बिजली बिलों में मनमानी लूट के खिलाफ जनता ने गोगामेड़ी बिजली घर का किया घेराव

बिजली आज मूलभूत जरूरत बन चुकी है, ऐसे में नाजायज बिजली बिलों को ना भर पाने वाले गरीब मजदूर, किसान का बिजली कनेक्शन काट देना और उसे अंधेरे में जीने को मजबूर करना सरासर अन्याय है।
गोगामेड़ी, हनुमानगढ़ (राजस्थान)। बिजली बिलों में स्थाई शुल्क व अन्य कई प्रकार के नाजायज शुल्कों को हटाने तथा प्रत्येक परिवार को 200 यूनिट बिजली हर माह फ्री करने, बिजली निजीकरण पर रोक लगाने, आंदोलनरत ग्रामीणों पर दर्ज झूठे मुकदमे वापस लेने आदि माँगों को लेकर बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति की ओर गोगामेड़ी बिजली घर का आज (9 मार्च) घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया।
बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति इसे लेकर पिछले ढ़ाई साल से लगातार आंदोलन कर रही है।

सभा में वक्ताओं ने कहा कि लम्बे समय से राजस्थान की जनता बिजली बिलों में मनमानी लूट से त्रस्त है। राजस्थान की जनता पिछले तीन साल से बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति की अगुवाई में राज्य सरकार और बिजली कम्पनियों की मिलीभगत से उपभोक्ताओं के साथ हो रहे इस जुल्म और शोषण के खिलाफ एकजुट होकर पिछ्ले सितम्बर 2019 से इस लूट के विरुद्ध संघर्ष चला रही है।
परन्तु फिर भी राजस्थान की सरकार ने कोरोना महामारी की मार झेल रही आम मेहनतकश जनता, मजदूर-किसान के दुःख-तकलीफ कम करने की बजाय बिजली दरों व फ्यूल सरचार्ज व स्थाई शुल्क में बढ़ोतरी कर उसे और भी बढ़ा दिया है। पूरे राजस्थान में सरकार के इस फैसले के खिलाफ जनता में आक्रोश देखा गया।
बिजली कम्पनियों को 90 हजार करोड़ रुपए का कोरोना महामारी में राहत पैकेज मिला जिसका लाभ आम उपभोक्ता को मिलना चाहिए था, बकाया बिजली बिलों को माफ किया जाना चाहिए था परन्तु इन कम्पनियों ने राहत के तौर पर एक फूटी कौड़ी तक उपभोक्ताओं को नहीं दी बल्कि हजारों-लाखों के नाजायज फर्जी बिल थमा दिये व लगातार आम उपभोक्ताओं के विद्युत कनेक्शन काटे जा रहे है जिस पर तुरंत प्रभाव से रोक लगनी चाहिए।
राजस्थान के तीनों डिस्कॉम अजमेर, जयपुर व जोधपुर ने घाटे का हवाला देते हुए अगले वितीय वर्ष से राजस्थान में पुनः बिजली की दरों की बढ़ाने की योजना बनाई है जिससे जनता पर अथाह आर्थिक वजन पड़ेगा। राजस्थान के किसान पहले कोरोना के चलते परेशान रहे हैं। मजदूर वर्ग बेकारी की मार झेल रहा है। लगातर संघर्ष के बावजूद भी सरकार ने जनता की जायज मांगों को नहीं सुना है। और तेज और व्यापक संघर्ष ही इनका जवाब है!
संघर्ष समिति की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा 50 यूनिट तक बिजली फ्री किया जाना सकारात्मक कदम है। इससे लंबे समय से जारी मेहनतकश जनता का संघर्ष एक कदम आगे बढ़ा है। परंतु यह फैसला ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। राज्य की मेहनतकश आबादी के बड़े हिस्से को इस छूट का कोई लाभ नहीं मिलेगा।
समिति ने सवाल उठाया कि बिजली आज हमारी मूलभूत जरूरत बन चुकी है इसलिए राज्य सरकार हमें बिजली की सुविधा से वंचित क्यूं रखना चाहती है? आज गरीब मजदूर, किसान अगर नाजायज बिजली बिलों को नहीं भर पा रहा है तो उसका बिजली कनेक्शन काट देना और उसे अंधेरे में जीने को मजबूर करना सरासर अन्याय है। राज्य सरकार को 200 यूनिट तक सभी उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली देनी चाहिए व काटे गए कनेक्शन पुनः बहाल करने चाहिए।
आज भरवाना, खचवाना, सरदारगढिया, रामगढ़, नेठराना, बरवाली, गोगामेड़ी, करनपुरा, परलीका, मुनसरी व आसपास के चकों से सैंकड़ों ग्रामीण बिजली घर के सामने आक्रोश व्यक्त करने पहुंचे।
बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति की मांगें –
- कोरोना महामारी के काल के सभी उपभोक्ताओं के बिजली बिलों को तुरंत प्रभाव से माफ किया जाए व आमजन के कनेक्शन नहीं काटे जाएं। इस दौरान काटे गए कनेक्शन पुन: बहाल किए जाएं और बिजली विभाग द्वारा आंदोलनकारी गांव में दिन में बिजली कटौती पर रोक लगाओ।
- स्थाई सेवा शुल्क, फ्यूल सरचार्ज, व अन्य शुल्कों के रूप में वसूली जा रही राशि को तत्काल बंद किया जाए व बढ़ी हुई बिजली दरें कम की जाए।
- बिजली बिलों में भारी अनियमितताओं को तुरंत प्रभाव से ठीक किया जाए। खराब और तेज गति से चलने वाले बिजली मीटरों को बदला जाए ऐसे घटिया मीटर बनाने वाली कंपनीयों का टेंडर निरस्त किया जाए। पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए उपभोक्ता प्रतिनिधियों के भागीदारी सहित विशेष कमिटी गठन किया जाये।
- राजस्थान में प्रत्येक परिवार को हर माह 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाए।
- बिजली विभाग और प्राइवेट कंपनियों की तानाशाही, लूट और घोटालों पर तुरंत रोक लगायी जाये।
- बिजली (संशोधन) अधिनियम 2020 को खारिज करवाया जाए व पब्लिक प्राइवेट पार्टरशिप के नाम पर निजीकरण पर रोक लगाई जाए।
- आंदोलनरत ग्रामीणों पर दर्ज झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं।