जनसंघर्ष की जीत: लुधियाणा अदालत ने शहनाज़ कत्लकांड के दोषियों को सुनाई उम्रकैद की सजा

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लुधियाणा (पंजाब)। शहनाज़ कत्लकांड-2014 के 7 दोषियों – बिंदर भारती, मो. अनवर, अमरजीत सिंह, मो. नियाज़, विकास कुमार सिन्हा उर्फ बल्ली, मो. शहज़ाद और बब्बू भारती – को लुधियाणा की सेशन कोर्ट द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

ढंडारी बलात्कार और कत्ल कांड विरोधी संघर्ष कमेटी ने अदालत के इस फैसले को जनसंघर्ष की अहम प्राप्त करार दिया है।

2014 का वीभत्स ढंडारी बलात्कार और कत्ल कांड

ढंडारी बलात्कार और कत्ल कांड विरोधी संघर्ष कमेटी के संयोजक लखविंदर ने बताया कि शहनाज़ को 4 दिसंबर 2014 को एक गुंडा गिरोह ने मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी थी। चार दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई थी। इससे पहले शहनाज़ को 25 अक्टूबर को अगवा करके दो दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया गया था।

राजनीतिक सरपरस्ती के तहत पलने वाले इस गुंडा गिरोह के खिलाफ कार्रवाई करने में पुलिस ने बेहद ढिलाई बरती, पीड़ितों की ठीक से सुनवाई नहीं की गई, रिपोर्ट लिखने और मेडिकल कराने में देरी की गई। बलात्कार और अपहरण के दोषी 18 दिन बाद जमानत कराने में कामयाब हो गए।

गुंडा गिरोह ने शहनाज़ और उसके परिवार को केस वापस लेने के लिए डराया, जान से मारने की धमकियां दीं। 4 दिसंबर को दिन-दहाड़े सात गुंडों ने मिट्टी का तेल डालकर शहनाज़ को जला दिया। 9 दिसंबर 2014 को उसकी मौत हो गई थी।

कमेटी की अगुवाई में हुआ बड़ा संघर्ष

गुंडा गिरोह के इस जघन्य अपराध और गुंडा-पुलिस-सियासी नापाक गठजोड़ के खिलाफ हजारों लोगों द्वारा ढंडारी बलात्कार और कत्लकांड विरोधी संघर्ष कमेटी की अगुवाई में विशाल संघर्ष लड़ा गया था। संघर्ष समिति में कारखाना मजदूर यूनियन, टेक्सटाइल-हौजरी कामगार यूनियन, नौजवान भारत सभा, पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (ललकार) शामिल थे।

इस संघर्ष के दबाव में पुलिस को कत्लकांड के 7 दोषियों को गिरफ्तार कर जेल में डालना पड़ा और मज़बूत चार्जशीट पेश करनी पड़ी। जनसंघर्ष के बिना यह संभव नहीं था।

संघर्ष से मिली बड़ी जीत

करीब साढ़े नौ साल से दोषी जेल में बंद रहे। लुधियाणा सेशन अदालत और उच्च न्यायालय में जमानत की सारी कोशिशें नाकाम की गईं। शहनाज़ के माता-पिता और अन्य मोहल्ला निवासियों ने विभिन्न प्रकार के दबाव और लालच के बावजूद डटकर गवाही दी, कानूनी लड़ाई लड़ी।

आखिर आज 18 जुलाई 2024 को सेशन कोर्ट ने बिंदर, अनवर, अमरजीत, नियाज़, बल्ली, शहज़ाद, बब्बू को आईपीसी धारा 302 के तहत दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।

लखविंदर ने बताया कि सेशन कोर्ट में केस की पैरवी मुख्य रूप से डेमोक्रेटिक लॉयर्स एसोसिएशन और जम्हूरी अधिकार सभा के नेता एडवोकेट हरप्रीत सिंह जीरख ने की। एडवोकेट रजनीश कुमार राणा (बठिंडा) ने भी इस केस में भरपूर मदद की, वह अनेकों बार लुधियाणा आकर केस में मदद करते रहे। एडवोकेट विपिन कुमार पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में दोषियों की जमानत की अर्जियों का विरोध करने के लिए पेश होते रहे। वकीलों ने यह केस बिना किसी फीस के लड़ा है।

संघर्ष कमेटी और इस कांड की पीड़िता शहनाज़ के पारिवारिक सदस्यों ने इस फैसले पर खुशी जताते हुए इस संघर्ष में शामिल रहे सभी लोगों का धन्यवाद किया है।

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