उत्तरप्रदेश अब योगी राज में बिजली होगी और महँगी, लगेगा सरचार्ज

यूपीसीएल ने विद्युत नियामक आयोग को भेजा प्रस्ताव
उतरप्रदेश की योगी सरकार ने इस आपदा के दौर में एक और अवसर तलाश लिया है। अब प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं पर रेगुलेटरी सरचार्ज लगाकर नया बोझ डालने की तैयारी हो गई है। सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव राज्य विद्युत नियामक आयोग को भेजा जा चुका है।
ख़बर के अनुसार कोरोना संक्रमण से जूझ रहे उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं पर रेगुलेटरी सरचार्ज लगाने के लिए यूपी पावर कार्पोरेशन (यूपीसीएल) ने बीते शुक्रवार (14 मई) की देर शाम यूपीपीसीएल ने नियामक आयोग को प्रस्ताव भेजा है। अब 17 मई को नियामक आयोग इस पर सुनवाई करेगा।
बिजली बिल में 10 प्रतिशत हो जाएगा इजाफा
दरअसल रेगुलेटरी सरचार्ज लगने पर बिजली बिल में करीब 10% अधिक भुगतान करना होगा। बिजली दर की जगह अब रेगुलेटरी सरचार्ज के नाम पर बिजली बिल बढ़ाने की तैयारी है। कोरोना/लॉकडाउन झेल रहे और संकटग्रस्त बिजली उपभोक्ताओं पर इससे एक और बोझ बढ़ेगा।
बिजली विभाग पर उपभोक्ताओं का है बकाया
एक मामले में नियामक आयोग ने सभी पक्षों को सुनने के बाद पाया कि बिजली कम्पनियो पर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओ का वर्ष 2017-18 तक उदय व ट्रूप में रुपया 13337 करोड़ निकाला था। जिसे आगे उपभोक्ताओं को लाभ देने की बात कही गयी थी। अब सब मिलाकर वर्ष 2020-21 तक लगभग 19537 करोड़ हो गया है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि विद्युत उपभोक्ता परिषद् ने नियामक आयोग में अपनी याचिका दाखिल करके इसके एवज में एकमुश्त 25 प्रतिशत अथवा 3 वर्षो तक 8 प्रतिशत बिजली दरों में कमी करने अथवा रेगुलेटरी लाभ देने की मांग उठाई है।
निमयक आयोग ने लगा दिया सरचार्ज
इसके विपरीत प्रदेश की बिजली कम्पनियो ने बीते देर रात नियामक आयोग में एक प्रस्ताव दाखिल किया, जिसमें सरकार के एक पुराने पत्र का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि उदय व ट्रूप का समायोजन पर जो निर्णय आयोग ने पूर्व में दिया है, वह ठीक नहीं है।
आयोग उस पर पुनर्विचार करे। क्योंकि यूपी की बिजली कम्पनियों का वर्ष 2000 से अब तक ट्रूप के आकड़ो पर पुनर्विचार किया जाय तो ब्याज सहित उपभोक्ताओं पर वर्ष 2020-21 तक 49827 करोड़ निकल रहा है। इसी आधार पर प्रदेश के उपभोक्ताओं पर पुनः रेगुलेटरी सरचार्ज लागू किया जाय।
डकैतियों के बीच जनता पर नया बोझ
इस दौर में तमाम रोजगार के अवसर बंद हो गए हैं, बेरोजगारी भयावह है, महँगाई सारे रिकार्ड तोड़ रही है, कोरोना चालान के बहाने जनता की पाकेट पर डकैतियाँ चरम पर हैं। तय है कि इससे प्रदेश की संकटग्रस्त जनता पर टैक्स का एक और बोझ पड़ेगा।