्री.
  16. चार श्रम कोड वापस लें, कोई निश्चित अवधि का रोजगार नहीं और काम पर समानता और सुरक्षा सुनिश्चित करें।  श्रम का आकस्मिककरण बंद करें.  असंगठित श्रमिकों की सभी श्रेणियां, जैसे घर-आधारित श्रमिक, फेरीवाले, कूड़ा बीनने वाले, घरेलू श्रमिक, निर्माण श्रमिक, प्रवासी श्रमिक, योजना श्रमिक, कृषि श्रमिक, दुकान/प्रतिष्ठानों में श्रमिक, लोडिंग/अनलोडिंग श्रमिक, गिग श्रमिक, नमक-  पैन श्रमिकों, बीड़ी श्रमिकों, ताड़ी निकालने वालों, रिक्शा चालकों, ऑटो/रिक्शा/टैक्सी चालकों, प्रवासी श्रमिकों, मछली पकड़ने वाले समुदाय आदि को पंजीकृत किया जाए और पेंशन सहित व्यापक सामाजिक सुरक्षा में पोर्टेबिलिटी दी जाए।
  17. निर्माण श्रमिकों को कल्याण निधि से योगदान के साथ ईएसआई कवरेज दें, ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत सभी श्रमिकों को स्वास्थ्य योजनाओं, मातृत्व लाभ, जीवन और विकलांगता बीमा का कवरेज भी दें।
  18. घरेलू कामगारों और गृह-आधारित कामगारों पर आईएलओ कन्वेंशन की पुष्टि करें और उचित कानून बनाएं।  प्रवासी श्रमिकों पर व्यापक नीति बनाएं, उनके सामाजिक सुरक्षा कवर की पोर्टेबिलिटी प्रदान करते हुए मौजूदा अंतर-राज्य प्रवासी श्रमिक (रोजगार का विनियमन) अधिनियम, 1979 को मजबूत करें।
  19. एनपीएस ख़त्म करें, ओपीएस बहाल करें और सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करें।  न्यूनतम पेंशन रु.10000 प्रति माह सुनिश्चित करें।
  20. अत्यधिक अमीरों पर कर लगाएं;  कॉर्पोरेट टैक्स बढ़ाएँ;  संपत्ति कर और उत्तराधिकार कर पुनः लागू करें।
  21. हिट एंड रन प्रावधानों सहित भारतीय न्याय संहिता के कठोर प्रावधानों को वापस लें।