पूर्वी उत्तर प्रदेश में किसानों की पदयात्रा को योगी पुलिस ने रोका, किसानों ने दी चुनौती

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पूर्वी उत्तर प्रदेश में जनविरोधी कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसानों ने हुंकार भरी तो योगी सरकार ने दमन और गिरफ्तारियों का सहारा लिया। अब किसान योगी सरकार को चुनावों तक चुनौती देने की कमर कस रहे हैं।

9 दिवसीय पदयात्रा के पहले दिन ही किसानों की हुई गिरफ़्तारी

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज़ बुलंद होते ही योगी सरकार में बेचैनी बढ़ गई। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा अगस्त क्रांति 9 अगस्त से मऊ से बनारस तक 9 दिवसीय पद यात्रा से घबड़ाई योगी सरकार ने पहले ही दिन दमन का सहारा लिया और पुलिस द्वारा गिरफ्तारियों के साथ यात्रा रोक दी गई।

काले क़ानूनों के खिलाफ पदयात्रा का था निर्णय

दरअसल 2 अगस्त को हुई संयुक्त किसान मोर्चा मऊ की बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आह्वान पर तीनो काले कृषि कानूनों व बिजली संशोधन बिल 2020 तथा मजदूर विरोधी श्रम कानूनों आदि को रद्द कराने, एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बनवाने और   बुनकरों का पासबुक और बिजली का फ्लैट रेट बहाल कराने के लिए 9 अगस्त को घोसी रोडवेज से वाराणसी तक पद यात्रा का निर्णय बना था।

9 अगस्त को घोसी (मऊ) में बड़ी किसान रैली और उसके बाद किसान पदयात्रा करते हुए देवकली (कोपागंज) 10 अगस्त को मऊ, बढ़ुआ गोदाम, मटेहूं, हैदरा होते हुए मरदह; 11 अगस्त को बिरनो होते हुए जंगीपुर; 12 अगस्त को गाजीपुर; 13 अगस्त को नन्दगंज; 14अगस्त  नसीरपुर ; 15 अगस्त सिधौना; 16 अगस्त उमराहां और 17 अगस्त को रवीन्द्रपुरी वाराणसी पहुंचना था।  

पदयात्रा शुरू होते ही पुलिस की घेराबंदी, गिरफ्तारियाँ

अगस्त क्रांति के दिन 9 अगस्त को मऊ जिले के घोसी कस्बे में ‘करो या मरो’ का नारा बुलंद करते हुए किसान पैदल मार्च शुरू करते हुए आगे बढ़े तो भारी पुलिस फोर्स ने उनको घेर लिया। खाकी वर्दी वालों ने किसानों के साथ धक्का-मुक्की और बदसलूकी की।

घंटों चली झड़प के बाद आखिर में 40 पुरुष और 14 महिला किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया। सभी को घोसी कोतवाली थाने में लाया गया और उनको रात में छोड़ा गया।

दरअसल, पूर्वांचल के किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रविंद्रपुरी (वाराणसी) स्थित संसदीय कार्यालय में ज्ञापन सौंपकर यह जाताना चाहते थे कि पूर्वांचाल के किसान भी तीनों कृषि कानून के खिलाफ हैं। मार्च 17 अगस्त को बनारस पहुंचता, इससे पहले ही पुलिस ने किसानों को गिरफ्तार कर लिया।

पूर्वांचाल में किसान छेड़ेंगे ‘नई आजादी का जंग’

इस किसान मार्च में बनारस, गाजीपुर, चंदौली, जौनपुर, मऊ, देवरिया, गोरखपुर, आजमगढ़, बलिया समेत पूर्वांचल के 17 जिलों के किसान शामिल थे।

इस दौरान भारतीय किसान यूनियन, जनवादी किसान सभा, भारतीय किसान यूनियन, विद्यार्थी युवजन सभा, खेती किसानी बचाओ आंदोलन और समाजवादी जन परिषद ने नए कानूनों को किसान विरोधी बताया और आर-पार की लड़ाई छेड़ने का ऐलान किया।

पूर्वांचल के किसानों ने बनारस के कैंट इलाके में 11 अगस्त 2021 को लंबी बैठक कर आंदोलन तेज करने की रणनीति बनाई। नेताओं ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर पूर्वांचल में अब नई आजादी की लड़ाई शुरू होगी।