देश की सभी राजधानियों में तीन दिवसीय किसान-मजदूर महापड़ाव नए ऐलान के साथ सम्पन्न

26 से 28 नवंबर तक जोशीले माहौल में चले महापड़ाव के अंत में कहा गया कि न्यायोचित मांगों को माना नहीं गया तो किसान व मज़दूर आगामी दौर में बड़े जनांदोलन छेड़ने पर बाध्य होंगे।
देशभर में 26 नवंबर से सभी राज्यों की राजधानियों में जारी किसान मजदूर महापड़ाव 28 नवंबर को संघर्ष के नए आह्वान के साथ जोशीले माहौल में समाप्त हुआ। तीन दिवसीय महापड़ाव संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त देशव्यापी आह्वान पर मोदी सरकार की कॉरपोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़ के खिलाफ किसानों-मजदूरों की 21 सूत्री मांगों को लेकर किया गया।
इस ऐतिहासिक देशव्यापी महापड़ाव के तीसरे दिन भी हजारों की संख्या में किसान और मजदूर केंद्र सरकार की किसान-विरोधी, मजदूर-विरोधी और जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट हुए।
उल्लेखनीय है कि बीते अगस्त माह में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित “अखिल भारतीय मजदूर किसान संयुक्त सम्मेलन” में संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने 26-28 नवंबर को देश के सभी राज्यों की राजधानियों में तीन दिवसीय किसान मजदूर महापड़ाव का आह्वान किया।
तीन साल पहले 26 नवंबर 2020 को “दिल्ली चलो” आह्वान के साथ ऐतिहासिक किसान आंदोलन शुरू हुआ था, जिसने केंद्र सरकार की कॉरपोरेट समर्थक नीति के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी थी। इस ऐतिहासिक मौके पर देशभर के किसान और मजदूर अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर एकजुट हुए।
दिल्ली:
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किसान मजदूर राजधानी में पहले दो दिन उप राज्यपाल के आवास के बाहर बैठे थे लेकिन 28 तारिख को संसद के पास जंतर मंतर पर जुटे और केंद्र सरकार के खिलाफ़ आवाज़ बुलंद की।
पंचकुला
मोहाली और पंचकूला चंडीगढ़ की सीमा से सटे हैं। पंजाब व हरियाणा, दोनों प्रदेशों के हजारों किसान चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर और पंचकूला में महापड़ाव डाले तीन दिन तक डटे रहे।
पंजाब में मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा का एक प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मिला और अपनी मांगो को उनके समक्ष रखा और 11 दिसंबर तक अपनी मांगों को पूरा करने का अल्टीमेटम दिया। इसी के साथ किसान नेताओं ने पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड़िया से मिले, जिन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ किसान नेताओं की 19 दिसंबर को मीटिंग की सूचना दी।
हरियाणा के किसानों का प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मिलकर उनके माध्यम से केंद्र-राज्य सरकार को अपना ज्ञापन सौंपा। साथ ही कहा कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वो एक बार फिर दिल्ली कूच को तैयार हैं।
पटना:
कॉरपोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़ के खिलाफ किसानों और मजदूरों की 23 सूत्री मांगों पर पटना में “किसान-मजदूर महापड़ाव” आयोजित हुआ। इस ऐतिहासिक महापड़ाव के तीसरे दिन 28 नवंबर को पटना के गर्दनीबाग में हजारों किसान और मजदूर केंद्र सरकार की किसान विरोधी, मजदूर विरोधी, जनविरोधी और देश विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट हुए।
यहाँ अन्य केन्द्रीय माँगों के साथ बिहार में एपीएमसी अधिनियम की बहाली, बटाईदार किसानों का पंजीकरण, किसानों को उनकी जमीन के लिए उचित मुआवजा देने सहित; प्रगतिशील भूमि सुधार लागू करने की भी माँग उठी।
लखनऊ:
26 से 28 नवंबर तक चले महापड़ाव के तहत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इको गार्डन में भी बड़ी संख्या में मजदूरों, किसानों के साथ मानदेय आधारित वर्करों (आशा, रसोइया, आंगनबाड़ी सेविकाएं आदि) का जुटान हुआ।
एमएसपी, 50 फीसदी कानूनी गारंटी, बिजली दरों में बढ़ोतरी और प्री-पेड मीटर पर प्रतिबंध, गृह मंत्री टेनी की बर्खास्तगी, न्यूज़क्लिक यूएपीए मामले सहित किसानों के खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस लेने, उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के बकाये का ब्याज सहित तत्काल और बंद पड़े सभी चीनी मिलों को पुनः चालू करने आदि मांगें उठाई गईं।
बंगलुरु:
कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु में तीन दिनों तक जोशीले संघर्ष और बड़े उत्साह के साथ संपन्न हुआ। इस दौरान विभिन्न संगठनों से किसान, मजदूर, दलित, महिलाएं और छात्र-युवा शामिल रहे। कर्नाटक के मुख्यमंत्री को अंततः ‘होराटा’ नेतृत्व के साथ चर्चा के लिए 19 दिसंबर की तारीख तय करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस दौरान जनविरोधी और कॉरपोरेट समर्थक नीतियों के प्रतीक पुतलों को आग के हवाले करते समय हजारों लोगों ने नारे लगाए।
एमएसपी की कानूनी गारंटी देने, चार श्रम संहिताएं रद्द करने, योजना कर्मियों को नियमित करने, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, बिहार में एपीएमसी अधिनियम की बहाली, बटाईदार किसानों का पंजीकरण, किसानों को उनकी जमीन के लिए उचित मुआवजा देने सहित; प्रगतिशील भूमि सुधार लागू करना, युवाओं को रोजगार देना, निजीकरण रोकना, मनरेगा मजदूरी और कार्य दिवसों में वृद्धि करना, मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाना, खाद्य सुरक्षा की गारंटी देना आदि मांगे शामिल थीं।
महापड़ाव की प्रमुख मांगें:-
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सभी फसलों पर सी2+50 प्रतिशत के फार्मूला के आधार पर एमएसपी की कानूनी गारंटी करो।
- चार श्रम संहिताओं और निश्चित अवधि के रोजगार कानून को वापस लो। काम पर समानता व सुरक्षा सुनिश्चित करो।
- नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) को रद्द करो, पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) को पुनः बहाल करो। पेंशन सहित व्यापक सामाजिक सुरक्षा में पोर्टेबिलिटी की गारंटी करो।
- सभी किसानों और खेत मजदूरों के लिए 5,000 रुपये प्रति माह की किसान पेंशन योजना को लागू करो।
- श्रम का आकस्मिककरण व ठेकाकरण बंद करो। असंगठित श्रमिकों की सभी श्रेणियों का पंजीकरण करो। आशा, एमडीएम रसोइया, आंगनवाड़ी, सेविका, सहायिका सहित सभी योजनाकर्मियों को नियमित करो।
- बंटाईदार किसानों का निबंधन करो। बंटाईदार किसानों को सभी तरह के सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करो।
- रिक्त स्वीकृत पदों को भरो और बेरोजगारों को रोजगार दो। अग्निपथ योजना वापस लो।
- कॉरपोरेट समर्थक पीएम फसल बीमा योजना को वापस लो और सभी फसलों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की व्यापक फसल बीमा योजना स्थापित करो।
- मनरेगा का विस्तार करो और प्रति वर्ष 200 दिन काम और 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी सुनिश्चित करो। शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम बनाओ।
- समुचित जल प्रबंधन के जरिए बाढ़, सुखाड़ एवं जल-जमाव की समस्या के स्थायी समाधान के लिए ठोस योजना बनाओ। उत्तर प्रदेश के सभी अधूरे और जर्जर सिंचाई परियोजनाओं का शीघ्रातिशीघ्र जीर्णोद्धार तथा आधुनिकीकरण करो।
- काम के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाओ। राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रतिमाह घोषित करो। श्रम कानूनों के प्रावधानों को सख्ती से लागू करो।
- बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लो। किसानों को खेती के लिए मुफ्त बिजली और ग्रामीण परिवारों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली मुहैया करो।
- औद्योगिक त्रिपक्षीय समिति का पुनर्गठन करो। भारतीय श्रम सम्मेलन का आयोजन करो।
- किसानों को अनुदानित दर और उचित समय पर पर्याप्त मात्रा में उर्वरक, उन्नत बीज, कीटनाशक एवं अन्य कृषि सामग्री उपलब्ध करो।
- घरेलू कामगारों और गृह-आधारित कामगारों पर आईएलओ कन्वेंशन की पुष्टि करो और उचित कानून बनाओ। प्रवासी श्रमिकों पर व्यापक नीति बनाओ, मौजूदा अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिक (रोजगार का विनियमन) अधिनियम, 1979 को सुदृढ़ करो, और उनके सामाजिक सुरक्षा में पोर्टेबिलिटी प्रदान करो।
- लखीमपुर-खीरीकांड के लिए अजय मिश्रा टेनी को मंत्री परिषद से बर्खास्त करके गिरफ्तार किया जाए और निर्दोष किसान रिहा हों।
- निर्माण श्रमिकों को कल्याण निधि से योगदान के साथ इएसआई कवरेज दो, ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत सभी श्रमिकों को स्वास्थ्य योजना, मातृत्व लाभ, जीवन बीमा और विकलांगता बीमा का कवरेज दो।
- सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों व सरकारी विभागों का निजीकरण बंद करो और राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को समाप्त करो।
- वन अधिकार कानून 2006 को सख्ती से लागू करो। वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 को वापस लो। वन पर आदिवासियों के नैसर्गिक अधिकार को सुनिश्चित करो।
- महंगाई पर रोक लगाओ, भोजन, आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी हटाओ, तेल और गैस की कीमत कम करो।
- खाद्य सुरक्षा की गारंटी करो और जन वितरण प्रणाली को सर्वव्यापी बनाओ।