मज़दूरों की जीत : मदरसन कंपनी के 48 श्रमिकों की बर्खास्तगी को श्रम अधिकारी ने किया निरस्त

Madarshn_sanghrsh

मदरसन श्रमिक वेतन समझौते और कंपनी में काम के हालत को लेकर 26अगस्त 2019 से 13 जनवरी 2020 तक हड़ताल पर थे। तब कंपनी ने 48 श्रमिकों को बर्खास्त कर दिया था। 

चेन्नई स्थित मदरसन कंपनी के मैनेजमेंट की मनमानी के ख़िलाफ़ मज़दूरों के संघर्ष को एक सीमित सफलता तब मिली जब श्रम अधिकारियों ने मज़दूरों की बर्खास्तगी की अनुमति/अनुमोदन नहीं दिया।

दरअसल वेतन समझौते की मांग करने पर कंपनी ने यूनियन की गतिविधियों में शामिल होने पर 48 वर्करों को बर्खास्त कर दिया है। श्रमिकों को बर्खास्त करने की याचिका को लेबर ऑफ़िस के खारिज किए जाने के बाद प्रबंधन को इन मज़दूरों को वापस लेना होगा।

असल में  मदरसन कर्मी 26अगस्त 2019 से 13 जनवरी 2020 तक कार्य स्थल पर वेतन समझौते और कंपनी में काम के हालत को लेकर हड़ताल पर थे।

लेकिन इसी बीच 27 अगस्त 2019 को मदरसन प्रबंधन द्वारा एक स्थायी कर्मचारी और 27 ट्रेनी मज़दूरों को बर्खास्त कर दिया गया।

यही नहीं जब हड़ताल आगे बढ़ी तो ट्रेड यूनियन गतिविधियों में शामिल होने को कारण बताते हुए  2 सितम्बर 2020 को प्रबंधन ने 48 श्रमिकों को बर्खास्त कर दिया गया।

चूंकि वेतन संशोधन पर विवाद सुलह अधिकारी के समक्ष लंबित था, प्रबंधन ने बर्खास्तगी के लिए मंजूरी मांगी।

एलटीयूसी के कानूनी सलाहकार कॉम. एस. कुमार सामी ने तर्क दिया कि श्रम विभाग की सहमति सलाह के आधार पर हड़ताल वापस ले ली गई थी। तय हुआ कि इन 48 कर्मचारियों के मामले में अंतिम कार्रवाई सुलह अधिकारी से परामर्श के बाद ही की जाएगी।

लेकिन प्रबंधन इस सलाह के खिलाफ गया और 48 श्रमिकों को बर्खास्त कर दिया जो श्रम क़ानूनों के ख़िलाफ़ है, इसलिए सुलह अधिकारी को बर्खास्तगी की मंजूरी नहीं देनी चाहिए।

विमलनाथन, सुलह अधिकारी, इरुंगट्टुकोट्टई ने बर्खास्तगी के लिए अनुमोदन की मांग करने वाली प्रबंधन की याचिका को खारिज कर दिया।

श्रमिकों को बर्खास्त करने की मांग वाली याचिका के खारिज होने के परिणामस्वरूप, प्रबंधन को 48 श्रमिकों को सेवा की निरंतरता और सवेतन कार्यबहाली का रास्ता खुल गया।