उत्तराखंड: हेलंग गाँव में महिलाओं से घास का गट्ठर जबरिया छीनने की शर्मनाक घटना का विरोध तेज

लोगों का कहना है कि उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों की लूट के बीच महिलाओं के साथ की गई अभद्रता बहुत शर्मनाक है। यह उत्तराखंड की अस्मिता एवं महिला शक्ति का अपमान है।
बीते 15 जुलाई को उत्तराखंड के चमोली जनपद के उत्तराखंड के हेलंग में घास ले जा रहीं महिलाओं की गिरफ्तारी से राज्य में जनता का गुस्सा सतह पर आ गया है।
घटना के विरोध में 19 और 20 जुलाई को राज्यभर में जिला और तहसील मुख्यालय स्तर पर धरने-प्रदर्शनों का आयोजन किया गया और संबंधित अधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजा गया। राज्यभर के तमाम संगठनों ने 24 जुलाई को हेलंग का आह्वान किया।
24 जुलाई को हेलंग गांव में कई सामाजिक, पर्यावरणीय और राजनीतिक निकायों ने विरोध प्रदर्शन किया, और कहा कि यह पहाड़ी निवासियों और राज्य की आसपास की पारिस्थितिकी की दयनीय स्थिति को उजागर करता है।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने दोषियों को जल्द सजा देने की मांग को लेकर अल्मोड़ा के चौघानपाटा स्थित गांधी पार्क में धरना प्रदर्शन किया। सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

रामनगर (नैनीताल) के लखनपुर चुंगी पर इस घटना के विरोध में विभिन्न संगठनों ने धरना प्रदर्शन करते हुए राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने इसे पूरे उत्तराखंड की महिलाओं का अपमान बताया और कहा की अब सहन नहीं किया जाएगा।
मंगलवार को नैनीताल में जोरदार विरोध प्रदर्शन हुआ।
इस मौक पर वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधन जल, जंगल, जमीन सभी पर भू माफिया कब्जा कर रहे है। जिसमें सरकार अंकुश लगाने में सक्षम नहीं है। पुलिस प्रशासन द्वारा हेलंग में घास ले जा रहीं महिलाओं के घास के गट्ठर को जबरदस्ती छीनने और महिलाओं के साथ की गई अभद्रता बहुत शर्मनाक है। सरकार को जल्द से जल्द घटना में शामिल दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। चेतावनी देते हुए कहा कि जल्द कार्रवाई नहीं होने पर उग्र आंदोलन किया जाएगा।

क्या है पूरा मामला
हेलंग गांव में गौचर-पनघट की जो थोड़ी सी जमीन अलकनन्दा के किनारे वाले ढलान पर बची है। इस जमीन को खेल मैदान बनाने का झांसा देकर डंपिंग ग्राउंड बनाने का गांव के ज्यादातर लोग विरोध कर रहे हैं।
गांव की एक महिला मंदोदरी देवी 15 जुलाई को जब चारा-पत्ती पीठ पर लादे लौट रही थीं तो उन्होंने इस जमीन पर पेड़ कटे हुए देखा। विरोध किया तो वहां मौजूद निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजना स्थल की रक्षा के लिए नियुक्त सीआईएसएफ और पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार करके पीठ पर लदा चारा-पत्ती छीनने का प्रयास किया।
सुरक्षा कर्मियों के इस व्यवहार से दुखी होकर महिलाएं रोने लगी। उसके बाद बाद तीन महिलाओं और एक पुरुष को हिरासत में लिया गया। उनके साथ एक दो वर्ष के बच्चे को भी करीब डेढ़ घंटे तक मौके पर ही सरकारी गाड़ी में बिठाकर रखा गया और फिर जोशीमठ थाने ले जाया गया, जहां छह घंटे बिठाये रखने के बाद उनके खिलाफ शांति भंग करने का मुक़दमा दर्ज़ कर लिया गया। बाद निजी मुचलके पर रिहा किया गया।
टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन द्वारा विष्णुगढ़ पीपलकोटी (444 मेगावाट) परियोजना के लिए मलबा डंपिंग साइट के रूप में अधिगृहीत की गई गांव की एकमात्र चारागाह भूमि से महिलाओं को चारा काटने से रोक दिया गया था, यह परियोजना पिछले 15 वर्षों से बनाई जा रही है।
हेलंग गांव कल्पगंगा और अलकनंदा नदियों के संगम के ऊपर स्थित है। मेगा तपोवन विष्णुगढ़ (520 मेगावाट) जलविद्युत परियोजना की सुरंग गांव में है, जो इस परियोजना का अंतिम बिंदु है। जैसे ही यह परियोजना पूरी होगी, इस परियोजना में इस्तेमाल होने वाली धौली गंगा नदी का पानी इस सुरंग से निकेलगा। यह पानी फिर कुछ दूरी पर एक अन्य सुरंग में प्रवेश करेगा, जो टीएचडीसी के विष्णुगढ़ पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना से संबंधित है।
परियोजना शुरू करने से पहले एक अनिवार्य जन-सुनवाई के दौरान परियोजना के संबंध में सार्वजनिक शिकायतों के निवारण जैसे सभी मानदंडों को टीएचडीसी ने धता बता दिया था। स्थानीय लोग गांव की जमीन को कूड़ाकरकट डंपिंग साइट के रूप में चुनने का विरोध कर रहे थे।
इस घटना का किसी ने वीडियो बना दिया और यह हरेला उत्सव के दिन वायरल हुआ, तब, जब पूरा राज्य वृक्षारोपण के माध्यम से हरियाली का जश्न मना रहा था। राज्य में महिलाओं को पेड़ों, जंगल और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने में सबसे आगे माना जाता है, इसलिए पारंपरिक अधिकारों का इतेमाल करने पर उनके उत्पीड़न को कई समूहों ने गंभीरता से लिया है।
लोगों ने कहा कि उत्तराखंड की महिलायें हैं जिन्होंने राज्य के लिए लड़ाई लड़ी और जंगल, जमीन और पानी की रक्षा के लिए चिपको आंदोलन जैसे आंदोलन का नेतृत्व किया था। चारा इकट्ठा करने के अपने पारंपरिक अधिकारों का इस्तेमाल करने पर किसी बाहरी कंपनी के इशारे पर उन्हें परेशान होते देखना असहनीय है।