जहाँ पीएम ने लॉन्च किया रोजगार योजना, वहीं नहीं मिल रहा काम

ना तो मिल रहा मजदूरों को भरपूर काम और ना मेहनताना
कोरोना/लॉकडाउन का सबसे बुरा असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ा। रोजगार छिन जाने के बाद लाखों की संख्या में श्रमिक अपने राज्यों को लौट गए थे। बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने राज्य में ही रोजगार देने की बात कही थी। 20 जून को पीएम मोदी ने भी बिहार के खगड़िया से रोजगार योजना का ऐलान किया, लेकिन मज़दूरों को काम नहीं मिल रहा है।
बिहार में चुनाव को देखते हुए मोदी-शाह-नितीश का फोकस उसी पर है। इसी सिलसिले में 20 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के खगड़िया से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अभियान का ऐलान कर दिया था, जिसके तहत मजदूरों को उनके कौशल के आधार पर 125 दिन का काम मिलना था। लेकिन आलम यह है कि जिस जिले से यह स्कीम लॉन्च हुई, वहीं के मजदूर अब तक रोजगार पाने में असफल रहे हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस ने प्रधानमंत्री के अभियान के तहत मिलने वाले रोजगार के लिए खगड़िया के सबसे कम विकसित अलौली ब्लॉक में ही तीन गांव- हरीपुर, मेघौना और सहसी के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। हरीपुर में सामने ने आया कि बारिश के चलते मनरेगा का काम रुका है और 100 मजदूरों जिनमें 20 प्रवासी हैं के लिए ऐसे हालात में काम काफी मुश्किल साबित हो रहा है। यहां मौजूद मनरेगा अफसर रामकेबल पंडित पीएम गरीब कल्याण अभियान के तहत मिले रोजगार का ब्योरा देने में असफल रहे।

वहीं, गिद्धा गांव में मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाले जूनियर इंजीनियर सुनील कुमार ने बताया कि उन्होंने दो गाय के बाड़ों का काम पूरा कराया है। इसमें 6 लोगों को 20 से ज्यादा दिनों का काम मिला। हालांकि, इनमें एक बाड़े का काम पीएम की योजना लॉन्च होने से पहले ही पूरा हो गया था।
कुछ अन्य जगहों पर पीएम की योजना के तहत रोजगार पैदा होने के अच्छे सबूत मिले। खासकर राज्य सरकार के सात निश्चय कार्यक्रम के तहत चलाई जा रही गली-नाली स्कीम में। यहां 1400 फीट की लेन बनाने का काम जारी है। इसे फिलहाल आधा पूरा कर लिया गया है और इसमें 25 कामगार रोजाना की 300 रुपए की मजदूरी पा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट में 15 प्रवासी मजदूर शामिल हैं।
दूसरी तरफ मेघौना पंचायत में अब तक पीएम की स्कीम के तहत कोई रोजगार कार्यक्रम शुरू नहीं हुआ है। अलौली में कुल 21 पंचायत हैं, लेकिन गिनती की महज 10 पंचायतों में ही अभी इस योजना के तहत काम शुरू किया गया है। अलौली के बीडीओ अजीत कुमार का कहना है कि अब तक पूरे ब्लॉक के लिए ही तीन प्रोजेक्ट पास हुए हैं।
इनमें एक 21 सामुदायिक टॉयलेट बनाने का काम है, जिसके तहत 30 दिनों का काम पैदा होगा, वो भी 300 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी के साथ। इसके अलावा 3 हजार घरों के निर्माण का कार्य भी शुरू होना है। सरकार एक पौधरोपण का कार्यक्रम भी कराएगी।

खगड़िया के अलौली ब्लॉक में रहने वाला बृजेश कुमार फिलहाल मनरेगा के तहत काम कर रहा है। वह इसके अलावा भी कमाई बढ़ाने के लिए अलग से भी काम की खोज में है। बृजेश इससे पहले यूपी के कासगंज में एक ब्लेड फैक्ट्री में काम करता था और 11 हजार रुपए प्रतिमाह कमा लेता था। लेकिन पिछले दो महीनों में वह 6 हजार रुपए ही कमा पाया है, इसमें 1400 रुपए उसे मनरेगा में काम करके मिले हैं।
बृजेश का कहना है कि उसे उसका लॉकडाउन का पाठ मिल चुका है। इन छोटे कामों से प्रवासी मजदूर ज्यादा दिन बिहार में नहीं रुक पाएंगे। 18 साल के बृजेश के मुताबिक, उसे अपनी पढ़ाई आगे भी जारी रखनी है, ताकि बेहतर नौकरी मिल सके।
जनसत्ता में प्रकाशित व सम्पादित -साभार