एक और हादसा : बॉयलर में ब्लास्ट, 6 मज़दूरों की मौत, दर्जनों घायल
तमिलनाडु : नेवेली लिग्नाइट में कार्यरत हैं 27000 कर्मचारी, अभी कई मज़दूर हैं फंसे हुए
कोरोना/लॉकडाउन के दरमियान विगत 3 माह के दौरान हादसों और मज़दूरों की मौत का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। ताजा घटना तमिलनाडु स्थित नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन के बॉयलर में विष्फोट की है, जिसमें अबतक 6 लोगों की मौत हो गई है जबकि दर्जनों घायल बताए जा रहे हैं।
नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन के बॉयलर में उस वक्त ब्लास्ट हुआ जब यहां कर्मचारी अपने काम में व्यस्त थे। न्यूज एजेंसी ‘पीटीआई’ ने खबर दी है कि कई लोग अभी थर्मल प्लांट में फंसे हो सकते हैं। फिलहाल राहत-बचाव कार्य जारी है।
केंद्र के स्वामित्व वाले इस प्लांट में हुए ब्लास्ट की कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर भी शेयर किये गये हैं। तस्वीरों में नजर आ रहा है कि कई लोग बदहवास हैं। जख्मी लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
अभी धमाके की वजहों का पता नहीं चल सका है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि ब्लास्ट में हताहतों की संख्या बढ़ सकती है। फायर बिग्रेड की गाड़ियां मौके पर मौजूद हैं।
ज्ञात हो कि कंपनी में 27,000 कर्मचारी कार्य करते हैं।
7 मई को भी हुआ था ब्लास्ट
उल्लेखनीय है कि बीते 7 मई को भी नेवेली पॉवर प्लांट में बॉयलर ब्लास्ट हुआ था। हादसा 84 मीटर ऊंचाई वाले बॉयलर में हुआ था। इस हादसे में कई लोग घायल हो गए थे, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई थी।
उस वक़्त कंपनी ने इस मामले में 6 सदस्यीय समेटी का गठन कर जांच करने की बात भी कही थी।
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हादसे-दर-हादसे
अभी दो दिन पहले आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम के सैनर लाइफ साइसेंज प्राइवेट लिमिटेड में जहरीले बेंजिमिडेजोल गैस लीक होने से दो कर्मचारियों के दर्दनाक मौत की ख़बर आ गई। जबकि चार घायलों में एक की स्थिति गंभीर है।
बीते मई माह में महज 30 घंटों के बीच देश में 6 भयावह घटनाएँ सामने आई थीं। 7 मई को चार बड़े हादसे हुए थे।
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम के पास केमिकल फैक्ट्री एलजी पोलीमर्स में गैस लीक होने के बाद वहाँ कम से कम 17 लोगों की मौत हुई थी और करीब दस हजार लोग गंभीर रूप से बीमार होने की पुष्टि हुई थी।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में शक्ति प्लस पेपर्स मिल में क्लोरीन गैस पाइप लाइन फटने से बड़ा हादसा हुआ। हादसे के शिकार 7 मजदूरों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, इनमें से 3 की हालत गंभीर है।
तमिलनाडु राज्य के कुड्डालोर जिले में नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्लांट में बॉयलर फटने से 5 मज़दूरों की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे। हादसे के बाद प्लांट से धुएं का बादल देखा गया।
महाराष्ट्र के नासिक जिले के सातपुर इलाके में हुई जहाँ फार्मास्युटिकल पैकेजिंग फैक्ट्री में आग लग गई थी।
इसके अलावा महाराष्ट्र में रेल से कटकर 16 प्रवासी मजदूरों की दर्दनाक मौत हुई थी।
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हादसे नहीं हत्या
ये तो महज चंद वे घटनाएँ हैं, जो उजागर हो गए, तमाम घटनाएँ तो सामने आती नहीं, या स्थानीय खबरों में सिमटकर रह जाती हैं। इनमें मज़दूरों की जान जाने से लेकर अंग-भंग होने तक आज सामान्य बात हो चुकी है। ये हादसे नहीं हत्या हैं।
दरअसल, इस मुनाफाखोर व्यवस्था में, मुनाफे के आगे एक मज़दूर के जान की कोई कीमत नहीं है। पूँजीपतियों की प्रबंधक बनी सरकारें, हर कीमत पर लुटेरे व हत्यारे मालिकों की सुरक्षा कवच बनकर मज़दूरों पर शासन का डंडा चलती हैं। उन्हें मुनाफे की आग में झोंकती हैं।
मालिकों के लाभ के लिए कोरोना संकट को ढाल बनाकर लम्बे संघर्षों के दौरान हासिल श्रम कानूनों को ख़त्म करने, 3 साल तक फ्रिज करने, काम के घंटे बढ़ाने जैसे मज़दूर विरोधी घोडा सरपट दौड़ रहा है।
इसके विपरीत, आज एक संगठित ताक़त ना होने के कारण मज़दूर लगातार मौत से लेकर अंग-भंग के शिकार बनने को मजबूर है!