रुद्रपुर: हल्द्वानी घटना पर संगठनों ने दिया ज्ञापन; सुप्रीम कोर्ट के अवकाश प्राप्त जज से जांच की मांग

भारत की राष्ट्रपति और देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के नाम डीएम के मार्फत पांच सूत्री मांगों का भेजा गया ज्ञापन; हल्द्वानी बनभूलपुरा में हुई हिंसा की न्यायिक जांच कराने आदि मांग।

रूद्रपुर (उत्तराखंड)। आज 12 फरवरी को महामहिम राष्ट्रपति महोदया,भारत सरकार व माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय ,भारत ,सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली को जिलाधिकारी ऊधम सिंह नगर, उत्तराखंड के माध्यम से एक ज्ञापन रुद्रपुर के मजदूर संगठन, सामाजिक संगठन, मजदूर यूनियनों द्वारा एक ज्ञापन 8 फरवरी को हल्द्वानी बनभूलपुरा में हुई हिंसा की न्यायिक जांच कराने के संदर्भ में दिया गया।

ज्ञापन में बताया गया कि 8 फरवरी को हल्द्वानी के मुस्लिम बहुल बनभूलपुरा क्षेत्र में कथित रूप से सरकारी भूमि पर अवैध मदरसे व मस्जिद को प्रशासन द्वारा ढहाये जाने के बाद हुई हिंसा,आगजनी, पथराव व पुलिस फायरिंग में 5 लोगों की मौत हो गई और आम जनता, पत्रकार पुलिस कर्मी सहित सैकड़ों लोग घायल हो गए। घटना के पश्चात हल्द्वानी नगर निगम क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया गया। यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। हम रुद्रपुर के मजदूर संगठन, सामाजिक संगठन, मजदूर यूनियन इस घटना की कठोर शब्दों में निन्दा करते हैं, शांति कायम करने की अपील करते हैं।

साथ ही कहा गया कि जिस मदरसे और मस्जिद को ढहाने के पश्चात इतनी बड़ी घटना अप्रिय घटित हुई है वह मामला उच्च न्यायालय, नैनीताल में विचाराधीन है और 14 फरवरी को उस मामले में सुनवाई होनी थी। हल्द्वानी नगर निगम द्वारा सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण को लेकर जब मदरसे व मस्जिद को नोटिस जारी किया गया तब से ही स्थानीय लोगों द्वारा इसका विरोध किया गया और उच्च न्यायालय में इसका केस होने की बात कही गई थी। पहले प्रशासन की 4 फरवरी रविवार को मदरसे और मस्जिद को ध्वस्त करने की योजना थी। अचानक 3 फरवरी की देर रात प्रशासन द्वारा मदरसे और मस्जिद को सील कर दिया गया था। तब फिर ऐसी कौन सी आपात स्थिति पैदा हो गई की प्रशासन ने आनन-फानन में भारी फोर्स लगाकर 8 फरवरी को विवादित निर्माण को ध्वस्त कर दिया गया।

ज्ञापन में कहा गया कि महामहिम राष्ट्रपति महोदया /महोदय उक्त मामले में सफिया मलिक की याचिका पर 14 फरवरी 2024 को उच्च न्यायालय में सुनवाई होनी है। इसके अतिरिक्त बनभूलपुरा क्षेत्र में अतिक्रमण ध्वस्तीकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने भी पूर्व में अग्रिम आदेशों तक के लिए रोक लगाई हुई है और वहां भी सुनवाई जारी है। किन्तु शासन प्रशासन द्वारा उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय पर भरोसा करते हुए न्यायालय के अग्रिम आदेशों तक इंतजार करने के स्थान पर खुद ही तुरत फुरत उक्त कार्यवाही करना संदेह पैदा करता है।

शासन प्रशासन की इस कार्यवाही से कई लोगों की अकाल मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। और संपत्ति का भी भारी नुक़सान हुआ, और सामाजिक व सांप्रदायिक सद्भाव को गंभीर हानि हुई। आम जनमानस का जीवन कर्फ्यू के कारण अस्त व्यस्त हो गया। स्कूल- कालेज बंद होने से छात्रों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, इस घटना से उत्तराखंड राज्य व हमारे प्यारे भारत देश की छवि दुनिया भर में खराब हुई है।

सत्ता में मौजूद फासीवादी ताकतें पूरे देश में सांप्रदायिक विभाजन की राजनीति कर रही हैं। उत्तराखंड को भी इसी नफरत भरी राजनीति की प्रयोगशाला बनाने की कोशिशें हो रही है । प्रशासन की यह कार्यवाही संदेह पैदा करती है कि विवादित स्थल को पहले सील करना फिर समान नागरिक संहिता पारित होने के ठीक अगले दिन हल्द्वानी में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के मकसद से तो यह कार्यवाही तो नही की गई। इन परिस्थितियों की निष्पक्ष जांच की जरूरत है।

पूर्व में भी बनभूलपुरा बस्ती को हटाने की तैयारी प्रशासन ने की थी। तब सर्वोच्च न्यायालय ने जनता को राहत देते हुए इस पर स्टे दिया था और वर्तमान में मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है।

अंत में ज्ञापन में कहा गया कि इसके मद्देनज़र हम आपसे उक्त अप्रिय घटनाक्रम पर तत्काल स्वतः संज्ञान लेने की अपील करते हुए मांग करते हैं कि :

1- सर्वोच्च न्यायालय के किसी अवकाश प्राप्त न्यायाधीश, जो कि वर्तमान में किसी अन्य सरकारी संस्था के पद पर न हों, के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन कर इस पूरे प्रकरण की 15 दिनों के भीतर निष्पक्ष न्यायिक जांच करायी जाये और इस कमेटी में आम जनता का भी प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित हो ।

2- नैनीताल जिले के डीएम और एसएसपी, एसडीएम हल्द्वानी और सिटी मजिस्ट्रेट हल्द्वानी को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए ।

3- राज्य सरकार व प्रशासन को निर्देशित किया जाय कि इस तरह की घटनाओं से निपटने के नाम पर भीषण पुलिसिया प्रतिहिंसा के स्थान पर कानून और संविधान के दायरे में रहकर ही कार्यवाही होनी चाहिए।

4- पुलिस फायरिंग में मारे लोगों के परिजनों और घायलों को उचित मुआवजा दिया जाए।और घायलों के समुचित उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ।

5- सरकार व प्रशासन कर्फ्यूग्रस्त इलाके में लोगों को दैनिक उपभोग की जरूरत की सामग्री उपलब्ध कराये।

ज्ञापन की कार्यवाही में क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के शिवदेव सिंह, इंकलाबी मजदूर केंद्र के दिनेश चंद्र, मजदूर सहयोग केंद्र के अमर सिंह व सुखदेवी, इंट्रार्क मज़दूर संगठन के सौरभ कुमार व फिरोज खान, भाकपा माले के ललित मरियाली, अमनदीप कौर मासा के कैलाश चंद, भाकपा के पूर्व सचिव राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, दर्शन सिंह, समता सैनिक दल से गोपाल सिंह गौतम राजेश कुमार, लुकास टीवीएस मजदूर संघ से मनोहर सिंह आदि लोग शामिल रहे।

भूली-बिसरी ख़बरे