कैसा समाज बनाना चाहते थे शहीदे आज़म भगतसिंह

भगतसिंह के जन्मदिवस (28 सितम्बर) पर आइए उनके विचारों को जानें!
महज 23 साल की उम्र में फँसी का फंदा चूमने वाले शहीदे आज़म भगत सिंह के पास क्रन्तिकारी विचारों की थाती थी और आज़ाद भारत का एक खाका था। वे गोरे लुटेरों की जगह काले लुटेरों का राज बनाने की जगह समतामूलक समाज बनाने के सपने के साथ वे कुर्बान हुए थे।
भगत सिंह का सपना मेहनतकश वर्ग की सम्पूर्ण मुक्ति का सपना था, एक ऐसा समाज जहाँ आदमी के हाथों आदमी के शोषण का खात्मा हो। वह ख़्वाब आज़ादी के 73 सालों बाद भी अधूरा है।
क्या सोच थी शहीदे आज़म की? आइए भगत सिंह व उनके साथियों के विचारों की कुछ झलकियों से जानें-
भगतसिंह के विचार-
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1- इंक़लाब की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।
2- हमारी आज़ादी का अर्थ केवल अंग्रेजी चंगुल से छुटकारा पाने का नाम नहीं, वह पूर्ण स्वतंत्रता का नाम है – जब लोग परस्पर घुलमिल कर रहेंगे और दिमागी गुलामी से भी आजाद हो जाएंगे।
3- भयानक असमानता और जबर्दस्ती लादा गया भेदभाव दुनिया को एक बहुत बड़ी उथल-पुथल की ओर लिए जा रहा है। यह स्थिति अधिक दिनों तक कायम नहीं रह सकती। स्पष्ट है कि आज का धनिक समाज एक ज्वालामुखी के मुहँ पर बैठकर रंगरेलियां मना रहा है और शोषकों के मासूम बच्चे तथा करोड़ों शोषित लोग एक भयानक खड्ड की कगार पर चल रहे है।
4- लोगों को परस्पर लड़ने से रोकने के लिए वर्गचेतना की जरूरत है। ग़रीब मेहनतकश व किसानों को स्पष्ट समझा देना चाहिए कि तुम्हारे असली दुश्मन – पूँजीपति हैं, इसलिए तुम्हें इनके हथकण्डों से बचकर रहना चाहिए और इनके हत्थे चढ़ कुछ नहीं करना चाहिए। संसार के सभी ग़रीबों के, चाहें वे किसी भी जाति, रंग, धर्म या राष्ट्र के हों, अधिकार एक ही है। तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम धर्म, रंग, नस्ल और राष्ट्रीयता व देश के भेदभाव मिटाकर एकजुट हो जाओ और सरकार की ताक़त अपने हाथ में लेने का यत्न करो। इन यत्नों में तुम्हारा नुकसान कुछ नहीं होगा, इससे किसी दिन तुम्हारी जंजीरें कट जाएंगी और तुम्हें आर्थिक स्वतंत्रता मिलेगी।
5- क्रान्ति एक ऐसा करिश्मा है जिससे प्रकृति स्नेह करती है और जिसके बिना कोई प्रगति नहीं हो सकती – न प्रकृति में और न ही इंसानी कारोबार में। …क्रान्ति एक नियम है, क्रान्ति एक आदर्श है और क्रान्ति एक सत्य है।
6- क्रान्ति से हमारा अभिप्राय है – अन्याय पर आधारित मौजूदा समाज व्यवस्था में आमूल परिवर्तन।
7- जब गतिरोध की स्थिति लोगों को अपने शिकंजे में जकड़ लेती है तो किसी भी प्रकार की तबदीली से वे हिचकिचाते हैं। इस जड़ता और निश्क्रियता को तोड़ने के लिए एक क्रान्तिकारी स्पिरिट पैदा करने की जरूरत होती है, अन्यथा पतन और बर्बादी का वातावरण छा जाता है। लोगों को गुमराह करने वाली प्रतिक्रियावादी शक्तियां जनता को गलत रास्ते पर ले जाने में सफल हो जाती हैं। इससे इनसान की प्रगति रुक जाती है और उसमें गतिरोध आ जाता है। इस परिस्थिति को बदलने के लिए यह जरूरी है कि क्रान्ति की स्पिरिट ताजा की जाए, ताकि इंसानियत की रूह में हरकत पैदा हो।
8- जरूरत है निरन्तर संघर्ष करने, कष्ट सहने और कुर्बानी भरा जीवन बिताने की। अपना व्यक्तिवाद पहले खत्म करो। व्यक्तिगत सुख के सपने उतारकर एक ओर रख दो और फिर काम शुरू करो। इंच-इंच कर आप आगे बढ़ेंगे। इसके लिए हिम्मत, दृढ़ता और बहुत मजबूत इरादे की जरूरत है। कितने ही भारी कष्ट व कठनाइयाँ क्यों न हों, आपकी हिम्मत न काँपे। कोई भी पराजय या धोखा आपका दिल न तोड़ सके। कितने भी कष्ट क्यों न आयें, आपका क्रान्तिकारी जोश ठण्डा न पड़े। कष्ट सहने कुर्बानी करने के सिद्धान्त से आप सफलता हासिल करेंगे और ये व्यक्तिगत सफलताएं क्रान्ति की अमूल सम्पत्ति होगी।
9- जब गतिरोध की स्थिति लोगों को अपने शिकंजे में जकड़ लेती है तो किसी भी प्रकार की तबदीली से वे हिचकिचाते हैं। इस जड़ता और निश्क्रियता को तोड़ने के लिए एक क्रान्तिकारी स्पिरिट पैदा करने की जरूरत होती है, अन्यथा पतन और बर्बादी का वातावरण छा जाता है।
10- कोरा विश्वास व अंधविश्वास खतरनाक होता है। क्योंकि यह दिमाग को कुन्द करता है और आदमी की प्रतिक्रियावादी बना देता है।
11- उठो और वर्तमान ब्यवस्था के विरुद्ध बगावत खड़ी कर दो, धीरे-धीरे होने वाले सुधारों से कुछ नहीं बन सकेगा। सामाजिक आन्दोलन से इंक़लाब पैदा कर दो तथा राजनीतिक और आर्थिक क्रान्ति के लिए कमर कस लो। तुम ही तो देश के मुख्य आधार हो, वास्तविक शक्ति हो। सोए हुए शेरों उठो और बग़ावत खड़ी कर दो।
12- अगर कोई सरकार जनता को उनके इन मूलभूत अधिकारों से वंचित रखती है तो जनता का केवल यह अधिकार ही नहीं बल्कि आवश्यक कर्तब्य भी बन जाता है कि ऐसी सरकार को उखाड फेंको।
13- देश को तैयार करने के भावी कार्यक्रम का शुभारम्भ इस आदर्श वाक्य से होगा – ‘‘ क्रान्ति जनता के द्वारा जनता के हित में।’’ दूसरे शब्दों में, 98 प्रतिशत के लिए स्वराज्य।
14- हम वर्तमान ढ़ांचे के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाने के पक्ष में हैं। हम वर्तमान समाज को पूरे तौर पर एक नए सुगठित समाज में बदलना चाहते हैं। इस तरह मनुष्य के हाथों मनुष्य का शोषण असंभव बनाकर सभी के लिए सब क्षेत्रों में पूरी स्वतंत्रता विश्वसनीय बनायी जाये।
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15- भारतीय रिपब्लिक के नौजवानो, नहीं सिपाहियों, कतारबद्ध हो जाओ। आराम के साथ न खड़े रहो और न ही निरर्थक कदमताल किये जाओ। लम्बी दरिद्रता को, जो तुम्हें नकारा कर रही है, सदा के लिए उतार फेंको। तुम्हारा बहुत ही नेक मिशन है। देश के हर कोने और हर दिशा में बिखर जाओ और भावी क्रान्ति के लिए, जिसका आना निश्चित है, लोगों को तैयार करो। फर्ज़ के बिगुल की आवाज़ सुनो वैसे ही खाली ज़िन्दगी न गँवाओ। बढ़ो, तुम्हारी ज़िन्दगी का हर पल इस तरह के तरीके और तरतीब ढ़ूँढ़ने में लगना चाहिए, कि कैसे अपनी पुरातन धरती की आँखों में ज्वाला जागे और एक लम्बी अँगड़ाई लेकर वह जाग उठे।
16- क्रान्ति करना बहुत कठिन काम है। यह किसी एक आदमी के ताक़त के वश की बात नहीं है और न ही यह किसी निश्चित तारिख को आ सकता है। यह तो विशेष सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों से पैदा होती है और एक संगठित पार्टी को ऐसे अवसर को संभालना होता है और जनता को इसके लिए तैयार करना पड़ता है। क्रान्ति के दुस्साध्य कार्य के लिए सभी शक्तियों को संगठित करना होता है। इस सबके लिए क्रान्तिकारी कार्यकर्ताओं को अनेक कुर्बानियाँ देनी होती हैं।
17- सभी देशों को आजाद करवाने वाले वहाँ के विद्यार्थी और नौजवान ही हुआ करते हैं। क्या हिन्दुस्तान के नौजवान अलग-अलग रहकर अपना और देश का अस्तित्व बचा पाएंगे? नौजवान 1919 के विद्यार्थियों पर किये गये अत्याचार भूल नहीं सकते। वे पढ़ें, जरूर पढ़ें। साथ ही पॉलिटिक्स का भी ज्ञान हासिल करें और जब जरूरत हो तो मैदान में कूद पड़ें और अपना जीवन इसी काम में लगा दें। अपने प्राणों का इसी में उत्सर्ग कर दें। वरन् बचने का कोई उपाय नज़र नहीं आता।
18- नौजवानों को क्रान्ति का यह संदेश देश के कोने-कोने में पहुंचाना है, फैक्ट्री-कारखानों के क्षेत्रों में, गंदी बस्तियों और गांव की जर्जर झोपडियों में रहने वाले करोड़ों लोगों में इस इंक़लाब की अलख जगानी है, जिससे आज़ादी आएगी और तब एक मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य का शोषण असंभव हो जाएगा।
19- युवकों के सामने जो काम है, वह काफ़ी कठिन है और उनके साधन बहुत थोड़े हैं। उनके मार्ग में बहुत सी बाधाएँ भी आ सकती हैं। लेकिन थोड़े किन्तु निष्ठावान व्यक्तियों की लगन उन पर विजय पा सकती है। युवकों को आगे आना चाहिए। उनके सामने जो कठिन एवं बाधाओं से भरा हुआ मार्ग है, और उन्हें जो महान कार्य सम्पन्न करना है, उसे समझना होगा।
20- नौजवान दोस्तो, इतनी बड़ी लड़ाई में अपने आपको अकेला पाकर हताश मत होना। अपनी शक्ति को पहचानो। अपने ऊपर भरोसा करो। सफलता आपकी है।
21- लंगर ठहरे हुए छिछले पानी में पड़ता है।
विस्तृत और आश्चर्यजनक सागर पर विश्वास करो
जहाँ ज्वार हर समय ताज़ा रहता है
और शक्तिशाली धाराएँ स्वतंत्र होती हैं –
वहाँ अनायास, ऐ नौजवान कोलम्बस
सत्य का तुम्हारा नया विश्व हो सकता है।
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