उत्तराखंड में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने पर रोक लगे; नैनीताल दुष्कर्म पीड़िता को त्वरित न्याय मिले!

रुद्रपुर व रामनगर में ज्ञापन। अपराधिक घटना की आड़ में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने वालों, न्याय हित में खड़ी शैला नेगी से दुष्कर्म की धमकी देने वालों व रुद्रपुर में अल्पसंख्यक दुकानदारों को धमकी देने वालों पर कार्यवाही हो।
रुद्रपुर/रामनगर। विभिन्न संगठनों ने नैनीताल में दुष्कर्म पीड़िता को फास्ट्रेक कोर्ट में न्याय व अपराधी को सजा दिलाने, अपराधिक घटना की आड़ में सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिशें पर रोक लगाने, शैला नेगी से दुष्कर्म करने की धमकी देने वालों के खिलाफ कार्यवाही करने सहित तमाम मांगों पर 6 मई को श्रमिक संयुक्त मोर्चा के बैनर तले रुद्रपुर में एडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री उत्तराखंड को संबोधित ज्ञापन तथा रामनगर में प्रभारी निरीक्षक कोतवाली के माध्यम से उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक को ज्ञापन भेजा गया।
रुद्रपुर:
सांप्रदायिक तत्वों पर कार्यवाही के बजाय संरक्षण देना बंद करो
रुद्रपुर में ज्ञापन देने दौरान वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश में लगातार महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म के मामले बढ़ते जा रहे हैं। परंतु दुष्कर्म के मामले फास्ट ट्रैक कोर्ट में नहीं भेजे जा रहे हैं। नैनीताल में 12 वर्षीय पीड़ित बालिका की मेडिकल जांच 5 दिन बाद हुई। यह न्याय पाने की दिशा में चिंताजनक है।
यह और चिंताजनक बात है कि इस अपराधिक वारदात की आड़ में सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश लगातार सांप्रदायिक ताकतें कर रही है। अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय की दुकानों –मस्जिद में तोड़ फोड़, पुलिस थाने में मुस्लिम दरोगा से धक्का– मुक्की करके सांप्रदायिक माहौल खराब किया जा रहा है। सांप्रदायिक जुलूस में मुस्लिम समुदाय की मां–बहनों को बलात्कार करने वाले नारे लगाए जा रहे थे।
जब इसका विरोध शैला नेगी नाम की महिला ने किया तो इन सांप्रदायिक हिंदूवादी संगठनों के लोगों और उनके सोशल मीडिया हैंडलों से शैला नेगी को दुष्कर्म करने की धमकी दी गई। नैनीताल में सांप्रदायिक जुलूसों के कारण 50 करोड़ का पर्यटन कारोबार चौपट हो गया।
इसके साथ ही देहरादून में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाले तत्वों के खिलाफ बोलने पर भाकपा (माले) राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी और महिला मंच की नेता निर्मला बिष्ट को भी धमकी दी गई।


रुद्रपुर में अल्पसंख्यक दुकानदारों को धमकी बंद हो
कौमी गुलदस्ता कहे जाने वाले रुद्रपुर शहर में भी हिंदूवादी संगठन के कुछ गुंडा तत्वों द्वारा बाजार में सरेआम दुकानदारों के नाम और जी एस टी रजिस्ट्रेशन चेक करने का अभियान चलाया गया और अल्पसंख्यक दुकानदारों को दुकान का नाम न बदलने पर देख लेने की धमकी दी गई।
ये सब उदाहरण उत्तराखंड में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश है। शासन–प्रशासन ऐसे सांप्रदायिक तत्वों के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय उन्हें संरक्षण दे रहा है।

ज्ञापन में मांगें-
ज्ञापन में नैनीताल की दुष्कर्म पीड़िता बच्ची को फास्ट ट्रैक कोर्ट में न्याय दिलाने, उसके पुनर्वास के लिए निर्भया फंड का इस्तेमाल करने, शैला नेगी–इंद्रेश मैखुरी–निर्मला बिष्ट को धमकी देने वालों के खिलाफ कार्यवाही करने, नैनीताल– रुद्रपुर व अन्य जगहों पर सांप्रदायिक माहौल खराब करने वाले सांप्रदायिक गुंडा तत्वों पर कार्यवाही करने की मांग की गई।
इस दौरान क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के शिवदेव सिंह, इंकलाबी मजदूर केंद्र के कैलाश भट्ट, सुरेंद्र रावत, सीएसटीयू के मुकुल, धीरज जोशी, भाकपा (माले) से ललित मटियाली, अनिता अन्ना, अखिलेश सिंह, विजय शर्मा, जीशान, वीरभद्र, डॉल्फिन मज़दूर संगठन की सुनीता, इंटरार्क मज़दूर संगठन के सौरभ कुमार, ऐरा श्रमिक संगठन के उपेंद्र राय, सामाजिक कार्यकर्ता मदन मोहन, फिरोज खान, राजेश तिवारी, मसलुद्दीन खान सहित कई लोग उपस्थित थे।
रामनगर:
सुनियाजित तरीके से समूचे उत्तराखंड में उन्माद का षडयंत्र बंद हो
रामनगर में उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक को भेजे ज्ञापन में कहा गया कि विगत अप्रैल माह में नैनीताल में एक नाबालिग बच्ची के साथ हई बलात्कार की घटना से नैनीताल ही नहीं बल्कि समूचे उत्तराखंड की जनता बेहद आहत है। इस घटना को पुलिस थाने तक पहुंचने और आरोपी की गिरफ्तारी में 15 दिनों से भी अधिक समय लगने से एक बार पुनः महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा तथा प्रदेश की कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लग गया हैं।
1 मई को इस घटना के आरोपी 72 वर्षीय मौहम्मद उष्मान को गिरफ्तार कर उसे जेल भेज दिया गया। परंतु भाजपा व आरएसएस द्वारा द्वारा समर्थित अराजक तत्वों द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर निकाले गये जुलूस को साम्प्रदायिक रंग देकर, अल्पसंख्यक समुदाय के घरों व दुकानों पर तोड़-फोड़ व मारपीट की गयी। महिलाओं व अल्पसंख्यक समुदाय को मां-बहन की गालियां देकर समाज में भय का वातावरण बनाया गया।
इतना ही नहीं नैनीताल थाने में घुसकर एक अल्पसंख्यक पुलिस अधिकारी पर भी हमला कर दिया गया। ये सब अराजकताएं और हिंसक गतिविधियां पुलिस की मौजूदगी में की गयीं और पुलिस इन अराजक तत्वों से सख्ती से निबटने के अपने संवैधानिक दायित्व को पूरा करने की जगह मूक दर्शक बनी रही।
भाजपा, आरएसएस से जुड़े अराजक तत्वों द्वारा नैनीताल से शुरु की गयी अराजकता व हिंसा अब धीरे-धीरे सुनियाजित तरीके से समूचे उत्तराखंड में फैलाने का षडयंत्र किया जा रहा है। जिसके तहत इनके द्वारा जगह-जगह अल्पसंख्यकों की दुकानें बंद कराई जा रही हैं तथा अपने हाथ में कानून लेकर उनकी आई डी चैक करके उन्हें धमकाया जा रहा है।
पुलिस-प्रशासन द्वारा सत्ताधारी भाजपा से जुड़े संगठनों को अराजकता व मनमानी करने की छूट देने से समाज में भय का माहौल है और लागों का कानून-व्यवस्था से भरोसा उठता जा रहा है।

ज्ञापन में मांगें-
नैनीताल दुष्कर्म पीड़िता का मुकदमा फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाये जाने, नैनीताल व उत्तराखंड में तोड़-फोड, हमला व गाली-गलौच करने वाले सभी अराजक व असमाजिक तत्वों के खिलाफ नामजद मुकदमें दर्ज कर उन्हें तत्काल गिरफ्तार किय जाने, अल्पसंख्यकों को सुरक्षा व पुलिस प्रशासन के अतिरिक्त किसी को भी आई डी की जांच करने व पूछताछ करने से तत्काल रोकने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा हेट स्पीच के खिलाफ पुलिस को स्वतः संज्ञान लेकर मुकदमा दर्ज करने के निर्देशों का पालन व आरोपियों के घरों पर बुल्डोजर चलाने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगायी गयी रोक का भी अनुपालन किये जाने की मांग को लेकर प्रभारी निरीक्षक कोतवाली रामनगर के माध्यम से क्षेत्र के जन संगठनों ने उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक को ज्ञापन भेजा।
ज्ञापन पर समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी, इंकलाबी मजदूर केंद्र के रोहित रुहेला, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की तुलसी छिंवाल, महिला एकता मंच की सरस्वती, कौशल्या, किसान संघर्ष समिति के महेश जोशी, राजेन्द्र, टी के खान, मौ आसिफ, उबैदुल हक, बीडी नैनवाल, जमनराम आदि ने हस्ताक्षर कर प्रेषित किया।