मोदी सरकार ने सार्वजनिक तेल उपक्रमों में 100% एफडीआई की अनुमति दी केंद्र सरकार ने गुरुवार को सार्वजनिक क्षेत्र के ऐसे तेल एवं गैस उपक्रमों में स्वत: स्वीकृत मार्ग से 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति दी है जिन्हें रणनीतिक विनिवेश के लिए सैद्धांतिक मंजूरी प्राप्त है. इस कदम से देश के दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) के निजीकरण का रास्ता साफ होगा. सरकार बीपीसीएल का निजीकरण कर रही है और उसमें अपनी पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है. उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के प्रेस नोट के अनुसार तेल एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर एक नया उपबंध जोड़ा गया है. इसमें कहा गया है, ”यदि सरकार ने किसी सार्वजनिक उपक्रम के रणनीतिक विनिवेश के लिए ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दी है, तो स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति है.” इस संदर्भ में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह निर्णय किया. बीपीसीएल में सरकार की पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए प्रारंभिक रुचि पत्र (ईओआई) देने वाली तीन कंपनियों में से दो विदेशी हैं. सार्वजनिक उपक्रम प्रवर्तित तेल रिफाइनरियों में एफडीआई की सीमा 49 प्रतिशत बनी रहेगी. यह सीमा मार्च 2008 में निर्धारित की गई थी. सरकार फिलहाल केवल बीपीसीएल में हिस्सेदारी बेच रही है. देश की सबसे बड़ी तेल रिफाइनिंग तथा विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपारेशन (आईओसी) ही अब सरकार के प्रत्यक्ष नियंत्रण में है. हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) अब सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन की अनुषंगी है.