संयुक्त किसान मोर्चा के छह सूत्रीय माँगपत्र का जवाब क्यों नहीं देती मोदी सरकार?

मोर्चे पर एक और किसान की मौत। पीएम को भेजे छह प्रमुख माँगों संबंधित पत्र पर अबतक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। …एसकेएम ने भोपाल कॉर्पोरेट त्रासदी के पीड़ितों के साथ एकजुटता प्रकट की।

★ भारत सरकार की ओर से अभी तक कोई औपचारिक आश्वासन नहीं मिलने के कारण किसान अपनी लंबित मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में, जहां एसकेएम ने किसान आंदोलन को वापस लेने के लिए एक पूर्व शर्त के रूप में छह प्रमुख मांगें उठाई थीं, के जवाब में सरकार से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

★ इस बीच, दिल्ली की सीमाओं और अन्य जगहों पर दर्जनों स्थानों पर पक्का मोर्चा जारी है, जो विरोध कर रहे किसानों के अनुशासन और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।

★ एसकेएम ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में जिन छह मुद्दों का जिक्र किया है उनमें से एक प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने का था। विशेष रूप से भाजपा शासित राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में हजारों किसानों के खिलाफ सैकड़ों बेबुनियाद और झूठे मामले दर्ज किए गए हैं। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह केवल हरियाणा के मामलों के बारे में नहीं है बल्कि हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भी मामले हैं।

★ इस बीच, यह देखा जा रहा है कि भाजपा नेता खुद यूपी भाजपा सरकार पर किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए दबाव डाल रहे हैं क्योंकि राज्य में चुनाव नजदीक हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक वीडियो संदेश में, यूपी विधायक रोमी शाहनी को गन्ना किसानों के बकाया का भुगतान करने की गुहार लगाते हुए सुना जा सकता है।

★ हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि वह राज्य के किसान नेताओं को अनसुलझे मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित करेंगे। यह स्पष्ट है कि भाजपा नेता और उसकी राज्य सरकारें केंद्र सरकार से एक संकेत की प्रतीक्षा कर रही हैं, और इस प्रकार यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह लंबित मांगों पर तत्काल कार्यवाही करे।

★ कल एक और किसान गिरिराज संत को इस आंदोलन के लिए अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी। केएमपी-केजीपी इंटरचेंज के पास एक मोर्चा में उनका निधन हो गया, जहां वे पिछले साल से विरोध में बैठे थे। एसकेएम आंदोलन के शहीदों के परिजनों के पुनर्वास की अपनी मांग पर भारत सरकार के जवाब का इंतजार कर रहा है।

★ बहुराष्ट्रीय कंपनियों की वजह से हुई भोपाल गैस त्रासदी की आज 37वीं बरसी है। फैक्टरी रसायनों से होने वाला प्रदूषण आज भी लोगों को ज़हर देता है, वहीं डॉव कैमिकल्स जैसे निगम विषाक्तता के लिए उत्तरदायी होने के बजाय बच कर निकल जाने में सक्षम है। जैसा कि ज्ञात है, तत्कालीन यूनियन कार्बाइड फैक्टरी घातक कीटनाशकों का निर्माण कर रही थी, जब गैस रिसाव हुआ था, और इस आपदा का किसानों और खेती के निगमीकरण से स्पष्ट संबंध है।

एसकेएम भोपाल में न्याय के लंबित मुद्दों को सही मानता है, और दोहराता है कि सार्वजनिक नीति निर्माण में आम नागरिकों के हितों को हमेशा कॉर्पोरेट हितों के ऊपर होना चाहिए। एसकेएम भोपाल कॉर्पोरेट आपदा के पीड़ितों के साथ एकजुटता में खड़ा है।

संयुक्त किसान मोर्चा प्रेस बुलेटिन (372वां दिन, 3 दिसंबर 2021)

जारीकर्ता – बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव।

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