पुलिस-प्रशासन द्वारा मज़दूर नेताओं पर गुंडा एक्ट लगाने की नोटिस के खिलाफ चौतरफा विरोध प्रदर्शन

7 जुलाई को मज़दूर महापंचायत का ऐलान। एसएसपी द्वारा मोर्चा नेता को गुंडा कहने, फिर प्रशासन द्वारा मजदूर नेताओं पर गुंडा एक्ट के तहत नोटिस की जगह-जगह निंदा हो रही है।
इंकलाबी मजदूर केन्द्र के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश भट्ट व डालफिन कम्पनी के मजदूर नेताओं पर जिला प्रशासन के गुंडा एक्ट में कार्यवाही करने प्रयासों के खिलाफ दिल्ली, बरेली सहित उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए और ज्ञापन भेजे गए।
इस बीच श्रमिक संयुक्त मोर्चा ऊधम सिंह नगर द्वारा पुलिस-प्रशासन के इस तानाशाहीपूर्ण घटिया कार्यवाही के खिलाफ आगामी 7 जुलाई को रुद्रपुर (उत्तराखंड) में विशाल मज़दूर महापंचायत करने का ऐलान किया गया है, जहां आंदोलन की अगली रणनीत की घोषणा होगी।
विभिन्न प्रदर्शनों में वक्ताओं और प्रेषित ज्ञापन में कहा गया कि इंकलाबी मजदूर केन्द्र के कैलाश भट्ट पर पुलिस द्वारा सिडकुल पंतनगर की कम्पनियों में आन्दोलनों के दौरान कम्पनी मालिकों के इशारे पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए व डालफिन कम्पनी के आन्दोलन के दौरान भी डालफिन मजदूर नेताओं के साथ-साथ कैलाश भट्ट पर भी पुलिस ने प्रबंधकों के इशारे पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इसको आधार बनाकर पुलिस इनको गुंडा कह रही है।
वर्तमान समय में डालफिन के मजदूर कंपनी मालिक/प्रबंधकों के गैरकानूनी कृत्यों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। मजदूर न्यूनतम वेतनमान देने, बोनस, डबल ओवरटाइम भुगतान और स्थाई नौकरी के स्थान पर जबरन मजदूरों को ठेकेदार के तहत करने के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। मजदूरों ने डीएम, पुलिस प्रशासन सहित उत्तराखंड सरकार को भी इसकी शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई।
प्रतिशोधवश डालफिन प्रबंधन ने मजदूर नेताओं की गेटबंदी कर दी, महिला मज़दूरों सहित तमाम मज़दूरों के साथ गुंडई और छेड़खानी पर उतार आया। डालफिन मजदूर नेताओं पर गुंडों द्वारा जानलेवा हमला किए गए। इन तमाम घटनाओं के बाद महिला मजदूरों व अन्य द्वारा समय-समय पर पुलिस को दी गई तहरीर पर कोई मुकदमा दर्ज नही किया, उल्टा मजदूर नेताओं व उनके सलाहकारों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कर दिए।
इसकी शिकायत करने गये श्रमिक संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल में शामिल मोर्चे के कार्यकारी अध्यक्ष दलजीत सिंह को एसएसपी ऊधम सिंह नगर ने गुंडा कह कर अपने कार्यालय से बाहर निकाल दिया, एसएसपी द्वारा मोर्चा के प्रतिनिधि मंडल से साफ कहा कि मजदूर अपनी तहरीर से डालफिन कंपनी का नाम हटा लें तो मुकदमा दर्ज कर लिया जाएगा।

वक्ताओं ने कहा कि यह पहला मामला नहीं है। उत्तराखंड के औद्योगिक क्षेत्रों में मज़दूर अपने हक़ के लिए जैसे ही आवाज उठाते हैं, मालिकों की चाहत से पुलिस मनगढ़ंत नोटिस तैयार करती है, जिसके आधार पर प्रशासन द्वारा आए दिन मजदूरों के लिए कथित शांति भंग का नोटिस जारी किया जाता है, मजदूरों और मजदूर नेताओं को प्रताड़ित किया जाता है और उन पर फर्जी मुक़दमें थोपे जाते हैं।
नील ऑटो (जेबीएम), रॉकेट इंडिया, डॉल्फिन, ब्रिटानिया ठेका मज़दूरों से लेकर अलग-अलग संघर्षों के दौरान श्रमिक संयुक्त मोर्चा के नेताओं, इंटरार्क, लुकास टीवीएस, नेस्ले, वोल्टास, भगवती, सत्यम ऑटो, गुजरात अंबुजा आदि सहित तमाम कंपनियों के मज़दूर इस प्रताड़ना के शिकार होते आ रहे हैं। कथित शांतिभंग के तहत धारा 107, 116, 116(3) के तहत पाबंद हो रहे हैं। स्थिति यह है कि 2019 के चुनाव के समय जिला प्रशासन इंटरार्क व भगवती के मज़दूरों को चुनाव में बाधा पहुँचने वाला खतरनाक अपराधी घोषित करके पाबंद करने का हास्यास्पद नोटिस जारी कर चुका है।
ऊधम सिंह नगर जिले के पुलिस मुखिया द्वारा पहले मोर्चे के कार्यकारी अध्यक्ष को गुंडा कहकर अपमानित करने, फिर मजदूर नेताओं पर गुंडा एक्ट में कार्यवाही करने की संस्तुति के आधार पर डीएम द्वारा गुंडा ऐक्ट के तहत नोटिस जारी करने की घटना का सभी जगह सख्त निंदा की गई है।
विभिन्न विरोध प्रदर्शनों की झलक-
दिल्ली
25 जून को उत्तराखंड रेजिडेंट कमीश्नर के आफिस पर दिल्ली के विभिन्न संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस दरमियान भागीदार संगठन अपनी मांगों का एक ज्ञापन रेजिडेंट कमीश्नर उत्तराखंड के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेजना था। लेकिन अग्रिम सूचना होने के बावजूद कमीश्नर और उसके आफिस ने ज्ञापन लेने से मना कर दिया। गेट पर तैनात उत्तराखंड पुलिस (सिक्योरिटी गार्ड) ने बताया कि मुख्यमंत्री दिल्ली में हैं तथा साहब उनकी खातिरदारी में लगे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने पुष्कर सिंह धामी सरकार एवं मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई, नारेबाजी के साथ सभा किया। सभा के अंत के साथ ज्ञापन को रेजिडेंट कमीश्नर उत्तराखंड के गेट पर चिपका दिया गया।

प्रदर्शन में क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, श्रमिक संग्राम कमेटी, बेलसोनिका मजदूर यूनियन (गुड़गांव), प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, मजदूर एकता केंद्र, इफ्टू (सर्वहारा), औद्योगिक ठेका मजदूर यूनियन (फरीदाबाद), डेमोक्रेटिक पीपुल्स फ्रंट, क्रांतिकारी मजदूर मोर्चा (हरियाणा), टीयूसीआई, क्रांतिकारी किसान सभा, इफ्टू, मजदूर सहायता समिति, लोक पक्ष एवं परिवर्तनकामी छात्र संगठन आदि के प्रतिनिधियों एवं कार्यकर्ता-सदस्यों ने भागीदारी किया।
उत्तराखंड
रुद्रपुर। श्रमिक संयुक्त मोर्चा उधम सिंह नगर के बैनर तले सिडकुल पंतनगर की यूनियनों, मजदूर संगठनों व सामाजिक संगठनों ने 25 जून को अपर जिलाधिकारी नजूल, ऊधम सिंह नगर को ज्ञापन सौंपा गया। तत्काल कार्रवाई हेतु राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग व आयुक्त कुमाऊं मंडल को भी ज्ञापन प्रेषित किए गए।

कार्यक्रम में श्रमिक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष दिनेश चन्द्र तिवारी जी, मजदूर सहयोग केन्द्र, करोलिया लाइटिंग इम्पालाइज यूनियन, लुकास टीवीएस मजदूर संघ, इन्टरार्क मजदूर संगठन किच्छा, आटो लाइन इम्प्लाइज यूनियन, इन्टरार्क मजदूर संगठन उधम सिंह नगर, आरएमएल इम्पालाइज यूनियन (राने मद्रास), भाकपा माले, बजाज मोटर कर्मकार यूनियन, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, इंकलाबी मजदूर केन्द्र, डालफिन मजदूर संघ, सीएनजी टेंपो यूनियन, यजाकि वर्कर यूनियन, नील मेटल कामगार संगठन, समता सैनिक दल आदि सहित सैकड़ों मजदूर शामिल रहे।
हरिद्वार। 26 जून को संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा, हरिद्वार के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन कर डी एम के माध्यम से एक ज्ञापन देश की राष्ट्रपति को प्रेषित किया।

ज्ञापन देने वालों में फ़ूड्स श्रमिक यूनियन, भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, एवेरेडी मजदूर संगठन, देवभूमि श्रमिक संगठन, कर्मचारी संघ सत्यम, सीमेंस वर्कर्स यूनियन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, प्रगतिशील भोजन माता संगठन एवं इंकलाबी मजदूर केंद्र के कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की।
25 जून को संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा हरिद्वार के घटक इंकलाबी मजदूर केंद्र व सीमेंस वर्कर्स यूनियन द्वारा विरोध करते हुए।

साथ ही भेल मजदूर ट्रेड यूनियन (बीएचईएल) हरिद्वार ने विरोध जताया।
काशीपुर। 25 जून को एक ज्ञापन एसडीएम काशीपुर के माध्यम से दिया गया। ज्ञापन देने वालों में इंक़लाबी मज़दूर केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, कांग्रेस से अज़ीज़ कुरैशी, आईटी सेल से हनीफ गुड्ड, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र आदि उपस्थित रहे।

24 जून को रामनगर (नैनीताल) में सामाजिक संगठनों के एक प्रतिनिधि मंडल द्वारा उपजिलाधिकारी रामनगर के माध्यम से एक ज्ञापन देश की राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को प्रेषित किया गया।
ज्ञापन देने वालों में इंकलाबी मजदूर केंद्र, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, परिवर्तनकामी छात्र संगठन रामनगर तथा समाजवादी लोक मंच के साथी शामिल थे।

हल्द्वानी में 26 जून को एस डी एम के माध्यम से उधमसिंह नगर के जिलाधिकारी को ज्ञापन प्रेषित किया गया। ज्ञापन देने वालों में परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र और क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की।

पंतनगर। 27 जून को इंकलाबी मजदूर केंद्र एवं ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा शहीद स्मारक पंतनगर पर नुक्कड़ सभा में विरोध प्रदर्शन किया गया। और मुख्यमंत्री उत्तराखंड शासन को ज्ञापन भेजा गया, जिसकी प्रतियां अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भारत नई दिल्ली, अध्यक्ष, मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड देहरादून, उत्तराखंड, जिला अधिकारी, ऊधम सिंह नगर को भेजकर न्याय दिलाने की मांग की गई है।

उत्तरप्रदेश
बरेली के सेठ दामोदर स्वरूप पार्क में 25 जून को क्रांतिकारी किसान मंच, ऑटोटेंपो चालक वेलफेयर एसोसिएशन, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, मार्केट वर्कर्स एसोसिएशन, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन और इंकलाबी मजदूर केंद्र के कार्यकर्ता इकट्ठा हुए। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन बरेली जिलाधिकारी के जरिए भेजा गया।

मांगें- सभी जगह से उठी आवाज-
- इंकलाबी मजदूर केंद्र के पूर्व अध्यक्ष कैलाश भट्ट व डॉल्फिन मजदूरों पर गुंडा एक्ट सहित दर्ज सभी फर्जी मुकदमे रद्द करो। असल गुंडों पर कार्रवाई के बदले मजदूरों का दमन करना बंद करो!
- श्रमिक संयुक्त मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष दलजीत सिंह के साथ की गई अभद्रता पर एसएसपी महोदय सार्वजनिक रूप से खेद ब्यक्त करें!
- सिडकुल कम्पनी प्रबंधन और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से मजदूरों पर लगाए गए सभी मुकदमों की निष्पक्ष जाँच हो!
- मालिकों की सेवा करना बंद करो! मजदूरों के शोषण-उत्पीड़न पर रोक लगाओ!
- डॉल्फिन, लुकास टीवीएस, करोलिया लाइटिंग और इंटरार्क सहित सभी पीड़ित मजदूरों को न्याय दो!
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