किसान भावनाएं आहात करने पर योगेन्द्र यादव एसकेएम की समन्वय समिति से निलंबित

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लखीमपुर खीरी हत्याकांड में मृतक भाजपा कार्यकर्ता के परिवार से मिलने से आंदोलनकारी किसानों की आहत भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक महीने के लिए निलंबित किया गया है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी, और दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध के 11 महीने पूरे होने पर 26 अक्टूबर को पूरे देश में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया; लखनऊ किसान महापंचायत अब 26 अक्टूबर के बजाय 22 नवंबर को होगी।

योगेंद्र यादव एसकेएम की बैठकों और अन्य गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले सकते

संयुक्त किसान मोर्चा की कल हुई बैठक में श्री योगेन्द्र यादव (मोर्चा की नौ सदस्यीय समन्वय समिति के सदस्य) को लखीमपुर खीरी हत्याकांड में मृतक भाजपा कार्यकर्ता के परिवार से मिलने के कारण निलंबित करने का निर्णय लिया गया है।

यह निर्णय आंदोलन से जुड़े किसानों की आहत भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया था, जो पहले से ही बर्बर लखीमपुर खीरी हत्याकांड के अन्याय से जूझ रहे हैं।

योगेंद्र यादव ने बैठक में बताया कि वह शोक संतप्त परिवार के पास संवेदनाएं व्यक्त करने के लिए गए थे और वह अपने सिद्धान्तों और नीतियों के अनुरूप व्यक्तिगत स्तर पर लिए गए निर्णय को उचित मानते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का उनका इरादा नहीं था। उन्होंने परिवार से मिलने के पहले एसकेएम के सहयोगियों से परामर्श नहीं लेने के मुद्दे पर खेद भी प्रकट किया।

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योगेंद्र यादव संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की कोर समिति के सदस्य रहे हैं। उन्हें एक माह के लिए निलंबित किया गया है। इस दौरान वे संयुक्त किसान मोर्चा की बैठकों और अन्य गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले सकते हैं। वे केवल विरोध स्थलों पर ही भाग ले सकते हैं।

लखनऊ में किसान महापंचायत 22 नवंबर को

संयुक्त किसान मोर्चा ने कल सिंघू मोर्चा पर एक बैठक में लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड में न्याय के लिए दबाव बनाने हेतु लखनऊ में 26 अक्टूबर को होने वाली किसान महापंचायत को स्थगित करने का निर्णय लिया गया। इसके बजाय अब यह महापंचायत 22 नवंबर 2021 को लखनऊ में आयोजित की जाएगी।

https://mehnatkash.in/2021/10/19/after-the-meeting-of-the-agriculture-minister-with-the-nihang-leader-there-should-be-a-fair-investigation-of-the-singhu-morcha-massacre/

11 माह पूरे होने पर देशव्यापी धरना-प्रदर्शन

संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी सदस्य किसान संगठनों से 26 अक्टूबर को अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की मांग को तेज करने और शांतिपूर्ण संघर्ष के 11 लंबे महीनों के पूरा होने के अवसर पर  भारत सरकार से 3 किसान विरोधी कानूनों का निरस्त करने, सभी कृषि उत्पादों की  एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारन्टी देने मांगों को पूरा करने को लेकर राष्ट्रव्यापी विरोध करने का आव्हान किया है । उस दिन सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच धरना प्रदर्शन और मार्च आयोजित किए जगाएंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि जसबीर सिंह विर्क के नेतृत्व वाला भारतीय सिख संगठन एसकेएम का हिस्सा न था, न है, और न ही होगा।

काले झंडे का विरोध पीएम मोदी के कार्यक्रम तक भी पहुंचा

कल झज्जर जिले के बड़सा गांव में, हरियाणा के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और अन्य भाजपा नेताओं को काले झंडे दिखाने के लिए और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कुछ अस्पताल सुविधाओं के आभासी उद्घाटन के विरोध में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी किसान एकत्र हुए। किसानों ने किसी तरह कार्यक्रम स्थल के करीब पहुंचकर चार घंटे से अधिक समय तक अपना काला झंडा विरोध प्रदर्शन किया।

वहां जाने के लिए उन्हें गांव के रास्ते और नहरों के किनारे चलना पड़ा क्योंकि पुलिस उन्हें अलग-अलग जांच बिन्दुओं पर रोक रही थी। कल, इस तरह, न केवल हरियाणा के सीएम और अन्य भाजपा नेताओं बल्कि पीएम मोदी को भी काले झंडे के विरोध का सामना करना पड़ा।

शहीद अस्थि कलश यात्रा विभिन्न राज्यों में जारी

लखीमपुर खीरी हत्याकांड के शहीदों की अंतिम अरदास के दिन तिकुनिया से शुरू हुई शहीद अस्थि कलश यात्रा अब तक विभिन्न राज्यों में सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर चुकी है। कल एक यात्रा गोहाना क्षेत्र के कई गांवों से होकर गुजरी, आज यात्रा सोनीपत जिले के अन्य हिस्सों को कवर कर रही है।

कल एक और यात्रा उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से शुरू हुई, जो 23 अक्टूबर को जलालाबाद गांव से होकर, 24 अक्टूबर को अस्थियों को गंगा में विसर्जित करेगी। इनमें से एक यात्रा आज सिरसा जिले के बीस से अधिक गांवों से होकर गुजरी।

जहां-जहां से शहीद कलश यात्राएं निकल रही हैं, केंद्र सरकार की मंत्रिपरिषद से अजय मिश्रा की  बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की मांग जोर पकड़ रही है। किसान संकल्प ले रहे हैं कि शहीदों की कुर्बानी को बेकार नहीं जाने देंगे और जब तक सभी मांगें पूरी नहीं हो जाती, संघर्ष को जारी रखेंगे।

किसान आंदोलन देशव्यापी आंदोलन है

कई आलोचक आज भी अपने सुविधानुसार कहते हैं कि किसानों का आंदोलन पंजाब और हरियाणा तक ही सीमित है। यह बिल्कुल गलत है और किसान आंदोलन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली (देहात) और राजस्थान जैसे राज्यों में भी काफी तीव्रता से चलाया जा है।

हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी आंदोलन के हिस्से के रूप में तीव्र विरोध और अन्य कार्यक्रम देखे जा रहे हैं। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गाडरवाड़ा में 28 अक्टूबर को एक बड़ी किसान महापंचायत की योजना बनाई जा रही है। इसी तरह की पंचायतें श्योपुर, रीवा और जबलपुर जिलों में पहले से ही आयोजित की जा चुकी हैं। मध्य प्रदेश के भाजपा नेताओं के खिलाफ स्थानीय काले झंडे के विरोध की भी सूचना प्राप्त हुई है।

https://mehnatkash.in/2021/10/21/the-brutal-murder-should-be-probed-by-the-supreme-court-the-suspected-union-agriculture-minister-should-resign-skm/

ताजा वीडियो षडयन्त्र का प्रमाण; निहंग हत्या की उच्चतम न्यायालय के जज द्वारा जांच हो!

15 अक्टूबर को निहंग सिखों के एक समूह द्वारा सिंघू मोर्चा पर मारे गए लखबीर सिंह का एक ताजा वीडियो सामने आने के बाद, यह मालूम होता है कि लखबीर सिंह को किसी से तीस हजार रुपये मिले थे, और यह आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए दिए गए थे। एसकेएम ने इस पूरे मामले की जांच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से कराने की अपनी मांग दोहराई है ताकि हिंसक घटनाओं के पीछे की साजिश का पर्दाफाश हो सके।

संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी (330वां दिन, 22 अक्टूबर 2021)

जारीकर्ता – बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह।

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