‘निजीकरण के खिलाफ अभियान के साथ पुरानी पेंशन बहाली के आंदोलन होगा तेज -अटेवा

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9 अगस्त से निजीकरण के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। एक अक्टूबर को देश भर में पेंशनर्स सम्मान दिवस मनाया जाएगा। -अटेवा पेंशन बचाओ मंच

पुरानी पेंशन को लेकर शिक्षक और कर्मचारियों का मोर्चा फिर से बड़ी लड़ाई लड़ने की तैयारी में है। चुनाव से पहले कर्मचारी संगठनों ने राजनीतिक दबाव के लिए कई बड़े प्रदर्शन और आंदोलन किए थे। लेकिन अब रिजल्ट आने और पूरी तरह से सत्ता स्थापित होने के बाद एक बार फिर सरकार से रार की तैयारी में संगठन जुट गए हैं।

“अटेवा पेंशन बचाओ मंच” के विजय बंधु का कहना है कि 9 अगस्त से निजीकरण के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। उसी में पुरानी पेंशन के साथ आंदोलन को मजबूत किया जा रहा है। दलील है कि देश के कई राज्यों ने अपने यहां पुरानी पेंशन की घोषणा कर दी है। ऐसे में यूपी समेत तमाम राज्य जहां अभी नई पेंशन नीति चल रही है। उसको बदलने के लिए हम आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।

राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड राज्य में पुरानी पेंशन बहाल हो चुकी है कई राज्यों में बातचीत चल रही है। उन्होंने बताया कि एक अक्टूबर को देश के प्रत्येक जिला मुख्यालयों पर पेंशनर्स सम्मान दिवस मनाया जाएगा। जिन राज्यों ने अपने ही पुरानी पेंशन का ऐलान किया है सभी जगह पर गैर बीजेपी सरकार है। केंद्र के स्तर पर भी कर्मचारी संगठन साझा आंदोलन चलाने की तैयारी कर रहे हैं।

कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे ने कहा कि “नई पेंशन नीति धोखा है। उन्होंने कहा कि राज्य को अपने यहां पुरानी पेंशन लागू करने का अधिकार है। योगी आदित्यनाथ इसकी पैरवी कर चुके हैं। इस आधार पर यूपी में भी पुराने पेंशन नीति उनको लागू कर देनी चाहिए। इससे लाखों कर्मचारियों को राहत मिलेगी। नई पेंशन में रिटायर होने के बाद लोगों को 2 से 5 हजार रुपए तक पेंशन मिलता है। जबकि पुराने में लोगों को सैलरी का 50 फीसदी मिलता है। उसके बाद वह बढ़ता ही जाता है।”

दैनिक भास्कर से साभार

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