जिन श्रमिकों-इंजीनियरों की मेहनत से लांच हुआ चंद्रयान-3, उनको डेढ़ साल से नहीं मिला वेतन

600 करोड़ रुपये के बजट से बना चंद्रयान-3; लेकिन लॉन्चिंग पैड व कई महत्वपूर्ण उपकरण निर्माता सरकारी उद्यम एचईसी केंद्र सरकार की दुर्दशा व पूंजी के बड़े संकट का शिकार है।
14 जुलाई को काफी शोर-शराबे के साथ भारत का चंद्रयान-3 लांच हुआ। पीएम मोदी से लेकर मीडिया तक इसकी सफलता के कसीदे पढ़ रहे हैं। लेकिन करीब 600 करोड़ रुपये के बजट से बने इस मिशन के लिए लॉन्चिंग पैड सहित कई महत्वपूर्ण उपकरणों का निर्माण करने वाली कंपनी के इंजीनियरों-अफसरों-मज़दूरों को 17 महीने से तनख्वाह नहीं मिली है।
ज्ञात हो कि चंद्रयान सहित इसरो के तमाम बड़े उपग्रहों के लिए लॉन्चिंग पैड बनाने वाली इस कंपनी का नाम है- हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी)। रांची के धुर्वा इलाके में स्थित एचईसी भारी उद्योग मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
ख्यातिप्राप्त सार्वजनिक उपक्रम एचईसी; सजिशन घाटा
इसकी ख्याति देश में मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज के रूप में रही है। करीब 22 हजार कर्मचारियों के साथ 1963 में शुरू हुई इस कंपनी में वर्तमान में सिर्फ 3400 कर्मचारी-अधिकारी हैं।
मोदी सरकार द्वारा सार्वजनिक उद्योगों को बेचने के क्रम में पिछले दो-तीन वर्षों से वर्किंग कैपिटल के गंभीर संकट से जूझ रहे एचईसी में सरकारी साजिश से कर्ज और बोझ इस कदर है कि इनका वेतन देने में भी कंपनी पूरी तरह सक्षम नहीं है।
कंपनी पर इनका 17 महीने का वेतन बकाया है। फ्रंटलाइन ने मई माह में अपनी रिपोर्ट में बताया था कि करीब 2,700 कर्मचारियों और 450 अधिकारियों को पिछले 14 महीनों से वेतन नहीं मिला है।
इससे पहले नवंबर 2022 में आईएएनएस ने खबर दी थी कि कंपनी के अधिकारियों को पूरे साल और कर्मचारियों को आठ-नौ महीने से वेतन नहीं मिला है। इसमें कहा गया था कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, रक्षा मंत्रालय, रेलवे, कोल इंडिया और इस्पात क्षेत्र से 1,500 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिलने के बावजूद 80 फीसदी काम धन की कमी के कारण लंबित है।
बगैर वेतन चंद्रयान उपकरण मेहनत से बनाया
समाचार एजेंसी आईएएनएस ने बताया कि रांची में एचईसी के इंजीनियरों को पिछले 17 महीनों से भुगतान नहीं किया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वेतन न दिए जाने की समस्या के बावजूद कंपनी ने दिसंबर 2022 में तय समय से पहले मोबाइल लॉन्चिंग पैड और अन्य महत्वपूर्ण और जटिल उपकरण वितरित कर दिए थे।
वेतन की मांग को लेकर इंजीनियर-कर्मचारी लगातार आंदोलन करते रहे, लेकिन चंद्रयान-3 के लिए इसरो से मिले कार्य आदेश को पूरा करने में उन्होंने जी-जान लगा दी।
इसी का नतीजा रहा कि मोबाइल लॉन्चिंग पैड, टावर क्रेन, फोल्डिंग कम वर्टिकली रिपोजिशनेबल प्लेटफार्म, होरिजोंटल स्लाइडिंग डोर, 6-एक्सिस सीएनसी डबल कॉलम वर्टिकल टर्निंग और बोरिंग मशीन, 3-एक्सिस सीएनसी सिंगल कॉलम वर्टिकल टर्निंग एंड बोरिंग मशीन सहित जटिल उपकरणों का आपूर्ति तय समय के पहले दिसंबर 2022 में ही कर दी गई।
केंद्र सरकार न पूंजी दे रही है न ही सीएमड़ी नियुक्त किया
दरअसल, एचईसी के पास वर्क ऑर्डर की कमी नहीं है, लेकिन वर्किंग कैपिटल की कमी के चलते समय पर काम पूरा नहीं हो पा रहा है और इस वजह से कंपनी लगातार घाटे में डूबती जा रही है।
आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कंपनी भारी उद्योग मंत्रालय से कई बार 1,000 करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराने का अनुरोध कर चुकी है। हालांकि, मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार कोई मदद नहीं कर सकती। कंपनी प्रबंधन को खुद अपने पैरों पर खड़ा होना होगा।
करीब 22 हजार कर्मचारियों के साथ 1963 में शुरू हुई इस कंपनी में अब सिर्फ 3400 कर्मचारी-अधिकारी हैं। कर्ज और बोझ इस कदर है कि इनका वेतन देने में भी कंपनी पूरी तरह सक्षम नहीं है।
एचईसी में पिछले ढाई सालों से स्थायी मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी) तक की नियुक्ति नहीं हुई।
ध्यान रहे कि चंद्रयान-3 को करीब 600 करोड़ रुपये के बजट से बनाया गया था।