सीएम बदलने से क्या माइक्रोमैक्स, वोल्टास, सत्यम, एलजीबी, अम्बुजा, अमूल, हीरो के मज़दूरों को न्याय मिलेगा?

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संघर्षरत मज़दूरों के सवाल: आखिर फ़र्क क्या पड़ेगा?

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। उत्तराखंड में बहुमत वाली भाजपा सरकार के तीन मुख्यमंत्रियों का चेहरा बदल चुका है। इस दौरान भगवती-माइक्रोमैक्स, वोल्टास, सत्यम ऑटो, एलजीबी, गुजरात अंबुजा, अमूल ऑटो के मज़दूरों के हालात वही बने हुए हैं। अब सवाल यह पैदा होता है कि चार महीने में तीसरे मुख्यमंत्री क्या मज़दूरों की आवाज सुनेंगे? क्या अन्याय के विरुद्ध न्याय का साथ देंगे?

भगवती-माइक्रोमैक्स

भगवती प्रोडक्ट्स माइक्रोमैक्स के मज़दूर गैर कानूनी छँटनी के खिलाफ पिछले 30 महीने से संघर्षरत हैं। 27 दिसंबर 2018 को हुए 303 श्रमिकों की छँटनी को औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी अवैध करार चुका है, नैनीताल हाइकोर्ट भी कार्यबहाली का निर्देश दे चुका है। 47 मज़दूर गैरकानूनी लेऑफ का शिकार हैं। यूनियन अध्यक्ष अवैध निलंबन और फिर बर्खास्तगी झेल रहे हैं और 351 मज़दूर न्याय के लिए लगातार संघर्षरत हैं।

https://mehnatkash.in/2021/05/27/29-months-of-struggle-complete-demand-for-work-of-micromax-workers-raised/

वोल्टास लिमिटेड

वोल्टास लिमिटेड सिडकुल पंतनगर में यूनियन अध्यक्ष, महामंत्री,  संगठन मंत्री व पूर्व अध्यक्ष सहित नौ मज़दूर पिछले 20 महीने से गैरकानूनी रूप से बाहर हैं। श्रम अधिकारियों द्वारा कथित लेऑफ और उस आधार पर सेवा समाप्ति को गलत ठहराया जा चुका है। इसके बावजूद मज़दूरों की कार्यबहाली नहीं हो रही है।

https://mehnatkash.in/2021/04/16/serve-voltas-workers-rally-in-sidkul-protest-at-shram-bhavan/

सत्यम ऑटो

सत्यम ऑटो सिडकुल हरिद्वार के मज़दूर साढ़े तीन साल से गैर कानूनी गेट बंदी के शिकार हैं। पिछले दिनों जिलाधिकारी और श्रम अधिकारियों की मौजूदगी में किस्तों में सबकी कार्यबहाली के समझौते के बावजूद मज़दूरों को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया।

https://mehnatkash.in/2021/06/28/workers-women-of-satyam-auto-took-out-a-rally-gave-a-memorandum-to-the-dm-demanding-restoration-of-work/

एलजीबी

एलजी बालाकृष्णन एंड ब्रास लिमिटेड सिडकुल पंतनगर में यूनियन बनने के समय सन 2012 से ही मज़दूर दमन झेल रहे हैं। वर्तमान में एक साल से यूनियन महामंत्री पूरन चंद पांडे गैर कानूनी रूप से बाहर हैं और प्रबंधन के साथ श्रम विभाग की मनमानी के शिकार बने हुए हैं।

https://mehnatkash.in/2020/05/21/illegal-gatebanding-of-lgb-union-general-secretary/

गुजरात अंबुजा

गुजरात अंबुजा एक्सपोर्ट लिमिटेड, सिडकुल, सितारगंज के मज़दूर हक की आवाज उठाने के कारण करीब डेढ़ साल से बाहर हैं और संघर्षरत हैं, लेकिन शासन-प्रशासन मौन है और मज़दूर पीड़ित हैं।

https://mehnatkash.in/2021/01/21/gujarat-ambuja-management-filed-a-case-of-fraud/

अमूल ऑटो

अमूल ऑटो, पंतनगर के मज़दूर कंपनी की गैर कानूनी बंदी और राज्य से पलायन के शिकार हैं और पिछले एक साल से प्लांट चालू होने व कार्य बहाली की माँग को लेकर संघर्षरत हैं।

https://mehnatkash.in/2020/09/18/labor-united-front-gave-memorandum-to-dm-on-labor-problems/

हीरो मोटोकार्प

हीरो मोटोकॉर्प, सिडकुल हरिद्वार के मज़दूर अरुण कुमार सैनी भी प्रबंधन के दमन के शिकार बनकर लंबे समय से कार्य बहाली के लिए संघर्षरत हैं।

https://mehnatkash.in/2020/08/27/hero-motocorp-workers-have-been-struggling-against-injustice-for-3-years/

प्रशासन का दमन जारी

मजदूरों को न्याय देने की जगह प्रशासन मज़दूरों के ऊपर ही लगातार फर्जी मुकदमे दर्ज करता रहा है। धरना प्रदर्शन से अवैध रूप से रोकता रहा है। मज़दूरों की गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाता रहा है। इसके ठीक विपरीत गुजरात अंबुजा के प्रबंधन पर धोखाधड़ी का मुकदमा होने के बावजूद कोई कार्रवाई करने से अभी तक बचत रहा है।

https://mehnatkash.in/2021/04/27/daman-case-filed-against-workers-united-front-leaders-for-fear-of-breach-of-peace/

नए मुख्यमंत्री से उम्मीद कितना जायज

अभी मज़दूरों के भीतर यह सवाल बन रहा है कि उत्तराखंड की औद्योगिक नगरी उधम सिंह नगर जिले से भाजपा ने युवा मुख्यमंत्री की ताजपोशी हुई है। मुख्यमंत्री महोदय अपने ही जिले के भीतर भगवती-माइक्रोमैक्स, वोल्टास, एलजीबी, गुजरात अंबुजा, अमूल ऑटो के मज़दूरों या हरिद्वार स्थित सत्यम व हीरो मज़दूरों के पक्ष में न्याय कर पाएंगे या पूर्ववर्ती सरकारों की तरह उद्योगपतियों-पूँजीपतियों की ही सरपरस्ती करते रहेंगे?

https://mehnatkash.in/2021/05/11/the-strike-of-micromax-and-voltas-workers-postponed-on-the-advice-of-the-front-amid-the-epidemic/

बहरे कानों तक आवाज़ पहुँचाना होगा!

जाहिर सी बात है कि चूंकि मज़दूरों के आंदोलन का स्तर काफी नीचे है और सरकार या मुख्यमंत्री कोई भी बदल जाए उसके बहरे कानों में मज़दूरों की आवाज तब तक नहीं पहुंच सकती, जब तक कि मज़दूरों का एक बड़ा आंदोलन खड़ा ना हो जाए।

इसलिए मज़दूरों को किसी भ्रम का शिकार नहीं होना चाहिए और अपनी जुझारू एकजुट आंदोलन को और ज्यादा मजबूती से आगे बढ़ाना चाहिए। एक तीखा आंदोलन ही मज़दूरों को न्याय दिलाएगा!