कोरोना काल में बेरोजगार बढ़ी, 9 माह में 71 लाख पीएफ खाते हुए बन्द

संकट में पूरा बोझ मज़दूरों पर, बेरोजगारी भयावह
कोरोना काल के दौरान बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां चली गईं ऐसे में भविष्य के लिए बचाया गया धन भी सुरक्षित नहीं रह पाया। पिछले साल के अप्रैल से दिसंबर तक के आँकड़े दिखा रहे हैं कि इस दौरान बंद किए जाने वाले पीएफ अकाउंट्स में 6.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और यह संख्या 71 लाख तक पहुंच गई। यह ऐसा कठिन समय था जब हर क्षेत्र में लोगों की नौकरियों पर बन पड़ी और उन्हें बेरोजगार होना पड़ा।
वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान पहले नौ मीहनों में 66 लाख अकाउंट बंद हो गए। बता दें कि देशभर में लगभग 5 करोड़ ऐक्टिव ईपीएफ अकाउंट हैं और कोई अकाउंट तभी बंद होता है जब कोई रिटायर हो, नौकरी चली जाए या फिर नौकरी बदली जाए।
कोरोना के समय में आर्थिक संकट से जूझ रहे लोगों को मजबूरी में भविष्य के लिए बचाई हुई राशि को भी निकालना पड़ा। इन नौ महीनों में राशि निकासी में भी 33 फीसदी की वृद्धि हो गई और लगभग 73498 करोड़ रुपये की निकासी की गई। वहीं पिछले वित्त वर्ष के इस दौर में 55125 करोड़ की निकासी हुई थी। कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक़ के सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने ये बातें लोकसभा को बताईं।
साल 2020 में पीएफ अकाउंट से आंशिक निकासी भी बढ़ गई है। एक साल पहले जहां 54 लाख आंशिक निकासी हुई थी वहीं यह संख्या बढ़कर 1.3 करोड़ हो गई। सरकार ने इस दौरान पीएफ योगदान को कम करने की स्पेशल विंडो भी खोल दी। आंकड़ों पर नजर डालें तो सितंबर और अक्टूबर में सबसे ज्यादा पीएफ अकाउंट बंद किए गए। दिसंबर में थोड़ा सुधार दर्ज किया गया। पीएफ की निकासी भी सबसे ज्यादा सितंबर और अक्टूबर के महीने में ही हुई।
कोरोना काल में शहरों से बड़ी संख्या में लोग अपने गांव लौट गए। आंकड़ों के मुताबिक फरवरी के महीने में नरेगा के तहत रोजगार मांगने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ गई। फरवरी के महीने में 3.8 करोड़ लोगों ने MNREGS के तहत रोजगार मांगा। यह लॉकडाउन के तीन महीनों के बाद सबसे ज्यादा रोजगार की मांग है। जून में 6.34 करोड़, मई में 5.42 करोड़ और जुलाई में 4.28 करोड़ लोगों ने रोजगार मांगा था। जानकारों का कहना है कि यह स्थिति अभी एक साल तक बनी रह सकती है।
जनसत्ता से साभार