यूनियन सदस्यता ठेका मज़दूर का कानूनी अधिकार है, पंजीकरण रद्द करना अविधिक है -बेलसोनिक यूनियन

बेलसोनिका यूनियन ने मज़दूरों के संगठित होने के अधिकार व ठेका मज़दूर की सदस्यता पर पंजीकरण रद्द करने की कड़ी निंदा कर व्यापक व जुझारू संघर्ष का आहवान किया है।
गुड़गांव। 30 अक्टूबर 2023 को बेलसोनिका यूनियन द्वारा धरना स्थल, लघु सचिवालय, गुरुग्राम में ठेका मजदूर को यूनियन की सदस्यता दिए जाने पर ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा द्वारा यूनियन के पंजीकरण को रद्द किए जाने के विरोध व वर्तमान स्थिति के बारे में प्रेस वार्ता आयोजित की।

बेलसोनिक यूनियन के प्रधान मोहिन्दर कपूर व महासचिव अजित सिंह ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि बेलसोनिका यूनियन पिछले ढ़ाई साल से प्रबंधन की छंटनी के खिलाफ संघर्ष कर रही है। बेलसोनिका प्रबंधन स्थाई श्रमिकों की छंटनी कर उनके स्थान पर ठेके कौशल विकास के नाम पर अधिकार विहीन मजदूर रख कर मुनाफा कमाना चाहता है। जबकि श्रम कानूनों में स्थाई कार्य कर स्थाई रोजगार के कार्य का प्रावधान है।
बेलसोनिका यूनियन ने स्थाई कार्य पर स्थाई रोजगार व समान काम का समान वेतन की कानूनी मांग को लागू करने के लिए वर्ष 2021 में मांग पत्र भी लगाया हुआ है। जिस पर श्रम विभाग ने कोई भी कार्यवाही नही की है।
बेलसोनिका यूनियन ने ठेका मजदूर को यूनियन की सदस्यता देने के लिए यूनियन के संविधान में संशोधन भी करवाया। ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार ने वर्ष 2021 में यूनियन के संविधान में संशोधन भी किया। संविधान में संशोधन के बाद यूनियन ने 14 अगस्त 2021 को बेलसोनिका फैक्ट्री में कार्य करने वाले एक ठेका श्रमिक को यूनियन की सदस्यता दी।
यूनियन ने दिनांक 28 जुलाई 2022 को यूनियन की आयकर रिर्टन में एक ठेका श्रमिक को यूनियन की सदस्यता को स्वीकार कर ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार के कार्यालय में जमा करवाया।
बेलसोनिका प्रबंधन ने 23 अगस्त 2022 को ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा सरकार को पत्र लिखकर ठेका मजदूर को यूनियन की सदस्यता देने पर यूनियन के पंजीकरण को रद्द करने की सिफारिश की। ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा ने 5 सितम्बर 2022 को पत्र जारी कर यूनियन से ठेका मजदूर को यूनियन की सदस्यता देने पर स्पष्टीकरण मांगा। यूनियन ने 28 सितम्बर 2022 को ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार को स्पष्टीकरण पेश किया कि यूनियन ने एक ठेका मजदूर को यूनियन की सदस्यता दी।
यूनियन की सदस्यता लेना ठेका मजदूर का कानूनी अधिकार है। देश के संविधान का आर्टिकल 19 भी ठेका मजदूर को यह इजाजत देता है। लेकिन ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार यूनियन के इस जवाब से सतुष्ट नही हुए और उसने यूनियन को 26.12.2022 का ‘‘कारण बताओ नोटिस‘‘ जारी कर 60 दिन का समय देते हुए यूनियन के पंजीकरण को रद्द करने की धमकी दी। यूनियन ने ठेका मजदूर की सदस्यता को अस्थाई तौर पर रद्द कर दिया।
ठेका मजदूरों ने यूनियन की सदस्यता को रद्द किए जाने के खिलाफ फरवरी 2023 में उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ में यूनियन के खिलाफ केस दायर किया। उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद यूनियन व ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर दिए। ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा ने अभी तक भी इसमें अपना जवाब दाखिल नही किया है।
बेलसोनिका यूनियन ने ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा द्वारा जारी ‘‘कारण बताओ नोटिस‘‘ को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। उच्च न्यायालय ने ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। 25 सितम्बर 2023 को उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई थी। लेकिन ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार ने 23 सितम्बर 2023 शनिवार को छुट्टी के दिन अपना दफ्तर खोल कर यूनियन के पंजीकरण को रद्द कर दिया।
यूनियन ने कहा कि ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा द्वारा की गई इस कार्यवाही से यह साफ प्रतीत हो रहा है कि उच्च न्यायालय में मामला विचाराधीन होने के बावजूद भी ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार ने यूनियन के पंजीकरण को रद्द कर अपने आप को कानून से उपर घोषित कर दिया। श्रम विभाग व ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा बिल्कुल नंगे तौर पर मालिकों की सेवा में तत्पर है। फैक्ट्री मालिकों को अब कानून का कोई खौफ नही है। क्योंकि जिस श्रम विभाग के ऊपर श्रम कानूनों को लागू करने की जिम्मेदारी है वह अब मालिकों का ऐजेंट माफिक व्यवहार कर रहा है।
ठेका मजदूर को यूनियन की सदस्यता देना कोई अपराध नही है। ठेका मजदूर को सदस्यता के दो-दो मामले माननीय उच्च न्यायालय में लम्बित है लेकिन उसके बावजूद भी ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा द्वारा यूनियन के पंजीकरण को रद्द करना, मजदूरों के संगठित होने के अधिकार के ऊपर हमला है। ठेका मजदूरों के संगठित होने के अधिकार व एक फैक्ट्री के स्तर पर मजदूरों को एक यूनियन में संगठित होने से रोकने के लिए पूँजीपति वर्ग देश के किसी कानून को नही मानता।
फैक्ट्री की चारदीवारी के भीतर देश के कोई कानून लागू नही होते। फैक्ट्री के भीतर फैक्ट्री मालिकों की अलग से अपनी एक राजसत्ता है तथा अपने कानून है। श्रम विभाग या ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार स्थाई कार्य पर स्थाई रोजगार के कार्य के कानूनी प्रावधान को लागू कराने में असमर्थ व असहाय है जबकि यह देश के केन्द्रीय श्रम कानूनों में लिखा हुआ है।
बेलसोनिका यूनियन द्वारा ठेका मजदूर को यूनियन की सदस्यता देना मजदूरों के सामूहिक मोल-भाव के कानूनी अधिकार को हासिल करना था। लेकिन बेलसोनिका प्रबंधन व श्रम विभाग को यह रास नही आया। बेलसोनिका यूनियन के पंजीकरण को रद्द कर ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा सरकार ने यूनियन के सामूहिक समझौतो के अधिकार को ही खत्म कर दिया।
छोटी-छोटी फैक्ट्रियों से लेकर मारूति, होण्डा, हीरो जैसी बड़ी फैक्ट्रियों में एक बड़ी तादाद ठेका मजदूरों व कौशल विकास के मजदूरों की है। स्थाई श्रमिकों का बहुत छोटा हिस्सा रह गया है। लेकिन स्थाई श्रमिकों को यह छोटा हिस्सा भी मालिकों को फैक्ट्री के अन्दर नही चाहिए। लेबर कोड्स लागू कर अब स्थाई श्रमिकों के इस छोटे हिस्से पर भी छंटनी के माध्यम से हमला बोला जा रहा है।
यूनियन प्रतिनिधियों ने कहा कि उदारीकरण-निजीकरण-वैश्वीकरण की नीतियों के पिछले लगभग तीन दशक का परिणाम है कि निजी व सार्वजनिक क्षेत्र में स्थाई नौकरियों को खत्म कर बड़े पैमाने पर ठेका प्रथा को लागू किया गया। आज देश भर में ठेका मजदूरों की इतनी बुरी स्थिति है कि उन्हे 10-12 हजार रूपए में गुजर बसर करना पड़ रहा है। उन्हे संगठित होने के अधिकार से वचिंत किया जा रहा है। अगर कोई यूनियन ठेका मजदूर को अपनी यूनियन की सदस्यता देती है तो उस यूनियन का पंजीकरण ही रद्द कर दिया जाता है।
बेलसोनिका यूनियन ने स्थाई कार्य पर स्थाई रोजगार को लागू कराने, छंटनी पर रोक लगाने, श्रम कानूनों को लागू कराने को लेकर वर्ष 2021 से अब तक दर्जनों ज्ञापन गुड़गांव प्रशासन को दे चुकी है। लेकिन प्रशासन व श्रम विभाग ने आज तक यूनियन की मांगो पर कोई संज्ञान नही लिया है।
यहां तक कि यूनियन व प्रबंधन के मध्य हुए एक जून 2023 के त्रिपक्षीय समझौते तक को लागू कराने की जहमत श्रम विभाग नही उठा रहा है। बल्कि श्रम विभाग के अधिकारी बेलसोनिका प्रबंधन को खुलेआम सुझाव दे रहे है कि समझौते को लागू करने की बजाय आप श्रमिकों को निकाल दो।
मोदी सरकार द्वारा 44 केन्द्रीय श्रम कानूनों को खत्म कर पारित किए गए 4 लेबर कोड्स में स्थाई रोजगार के स्थान पर फिक्स टर्म इम्प्लायमेंट, कौशल विकास के नाम पर अधिकारविहीन मजदूर ठेका प्रथा को बढ़ावा तथा मजदूरों के संगठित होने के अधिकार पर हमला है।
लेबर कोड्स कानूनी तौर पर अभी लागू भी नही हुए है लेकिन व्यवहारिक तौर पर पूंजीपति वर्ग ने इन्हे लागू करना शुरू भी कर दिया है। बेलसोनिका यूनियन पर किया गया यह हमला आगे आने वाले खतरे की आहट है कि पूंजीपति वर्ग के लिए देश का कानून व श्रम विभाग कोई बाधा नहीं है।

यूनियन ने बताया कि बेलसोनिका यूनियन 12 अक्टूबर 2023 से ठेका मजदूर को यूनियन की सदस्यता देने पर ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार द्वारा यूनियन के पंजीकरण को रद्द करने के खिलाफ अपनी यूनियन की मांगो के साथ दिन-रात ‘‘प्रतिरोध धरने‘‘ पर बैठी हुई है। आज (30 अक्टूबर) यूनियन के धरने को 19 दिन हो गए है लेकिन शासन-प्रशासन व श्रम विभाग ने अभी तक मजदूरो की कोई सुध नही ली है। फैक्ट्री के अन्दर बेलसोनिका प्रबंधन ने मजदूरों में डर व भय का माहौल पैदा कर दिया है। यूनियन गतिविधियों में शामिल होने वाले श्रमिकों को आरोप पत्र दिए जा रहे है।
बेलसोनिका यूनियन ने मज़दूरों के संगठित होने के अधिकार व ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा द्वारा एक ठेका मज़दूर को यूनियन की सदस्यता देने पर यूनियन के पंजीकरण को रद्द करने की कड़ी निंदा की है तथा इसके खिलाफ अपने संघर्ष को व्यापक व जुझारू बनाने के लिए अन्य यूनियन, ट्रेड यूनियनों व मज़दूर संगठनों का आहवान किया है।