बेलगाम महंगाई ने तोड़ी आम जनता की कमर, खाद्य वस्तुओं की कीमतों ने छुई ऊंचाई

खुदरा महंगाई दर के बाद अब थोक महंगाई भी बेलगाम। सबसे अधिक महंगी हुईं सब्जियां। दालों और सब्जियों की कीमतें बढ़ने से आम जन का संकट बेहद गहरा गया है।
खुदरा महंगाई दर के बाद अब थोक महंगाई के आंकड़े भी आ गए हैं। हालांकि पिछले चार महीनों से थोक महंगाई में लगातार वृद्धि का रुख बना हुआ है, मगर जून महीने में यह सोलह महीनों के उच्च स्तर 3.36 फीसद पर पहुंच गई। अभी इसमें बहुत बदलाव की गुंजाइश नजर नहीं आ रही। बरसात को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि अगले महीने इसमें कुछ कमी दर्ज होगी। बताया जा रहा है कि जून में तेज लू चलने के कारण सब्जियों के उत्पादन पर असर पड़ा, जिसकी वजह से महंगाई बढ़ी है। जून में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 10.87 दर्ज हुई।
इनमें सबसे अधिक महंगाई सब्जियों में देखी गई। प्याज की कीमतों में 99.35 फीसद, आलू में 66.37 तथा अन्य हरी सब्जियों में 38.35 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई। फलों की कीमतों में 10.14 फीसद, मोटे अनाज में 9.27, गेहूं में 6.25 और दालों की कीमतों में 21.64 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई। स्वाभाविक ही इसका असर विनिर्मित खाद्य वस्तुओं पर भी पड़ा है। यह तब है जब जून में पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस और बिजली की कीमतों में कमी दर्ज हुई।
खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी की मार सबसे अधिक गरीब और सामान्य आय वर्ग के लोगों पर पड़ता है। सब्जियों और दालों की कीमतें बढ़ने से लोगों को अपने भोजन पर अधिक खर्च करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगस्त में जब सब्जियों की नई फसल आनी शुरू होगी, तब महंगाई में कुछ कमी दर्ज होगी। इसी तरह मोटे अनाज और दलहन की नई फसल आने के बाद कुछ राहत मिलेगी। मगर यह तो तय है कि खाद्य वस्तुओं की कीमतें मौसम के मिजाज पर निर्भर करती हैं।
पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह मौसम का रुख कृषि क्षेत्र के लिए अनुकूल नहीं दिखाई दे रहा है, उसमें आने वाले समय में इसे लेकर कितना भरोसा किया जा सकता है। ऐसे में, फिर से यह जरूरत रेखांकित हुई है कि फसलों की सुरक्षा, भंडारण, शीतगृहों की क्षमता बढ़ाने आदि जैसे जरूरी उपायों पर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए। महंगाई पर काबू पाने के लिए केवल रिजर्व बैंक की नीतिगत दरें पर्याप्त उपाय नहीं हैं।
जनचौक से साभार