चुनाव खत्म, मूल्य वृद्धि तेज; 6 दिनों में 5 बार बढ़ी डीजल-पेट्रोल की कीमतें

उत्तरप्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले 4 नवंबर, 2021 से ही पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें स्थिर कर दी गईं थीं, भाजपा की जीत के साथ अब रोज बढ़ रही हैं।

नई दिल्ली: पेट्रोल की कीमतों में 50 पैसे प्रति लीटर और डीजल की कीमत में रविवार को 55 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई. पिछले छह दिन में पांचवी बार कीमत में बढ़ोतरी की गई है.कुल मिलाकर छह दिनों में पेट्रोल की कीमत 3.70 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 3.75 रुपये प्रति लीटर बढ़ी है.

सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियों की तरफ से जारी मूल्य संबंधी अधिसूचना के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 98.61 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर अब 99.11 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 89.87 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 90.42 रुपये प्रति लीटर हो गई है.

पेट्रोल और डीजल के कीमतों में देश भर में वृद्धि की गई है, लेकिन इनके दाम स्थानीय कर के आधार पर अलग-अलग राज्यों में भिन्न हैं.मुंबई में 53 पैसों की वृद्धि के साथ पेट्रोल की कीमत अब 113.88 रुपये प्रति लीटर और 58 पैसों की वृद्धि के साथ डीजल 98.13 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं.

चेन्नई में पेट्रोल की कीमत 104.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 95.00 रुपये प्रति लीटर हो गई है. कोलकाता में पेट्रोल की कीमत 108.53 रुपये और डीजल 93.57 रुपये प्रति लीटर हैं.पिछले चार मौकों पर ईंधन की कीमतों में 80 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि की गई थी. जून 2017 में दैनिक मूल्य संशोधन पेश किए जाने के बाद से यह एक दिन में सबसे तेज वृद्धि है.

पेट्रोल तथा डीजल की कीमत साढ़े चार महीने तक स्थिर रहने के बाद 22 मार्च को 80 पैसे बढ़ाई गई थी. इसके बाद से इनकी कीमतों में प्रति लीटर 80-80 पैसे की तीन बार बढ़ोतरी की गई. इन कुल चार बार में पेट्रोल और डीजल के दाम में कुल 3.20 प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है.

उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले चार नवंबर, 2021 से ही पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें स्थिर बनी हुई थीं. हालांकि, इस अवधि में कच्चे तेल की कीमत 30 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ गई थी.

विधानसभा चुनाव के 10 मार्च को नतीजे आने के साथ ही पेट्रोल एवं डीजल के दाम में बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही थी. ऐसा कहा जा रहा है कि अब पेट्रालियम विपणन कंपनियां अपने घाटे की भरपाई कर रही हैं. भारत अपनी तेल की जरूरत पूरी करने के लिए आयात पर 85 फीसदी निर्भर है.

द वायर से साभार

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