इंटरार्क प्रबंधन के शोषण के खिलाफ पंतनगर और किच्छा प्लांटों के मजदूरों का धरना शुरू

मजदूरों की कार्यबहाली, वेतन समझौता, यूनियन की मान्यता देने की माँग
यूनियन को मान्यता व मांगपत्र पर सुनवाई की माँग को लेकर इंटरार्क कंपनी के पंतनगर तथा किच्छा प्लांटों के मज़दूरों ने कंपनी गेट पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया।
रुद्रपुर (उत्तराखंड)। इन्टरार्क बिल्डिंग प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड पंतनगर तथा किच्छा के मजदूरों ने 4 साल के चुप्पी के बाद कंपनी के गैरकानूनी गतिविधियों के विरोध में आज 16 अगस्त से कंपनी गेट के बगल में धरना की शुरुआत की हैl
मजदूरों की कार्यबहाली, चार साल से वेतन समझौता ना होने, यूनियन की मान्यता देने, अनुचित श्रम अभ्यास पर रोक लगाने आदि माँगों को लेकर मजदूरों ने 9 अगस्त से धरना शुरू करने का पत्र दिया था, परंतु सहायक श्रमायुक्त द्वारा वार्ता की पहल को देखते हुए इसे 16 अगस्त तक आगे बढ़ दिया था। लेकिन प्रबंधन की हठधर्मिता के कारण आज से धरना कार्यक्रम शुरू कर दिया।
इसी क्रम में अखिल भारतीय इंटरार्क मज़दूर फेडरेशन के बैनर तले इंटरार्क कंपनी के पंतनगर और किच्छा दोनों प्लांटों के मज़दूर प्रबंधन की शोषणकारी नीतियों के खिलाफ दोनों प्लांट के कंपनी गेटों पर धरना प्रारंभ कर दिया है।
आज किच्छा (ऊधमसिंह नगर) स्थित इंटरार्क कंपनी के मजदूर कंपनी गेट पर अनिश्चितकालीन धरने के दौरान नारेबाजी की। इसी के साथ सिडकुल पंतनगर (ऊधमसिंह नगर) स्थित इंटरार्क कंपनी के मज़दूरों ने भी आज से कंपनी गेट पर शुरू अनिश्चितकालीन धरने के कार्यक्रम के दौरान सभा व नारेबाजी की।

इंटरार्क मजदूर संगठन किच्छा के श्रमिक नेताओं राकेश, पान मोहम्मद व संतोष का कहना है कि इंटरार्क प्रबंधन में लगातार 4 वर्षों से श्रमिकों का शोषण करना जारी रखा है। प्रबंधन ने गैरकानूनी तरीके से 32 श्रमिकों का निलंबन व निष्कासन कर रखा है। जबकि समझौते के तहत यह तय हुआ था कि किसी भी श्रमिक को बाहर नहीं किया जाएगा। लेकिन प्रबंधन ने उसका खुला उल्लंघन किया।
इंटरार्क मजदूर संगठन पंतनगर यूनियन नेताओं दलजीत, सौरभ व बीरेंद्र कुमार ने कहा कि प्रबंधन ने 2018 के समझौते के अनुरूप सभी श्रमिकों की वेतन वृद्धि नहीं की, दोनों प्लांट की यूनियनों के मांग पत्र लगातार विवादित बने हुए हैं लेकिन वर्ष 2018 के बाद से आज तक प्रबंधन ने श्रमिकों का वेतन समझौता नहीं किया, न ही श्रमिकों की कोई वेतन वृद्धि हुई है। 4 वर्षों से बोनस व एलटीए प्रबंधन ने रोक रखा है।

यूनियनों ने आरोप लगाया कि प्रबंधन जबरदस्ती सफेद कागजों पर मजदूरों से हस्ताक्षर करवा रहा है। यूनियन नेताओं ने कहा कि 4 वर्ष से मजदूरों की कोई भी वेतन वृद्धि नहीं हुई है, जबकि प्रबंधन के वेतन में भारी-भरकम वृद्धि होती रही है।
यूनियन नेताओं ने कहा कि प्रबंधन की गलत नीतियों का पुरजोर विरोध किया जाएगा और जब तक मजदूरों की कार्य बहाली सहित वेतन वृद्धि का समझौता नहीं हो जाता है मजदूरों का संघर्ष जारी रहेगा।
दोनों प्लांट की यूनियनों की माँग-
- सभी निष्कासित व निलंबित श्रमिकों की सवेतन कार्यबहाली हो!
- गैर कानूनी ठेकेदारी प्रथा बंद हो!
- माँग पत्र पर समझौता संपन्न हो!
- रुके हुए बोनस व एलटीए का भुगतान हो!
- सभी कैजुअल और ठेका श्रमिकों को परमानेंट किया जाए!
- श्रमिक उत्पीड़न बंद हो !
- अनुचित श्रम व्यवहार व यूनियन की अवमानना करना बंद हो!
- यूनियन को मान्यता दी जाए!
- श्रमिकों से गैरकानूनी तरीके से हस्ताक्षर कराए गए कागजों को नष्ट किया जाए!