इंगलैंड में हजारों डॉक्टर स्वास्थ्य देखभाल सेवा की अब तक की सबसे लंबी हड़ताल पर

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‘ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन’ (बीएमए) ने जूनियर चिकित्सकों के वेतन को 2008 के स्तर पर वापस लाने के लिए 35 प्रतिशत वेतन वृद्धि की मांग की है। उधर सरकार की हठधर्मिता कायम है।

इंग्लैंड में हजारों चिकित्सकों ने बृहस्पतिवार को वेतन के मुद्दे पर पांच-दिवसीय ‘वॉकआउट’ शुरू कर दिया है। मेडिकल की पढ़ाई के बाद के वर्षों में अपने करियर के शुरुआती चरण वाले तथाकथित जूनियर चिकित्सकों ने सुबह सात बजे अपनी हड़ताल शुरू कर दी।

यह ब्रिटेन में सरकारी वित्त-पोषित स्वास्थ्य देखभाल सेवा की अब तक की सबसे लंबी हड़ताल है।

इन चिकित्सकों में से कई ने इंग्लैंड के अस्पतालों के बाहर पंक्तिबद्ध होकर 35 प्रतिशत वेतन वृद्धि को लेकर अपना पक्ष रखा।

चिकित्सकों के संघ ‘ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन’ (बीएमए) ने मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए जूनियर चिकित्सकों के वेतन को 2008 के स्तर पर वापस लाने के लिए 35 प्रतिशत वेतन वृद्धि की मांग की है।

इस बीच, इंग्लैंड के 75,000 या उससे अधिक जूनियर चिकित्सकों पर काम का बोझ बढ़ गया है, क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर इलाज के लिए प्रतीक्षारत मरीजों की संख्या रिकॉर्ड कायम कर चुकी है।

बीएमए नेता डॉ रॉबर्ट लॉरेनसन और डॉ विवेक त्रिवेदी ने कहा, “आज एनएचएस के इतिहास में चिकित्सकों द्वारा सबसे लंबे ‘वॉकआउट’ की शुरुआत हुई है, लेकिन यह अभी भी एक रिकॉर्ड नहीं है जिसे इतिहास की किताबों में दर्ज किया जाए।”

ऋषि सुनक सरकार की हठधर्मिता

दूसरी ओर स्वास्थ्य मंत्री स्टीव बार्कले ने कहा, “जूनियर चिकित्सकों के इस पांच-दिवसीय ‘वॉकआउट’ का हजारों मरीजों पर असर पड़ेगा, मरीजों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी और एनएचएस प्रतीक्षा सूची को कम करने के प्रयासों में बाधा आएगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पैंतीस प्रतिशत या उससे अधिक वेतन बढ़ोतरी की मांग अनुचित है और इसमें मुद्रास्फीति को बढ़ावा देने का जोखिम है, जो हर किसी को गरीब बनाती है।”

प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने बृहस्पतिवार को इस बात की पुष्टि की कि सरकार वेतन पुनरीक्षण निकायों से प्राप्त उन सिफारिशों को मंजूर कर रही है, जिसके तहत पुलिसकर्मियों के वेतन में सात प्रतिशत, शिक्षकों में साढ़े छह प्रतिशत तथा जूनियर चिकित्सकों के लिए छह प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव है।

सुनक ने कहा कि यह प्रस्ताव ‘अंतिम’ है और ‘वेतन के मामले में और अधिक बातचीत’ नहीं की जाएगी।

चिकित्सकों में रोष

सरकार की इस हठधर्मिता पर डॉक्टरों में और रोष व्याप्त हो गया। बीएमए ने सरकार से हड़ताल की घोषणा होने पर बात न करने की अपनी “निरर्थक पूर्व शर्त” को छोड़ने का आग्रह किया।

इस बीच दक्षिण लंदन में ‘गाइज एंड सेंट थॉमस अस्पताल ट्रस्ट’ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. साइमन स्टेड्न ने मरीजों पर हड़ताल के दुष्प्रभावों के मद्देनजर दोनों पक्षों से अपील की कि वे बातचीत की मेज पर वापस आएं।

उन्होंने कहा कि पिछली हड़तालों के परिणामस्वरूप उनके द्वारा निगरानी वाले अस्पतालों में 55,000 नियुक्तियां और लगभग 6,000 नियोजित शल्य क्रियाएं पहले ही रद्द कर दी गई हैं या इनका समय फिर से निर्धारित किया गया है।

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