गैरक़ानूनी कृत्यों के खिलाफ इंटरार्क, करोलिया, लुकास टीवीएस के मज़दूरों का संघर्ष जारी

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शोषण-दमन और गैरक़ानूनी तालाबंदी-बर्खास्तगी के खिलाफ इंटरार्क (पंतनगर व किच्छा), करोलिया लाइटिंग, लुकास टीवीएस के पीड़ित मज़दूरों का आंदोलन लगातार तेज हो रहा है।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। शोषण-दमन और प्रबंधकों की गैर क़ानूनी कृत्यों के खिलाफ विभिन्न कंपनियों के मज़दूरों के संघर्ष जारी हैं। जहाँ अवैध बर्खास्तगी, गैर क़ानूनी तालाबंदी के खिलाफ इंटरार्क कंपनी के पंतनगर व किच्छा प्लांटों के मज़दूरों का संघर्ष लगातार जारी है, वहीं करोलिया लाइटिंग के मज़दूर अवैध बर्खास्तगी के खिलाफ आंदोलित हैं। उधर अवैध बर्खास्तगी और यूनियन की मान्यता के खिलाफ लुकास टीवीएस के मज़दूरों का धरना जारी है।

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दो साल से संघर्षरत हैं करोलिया लाइटिंग के मज़दूर

करोलिया लाइटिंग प्राइवेट लिमिटेड सिड़कुल, पंतनगर में यूनियन बनाने से श्रमिकों की अवैध बर्खास्तगी, शोषण व दमन के खिलाफ विगत दो साल से मज़दूर संघर्षरत हैं। अभी गांधी पार्क, रुद्रपुर में धरना के साथ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल चल रहा है। वहीं कंपनी के मज़दूर आज शुक्रवार से कंपनी में टूल डाउन शुरू कर चुके हैं।

करोलिया लाइटिंग एंप्लाइज यूनियन के अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रबंधन ने यूनियन उपाध्यक्ष को कोविड-19 जांच का निवेदन करने पर फर्जी आरोप लगाकर अवैध रूप से बर्खास्त कर दिया। प्रबंधन ने यूनियन के मांग पत्र को भी दरकिनार करता रहा। इसी दौरान 23 दिसंबर को संरधन वार्ता के दौरान अचानक प्रबंधन ने 10 मजदूरों की गैरकानूनी गेटबंदी कर दी।

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इन स्थितियों में मज़दूरों का संघर्ष लगातार जारी है। श्रमिक पहले श्रम भवन फिर 31 मार्च से ग़ांधी पार्क रुद्रपुर में धरना, क्रमिक अनशन किया। 7 अप्रैल से मज़दूर साथी देव सिंह अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे, जिन्हें रविवार की रात पुलिस ने जबरिया उठाकर जिला अस्पतल में भर्ती कर दिया। जहाँ उनका अनशन जारी है। साथ ही 11 अप्रैल से धरना स्थल गांधी पार्क में दूसरे पीड़ित श्रमिक शैलेश अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं।

यूनियन का कहना है कि प्रबन्धन ने 11 श्रमिकों की कार्यबहाली सहित माँगपत्र के समाधान के विषय में आज तक कोई पहल नहीं ली, और जानबूझकर कंपनी के शांतिपूर्ण औद्योगिक माहौल को बिगाड़ने पर आमादा है। जबकि यूनियन लचीलेपन के साथ शांतिपूर्ण समझौते के लिए प्रयासरत है।

चार साल से जारी है इंटरार्क मज़दूरों का संघर्ष

इंटरार्क फैक्ट्री की ऊधम सिंह नगर जिले में किच्छा व सिडकुल पंतनगर स्थित दोनों प्लांटों में कार्यरत करीब एक हजार श्रमिक विगत 4 वर्षों से कंपनी प्रबंधन के शोषण-उत्पीड़न और ग़ैरकानूनी कृत्यों के विरुद्ध परिजनों समेत संघर्षरत हैं।

इंटरार्क मजदूर संगठन के बैनर तले दोनों प्लांटों में लगातार धरने के 244 दिन हो चुके हैं। इस बीच होली के ठीक पहले 16 मार्च को प्रबंधन ने गैरक़ानूनी रूप से पंतनगर प्लांट में तालाबंदी कर दी। जिससे करीब 500 मज़दूर एक झटके में सड़क पर आ गए।

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यूनियन का कहना है कि संराधन वार्ताओं के दौरान समझौता अधिकारी से पूर्व अनुमति प्राप्त किये बिना इंटरार्क कंपनी सिडकुल पन्तनगर की तालाबंदी करना औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा -6(S) एवं 6(E) का खुला उल्लंघन है। तालाबंदी के दौरान कंपनी में भारी संख्या में पुलिस की मौजूदगी के पश्चात भी प्रबंधन ने हाईकोर्ट के फैसले की अवमानना कर मशीनों को कंपनी से बाहर शिफ्ट कर दिया है।

दोनों यूनियनों ने चेतावनी दी है कि यदि श्रमिकों की समस्याओं का समाधान न किया गया तो 26 अप्रैल 2022 को सिडकुल पन्तनगर के पारले चौक के निकट इंटरार्क मजदूरों के धरनास्थल पर प्रातः 11 बजे से मजदूर-किसान महापंचायत में निर्णायक फैसला लेकर आंदोलन व्यापक किया जायेगा।

ज्ञात हो कि दिनांक 15/12/2018 को यूनियनों व प्रबंधन के मध्य 32 निलंबित श्रमिकों की कार्यबहाली करने समेत कई अन्य बिंदुओं पर लिखित समझौता हुआ था। प्रबंधन द्वारा इसका उल्लंघन कर उक्त 32 श्रमिकों को बर्खास्त कर दिया गया। विगत 4 वर्षों से श्रमिकों की वेतन वृद्धि नहीं हुई, माँगपत्र भी लंबित हैं। श्रमिकों पर झूठा आरोप लगाकर उत्पीड़न बढ़ता जा रहा है।

यूनियन मान्यता व कार्यबहाली के लिए लुकास टीवीएस मज़दूरों का संघर्ष

लुकास टीवीएस के प्रबंधन द्वारा श्रमिकों के लगातार उत्पीड़न, अवैध बर्खास्तगी, निलंबन, पंजीकृत यूनियन को 6 साल से मान्यता न देने, उनके माँगपत्रों पर समझौता न करने, श्रम अधिकारियों द्वारा भी सहयोग न करने आदि के खिलाफ लुकास टीवीएस मजदूर संघ (सम्बद्ध बीएमएस) द्वारा 21 मार्च से श्रम भवन, रुद्रपुर में फिर 23 दिन से गांधी पार्क रुद्रपुर में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन जारी है।

यूनियन नेताओं ने कहा कि झूठा हवाला देकर श्रमिकों को स्थाई नियोजन पत्र की जगह फिक्स टर्म का पत्र दे कर उनका मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है। कर्मचारी हितों के लिए वर्ष 2016 में लुकास टीवीएस मजदूर संघ पंतनगर उत्तराखंड के नाम से यूनियन बनाई गई, लेकिन प्रबंधक द्वारा 6 वर्ष बीत जाने के बावजूद यूनियन को मान्यता नहीं दी गई।

प्रबंधक द्वारा खुद की एक कमेटी बनाकर दिनांक 8 मार्च 2019 को उसके साथ समझौता किया गया। लेकिन समझौते के अनुसार वर्ष 2019 से इस पंजीकृत यूनियन के सदस्यों को कोई लाभ न देकर उनसे रिकवरी की जा रही है।

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यूनियन ने बताया कि दिनांक 01/10/2018 को भारतीय मजदूर संघ के आह्वान पर देहरादून श्रमिक आक्रोश रैली का आयोजन किया गया था, जिसमें लुकास टीवीएस मजदूर संघ द्वारा भी उसमें भाग लिया गया और श्रमिक आक्रोश रैली के पर्चे कंपनी शिफ्ट समाप्त होने के बाद बांटे गए। इसको आधार बनाकर कारखाना प्रबंधन द्वारा 3 श्रमिकों कुलदीप सिंह, मोहित कुमार, विकास सिंह को बर्खास्त किया गया।

इसी तरह प्रतिशोधवश करोना काल में कार्य पर विलंब से पहुँचने पर यूनियन सदस्य सतवीर सिंह, उपेन्द्र सिंह, अनिल कुमार, धीरेन्द्र सिंह, आशीष कुमार व विशाल गुसाईं को तथा सेफ्टी सुज के फर्जी आरोप में सुनिल कुमार को प्रबंधन ने निष्कासित कर दिया है। प्रबंधन द्वारा यूनियन तोड़ने के प्रयासों के तहत ही झूठे आरोपों में मनोहर सिंह, हरीश चन्द्र सिंह, राजेश चन्द्र व मातवर सिंह को निलंबित किया जा चुका है।

यूनियन का कहना है कि प्रबन्धन द्वारा संराधन वार्ता के दौरान यूनियन के सदस्यों को संगठन छोड़ने का दवाब बनाना अवैधानिक होने के पश्चात भी संराधन/श्रम अधिकारी मौन बने हैं। श्रमविभाग में चल रही त्रिपक्षीय वार्ता में सहायक श्रमायुक्त द्वारा श्रमिकों को केवल मांग पत्र को संन्दर्भीत करने की धमकियां दी जा रही है।

श्रमिको का कहना है पिछले पांच वर्षों से हमेशा प्रबन्धन से श्रमिक समस्याओं का समाधान निकालने का आग्रह किया गया लेकिन प्रबन्धन द्वारा संगठन की मांगों को दरकिनार किया गया और दमन जारी रखा गया, जिसके चलते श्रमिकों को आन्दोलन के लिए बाध्य होना पड़ा।

कहा कि सहायक श्रम आयुक्त के रवैए से श्रमिकों में रोष व्यक्त है, यदि शीघ्र कार्यवाही नहीं कि गयी और श्रमिकों को न्याय नहीं मिला तो श्रमिक सड़कों पर उतरे को बाध्य होंगे।

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