वाराणसी: गांधी-विनोबा-जेपी की विरासत ‘सर्व सेवा संघ’ भवनों को प्रशासन ने बुलडोजर से ढहा दिए

भाजपा सरकार का मानमानपन: बीते 22 जुलाई को 63 साल पुराने सर्व सेवा संघ के भवनों को खाली कराया, जो अब भारी विरोध के बीच जमींदोज हो गए, 20 लोग हिरासत में लिए गए।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ परिसर में शनिवार की सुबह बुलडोजरों ने गांधी-विनोबा भावे और जेपी की विरासत को जमींदोज कर दिया। शाम 5 बजे तक संघ के 20 भवन बुलडोजर से ढहा दिए गए। संघ से जुड़े लोगों ने प्रशासन की कार्रवाई का विरोध किया, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। विरोध कर रहे 10 लोगों को हिरासत में लेकर पुलिस लाइन भेज दिया गया।
विरोध करने के लिए महिलाएं भी पहुंची। वो रोती बिलखती रहीं, लेकिन किसी को अंदर नहीं जाने दिया गया। परिसर में पुलिस, प्रशासन और रेलवे के अधिकारी मौजूद रहे।
ज्ञात हो कि राजघाट इलाके में सर्व सेवा संघ का परिसर है। 13 एकड़ में फैले परिसर में करीब 80 मकान बने हुए हैं। इनमें रहने के लिए मकान और ऑफिस हैं। उन्हें एक-एक करके गिराया जा रहा है।

22 जुलाई को भवनों को कराया था खाली
27 जून को सर्व सेवा संघ को जमीन खाली करने का नोटिस जारी किया गया। संघ से जुड़े लोग सुप्रीम कोर्ट तक गए, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। बीते 22 जुलाई को सर्व सेवा संघ के भवनों को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में खाली कराया गया।
गांधी-जेपी के समर्थकों के लाख प्रयास के बावजूद प्रशासन और रेलवे के अधिकारियों ने 22 जुलाई 2023 को सामान बाहर निकलवा दिया था। वहां रह रहे लोगों को जबरिया बेदखल कर दिया गया। लाइब्रेरी और दफ्तरों को खाली करा लिया गया। बाद में रेलवे ने वहां अपना बैनर लगा दिया था।

सुबह ही बुलडोजर चल पड़ा
शनिवार सुबह सात बजे जिला प्रशासन और रेलवे के अधिकारी भारी पुलिस बल और आरपीएफ के के साथ बुलडोजर और ध्वस्तीकरण से संबंधित अन्य मशीनें लेकर सर्व सेवा संघ परिसर पहुंचे। आरपीएफ, सिविल पुलिस के अलावा पीएसी के जवानों ने समूचे परिसर को घेर लिया। एक घंटे बाद प्रशासन के आला अफसर भी मौके पर पहुंच गए। आनन-फानन में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी।
करीब 12.898 एकड़ में फैले सर्व सेवा संघ परिसर में 48 से अधिक आवास और चार संग्रहालय थे। परिसर में एक डाकघर भी है, जिसे खाली करने के लिए 13 अगस्त 2023 तक का समय दिया गया है। डाक महकमे के लोग अपना सामान शिफ्ट करने में जुटे हैं।
सुबह ही सुरक्षाकर्मियों ने समूचे परिसर को घेर लिया था। परिसर के अंदर जाने से सभी को रोक दिया गया था। ध्वस्तीकरण कार्रवाई से पहले परिसर में सर्च ऑपरेशन चलाया गया। अफसरों ने बिल्डिंगों का मुआयना किया। मीडिया को भी इस कार्रवाई के कवरेज की छूट नहीं दी गई।
विरोध कर रहे कार्यकर्ता हुए गिरफ्तार

ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान समूचा इलाका धूल और गर्द से पट गया। कई कमरों में मौजूद समान को रेल प्रशासन ने नहीं निकालने दिया था। इस दौरान संघ परिसर में सब कुछ तहस-नहस हो गया। रेलवे और पुलिस प्रशासन की इस कार्रवाई से आक्रोशित गांधी-जेपी के समर्थकों ने विरोध किया और मुख्य भवन के गेट के सामने सड़क पर लेटकर प्रदर्शन किया।
विरोध प्रदर्शन कर रहे गांधीवादी नेता राम धीरज के अलावा एक्टिविस्ट नंदलाल मास्टर, फादर आनंद, अनूप आचार्य, अरविंद कुशवाहा, ध्रुव, अवनीश, जागृति राही, अनूप श्रमिक, तारकेश्वर, आदि करीब 20 लोगों को हिरासत में लेकर पुलिस लाइन भेज दिया गया।
संघ परिसर में बुलडोजरों के धमकते ही गांधी-विनोबा-जेपी के समर्थकों ने देशभर के लोगों से विरासत बचाने के अंतिम प्रयास की इमोशनल अपील की। जिसके बाद बनारस के तमाम प्रबुद्ध नागरिकों और गांधी के अनुयायियों ने राजघाट की ओर कूच किया, लेकिन ज्यादातर लोगों को भदऊं चुंगी पर रोक दिया गया। किसी को आगे नहीं बढ़ने दिया गया।

करीब 63 साल पुरानी थी ऐतिहासिक इमारत
ज्ञात हो कि सर्व सेवा संघ गांधी विचार का राष्ट्रीय शीर्ष संगठन है। इसकी स्थापना मार्च 1948 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में सम्पन्न हुए सम्मेलन में हुआ। इस सम्मेलन में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू सहित शीर्ष राष्ट्रीय नेताओं यथा–आचार्य कृपलानी, आचार्य विनोबा भावे, मौलाना अबुल कलाम आजाद, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, जेसी कुमारप्पा एवं अन्य नेता उपस्थित थे।
आचार्य विनोबा भावे की पहल पर उक्त जमीनें लालबहादुर शास्त्री के सहयोग से सर्व सेवा संघ ने 1960, 1961 एवं 1970 में रेलवे से खरीदा है, जिसका डिविजनल इंजीनियर नार्दन रेलवे, लखनऊ द्वारा हस्ताक्षरित तीन रजिस्टर्ड सेल डीड हैं।
वर्ष 1960 में जयप्रकाश नारायण ने सर्व सेवा संघ को गांधी विचार के उच्च अध्ययन एवं शोध के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना का सुझाव दिया। तद्नुसार सर्व सेवा संघ ने अपनी जमीन पर राजघाट, वाराणसी में ‘दी गांधीयन इन्स्टीट्यूट ऑफ स्टडीज’(गांधी विद्या संस्थान) की स्थापना की।

भारतीय इतिहास की एक शर्मनाक घटना -सर्व सेवा संघ
सर्व सेवा संघ ने विज्ञप्ति जारी कर कहा, आज फिर से कानून की धज्जियां उड़ाते हुए संत विनोबा भावे की प्रेरणा से स्थापित साधना केंद्र सर्व सेवा संघ परिसर, राजघाट वाराणसी को स्थानीय प्रशासन और रेलवे की जुगलबंदी से ध्वस्त किया जा रहा है। यह सोचना नादानी होगी कि स्थानीय सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति के बिना ऐसा हो रहा है। प्रधानमंत्री कार्यायल के इशारे पर रची जा रही विध्वंस की यह घटना भारतीय इतिहास की एक शर्मनाक घटना के रुप में याद किया जाएगा।
सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल ने कहा, किताबें और पुस्तकालय को बर्बाद करने वाले दुर्दांत जालिम के रुप में ये सत्ताधीन जाने जाएंगे। यह बुलडोजर सत्ता का हमला है, जो गांधी विनोबा और जेपी की विरासत को नष्ट करने के इरादे से किया जा रहा है, लेकिन ऐसा संभव नहीं है।