वो मुझे विकेट से पीटते रहे, तमाशबीन बनी रही पुलिस – छात्र

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जादवपुर यूनिवर्सिटी में कुछ लोग जय श्री राम का नारा लगाकर पीटते रहे छात्र को

‘‘वे मुझे क्रिकेट बैट, स्टंप्स और डंडों से पीट रहे थे. मेरे सिर पर विकेट से मारा, मेरे सिर से खून बह रहा था. मेरे आसपास पुलिसकर्मी खड़े थे, मैंने उन्हें मदद करने के लिए कहा. लेकिन कोलकाता पुलिस ने दखल नहीं दिया.’’
पवन शुक्ला, जादवपुर यूनिवर्सिटी में घायल छात्र


जादवपुर यूनिवर्सिटी से आई एक वायरल तस्वीर जिसमें एक छात्र ने सफेद रंग की शर्ट पहनी है और खून से लथपथ है उसकी यही सच्चाई है. पवन शुक्ला, पोस्ट ग्रेजुएशन के फर्स्ट इयर के छात्र ने बताया कि यूनिवर्सिटी के बाहर श्जय श्रीरामश् का नारा लगाती हुई एक भीड़ ने उनको पीटा. पूरी यूनिवर्सिटी में ही तो़ड़फोड़ और आगजनी हो रही थी इन सबके बीच पवन शुक्ला ऐसे शख्स हैं जिनको बवाल में सबसे ज्यादा चोट लगी.


अस्पताल ले जाने पर पवन के सिर पर दो टांके लगे. इसके अलावा पवन के शरीर पर वहां वहां चोट के निशान थे जहां विकेट और बैट से मारा गया.


पवन ने बताया कि ‘‘ मैं किसी छात्र संगठन से नहीं हूं मैं बस एबीवीपी विरोधी प्रर्दशन का हिस्सा था.’’


एबीवीपी ने बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो को कैंपस में एक कार्यक्रम में बुलाया था, जिसके चलते एबीवीपी के खिलाफ ये विरोध प्रदर्शन बुलाया गया था. सुप्रियो को कॉलेज में छात्रों ने घेर लिया था और घुसने से रोका भी. यूनिवर्सिटी प्रशासन और छात्रों के साथ लंबी बहस के बाद सुप्रियो ने मीडिया के सामने आरोप लगाया कि उनके साथ धक्का-मुक्की हुई.


हमला करने वाले जय श्रीराम का नारा लगा रहे थे


जादवपुर यूनिवर्सिटी में कंपैरेटिव लिटरेचर के छात्र पवन ने हमें पूरी घटना के बारे में विस्तार से बताया.


‘’मैं बाहर गया था वापस लौटने पर मैं गेट नंबर 4 से घुसने की कोशिश कर रहा था. वहां कई लोग हाथ में डंडे लेकर खड़े थे. मैंने पूछा, ये विकेट लेकर क्यों खड़े हो? इससे चोट लग जाएगी किसी को, किसको मारने आए हो? इसके बाद वो मुझे मारने लगे. हो सकता है कि उन लोगों ने मुझे प्रदर्शनकारी के तौर पर पहचान लिया हो.’’


पवन का कहना है कि मेरे हिसाब से ये लोग समाज के निचले तबके से आते हैं, ये वो लोग हैं तो जिनसे आप 200-300 रुपये और एक शराब की बोतल देकर काम करवा सकते हो. वो छात्र नहीं थे..उनमें जवान भी शामिल थे लेकिन मुझे नहीं लगता कि उनमें से कोई कैंपस से नहीं था. उसमें 30 से 40 साल की उम्र के लोग भी शामिल थे. उनमें से कई लोगों के माथों पर भगवा कपड़ा बंधा हुआ था और वो जय श्रीराम के नारे लगा रहे थे.


वो ‘’जय श्रीराम’’ के नारे लगा रहे थे?
पवन-हां, और वो काफी जोर लगाकर बोल रहे थे. बाहर यही हो रहा था.
हमले के बाद आपने कैसे रिएक्ट किया? क्या आपने भी पलटवार किया?


पवन-मैं पलटवार नहीं कर पाया. मैं 50-60 लोगों से घिरा हुआ था. मैं कुछ नहीं कर सकता था. सब समझने में मुझे कुछ वक्त लगा. इस बीच मैं बस सब छोड़ चुका था.
‘पुलिस वहीं खड़ी थी लेकिन मदद नहीं की’


अस्पताल ले जाने पर पवन के सिर पर दो टांके लगे. इसके अलावा पवन के शरीर पर वहां वहां चोट के निशान थे जहां विकेट और बैट से मारा गया.


पवन शुक्ला ने कहा भीड़ ने करीब 10 से 15 मिनटों तक पीटा. लेकिन जब वो पिट रहे थे उस वक्त भी पुलिसकर्मी पास खड़े थे और बचाने नहीं आए.


‘‘मेरे पास पुलिसकर्मी खड़े थे और मैंने मदद के लिए गुहार लगाई. लेकिन सब बेकार गया. आखिरकार जो लोग वहां मौजूद थे और इन गुंडों के खिलाफ थे वो मुझे इनसे दूर ले गए. वही मेरे लिए रिक्शा लाए वहां से निकलने में मेरी मदद की.’’


भीड़ से निकलने के बाद वहां से पवन सीधा अस्पताल गए और बाद में पवन की ये तस्वीर सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई.


( दक्विंट से साभार व संपादित )