मारुति मजदूरों के हमलावरों पर कार्रवाई की जगह मज़दूर नेता का उत्पीड़न

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जुल्म का विरोध करने पर मज़दूर नेता खुशीराम को पुलिस द्वारा तलब करने का विरोध करो!

गुडगाँव। पिछले 8 अप्रैल को मारुति, मानेसर के मज़दूरों पर लॉकडाउन के दौरान हुए कातिलाना हमले के ख़िलाफ़ मज़दूरों की आवाज़ बने मज़दूर नेता साथी ख़ुशी राम को मानेसर पुलिस दवार तलब करना पुलिसिया तानाशाही का एक और नमूना है। यह दबंगों को बचाने और मज़दूर आवाज़ को कुचलने का प्रयास है, जिसका विरोध करना जरूरी है।

ज्ञात हो कि 8 अप्रैल को लॉकडाउन को तोड़ते हुए निकटवर्ती अलियार गाँव में किराए के कमरों में रह रहे मज़दूरों, विशेष रूप से बिहार के और मारुति के मज़दूरों, पर 25-30 दबंगों ने लाठी-डंडों से हमला बोल दिया था। साथी खुशी राम ने पीड़ित मज़दूरों की मदद की और घटना की निंदा करते हुए हमलावरों की गिरफ़्तारी की माँग की थी। इससे दबंगों और उनके समर्थकों के इशारे पर मानेसर थाने की पुलिस साथी ख़ुशी राम को फोन कर थाने में तलब किया है।

साथी ख़ुशी राम 2012 मारुति कांड के बाद से बर्ख़ास्त मज़दूर और मारुति प्रोविजनल कमेटी के सक्रिय नेता हैं। मारुति के बेगुनाह सजा झेलते मज़दूरों से लेकर बर्ख़ास्त मज़दूरों के संघर्ष को प्रोविजनल कमेटी ही लगातार संचालित करते हुए संघर्ष का झंडा बुलंद किए हुए है, जिसमे साथी ख़ुशी राम की अहम भूमिका है। वे मज़दूर हक़ के लिए लगातार सक्रिय हैं। इसी कारण मारुति प्रबंधन से लेकर प्रशासन की आँख की वे किरकिरी बने हुए हैं।

सभी मज़दूर संगठनों, यूनियनों को इसके विरोध के लिए आगे आना होगा!

पुलिस फोन के बाद साथी ख़ुशी राम का जारी पत्र-

आज (14 अप्रैल) मेरे पास मानेसर थाने के एसएसओ जी का फोन आया थ। उनका कहना है – मानेसर के आसपास के किसी सरपंच ने मेरे खिलाफ में शिकायत दर्ज की है। तो मुझे मानेसर थाने में जाना पड़ेगा। मेरे पूछने पर पता चला है कि अलीयर गांव के कुछ दबंगों द्वारा पिछली 8 अप्रैल को मारुति मजदूरों के ऊपर जानलेवा हमले के खिलाफ मीडिया में अपनी राय देने के कारण मेरे खिलाफ कार्रवाई शुरू की जा रही है।

पिछले 8 अप्रैल 2020 को अलिअर गांव के 25-30  युवाओं ने डंडा, रोड, हॉकी स्टिक लेकर 10-15 मारुति मजदूरों के रूम में घुसकर जो बर्बर हमला किया उसमें साथी कृष्णा कुमार का सिर फट गया था और उसके बाद चोट की गंभीरता को देखते हुए रॉकलैंड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। ज्यादा चोट होने के कारण रॉकलैंड हॉस्पिटल दवारा साथी कृष्णा को गुड़गांव के पारस हॉस्पिटल में रेफर कर दिया गया।

जिन साथियों पर हमला किया गया वह सभी साथी बिहार के रहने वाले हैं। बिहार के रहनेवाले मारुति मजदूरों को अलग से चिन्हित करके जानलेवा हमला किया गया। ‘यह लोग बीमारी फैला रहे हैं’-   इस झूठे प्रचार को सामने रखकर यह हमला किया गया। जानलेवा हमला होने के बाद भी मारुति मैनेजमेंट ने, गांव के जिम्मेदार लोगों ने इस घटना की निंदा नहीं की, साथी कृष्णा और उनके अन्य साथियों का साथ नहीं दिया।

आज मानेसर एसएसओ के फोन से यह समझ में आ रहा है कि मारुति मजदूरों की एकता तोड़ने के लिए मारुति प्रबंधन आज भी कितना सक्रिय है। यह भी पता चल रहा है कि सत्ताधारी पार्टी पुलिस को इस्तेमाल करके लॉक डाउन के अंदर भी कितने गंदी राजनीति कर रही है। हरियाणा और बाकी प्रदेशों से आए हुए मजदूरों की मजबूत एकता को तोड़ने के इस प्रयास को गुड़गांव की सभी यूनियनों को मिलकर गंभीरता से लेना चाहिए।

कल (15 अप्रैल) दोपहर के बाद मैं एस एच ओ से​ मिलने मानेसर थाने में जाऊंगा।

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