सीएसटीयू का प्रथम सम्मेलन: खुला सत्र में देशभर से मज़दूर आंदोलन के प्रतिनिधियों ने की भागीदारी। मज़दूर हक़ के लिए जुझारू और निर्णायक आंदोलन की तैयारी के लिए एकजुटता का हुआ प्रदर्शन।
कोलकाता। नवगठित ट्रेड यूनियन केंद्र ‘सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग ट्रेड यूनियंस’ (CSTU) के प्रथम सम्मेलन से पूर्व कोलकाता के धर्मतल्ला में देशभर से जुटे मज़दूरों की व्यापक आवाज बुलंद हुई। हजार से ज्यादा संख्या में शामिल मज़दूरों ने जोशीला और जोरदार रैली निकाली। लाल झंडे और विभिन्न यूनियनों के बैनरों से सजे इस रैली में देशभर से जुटे मज़दूरों और मज़दूर प्रतिनिधियों ने जोरदार नारे लगाए।

7 दिसंबर को हुए एक विशाल रैली के बाद जोरदार सभा का आयोजन हुआ, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से आए संग्रामी मज़दूर आंदोलन के प्रतिनिधियों ने अपनी बात साझा की। पूरा माहौल संग्रामी एकजुटाता का प्रतीक बन गया।

कार्यक्रम की शुरुआत कॉमरेड प्रदीप रॉय के क्रांतिकारी गीत से हुई। इस दौरान गणबिशन और सीएसटीयू हिल्स की टीमों द्वारा प्रस्तुत समूह गीतों और जोशीले नारों से कार्यक्रम की समा बंधी रही।


मज़दूर विरोधी नीतियों और नफ़रती माहौल के खिलाफ एकजुटता
सभा में वक्ताओं ने मौजूदा दौर में मज़दूरों पर बढ़ते व्यापक हमलों, मज़दूर विरोधी नीतियों, मज़दूरों को पंगु बनाने वाले चार लेबर कोड्स, जन विरोधी नए आपराधिक कानूनों, निजीकरण-छंटनी-तालाबंदी के खिलाफ आवाज बुलंद हुई। साथ ही बीजेपी-आरएसएस द्वारा धर्म-जाति के नाम पर नफरत का माहौल बनाने, सांप्रदायिक-फासीवादी हमले की खतरनाक साजिशों की मुखलाफ़त हुई।

वक्ताओं की बात से यह निकाल कर सामने आया कि आज मज़दूर आंदोलन में कारपोरेट पूंजीवाद का नग्न हमला और साथ में देश के भगवाकरण और सांप्रदायिक-फासीवाद के हमले का दो-तरफा तीखा हमला देश की मेहनतकश जनता झेल रही है। इसी के साथ देश में मौजूद केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की अवसरवादिता और समझौतापरस्ती ने भी मज़दूर आंदोलन को कमजोर बना दिया है। ऐसे में देश भर के मज़दूर आंदोलन की संग्रामी धारा को एकजुट होकर मज़दूर हित में निरंतर जुझारू और निर्णायक संघर्ष को आगे बढ़ना होगा।









सभा में वक्ताओं ने इस बात की भी जरूरत महसूस की कि छोटे-मोटे आपसी वैचारिक मतभेदों को हल करते हुए पूरे देश के पैमाने पर एक संग्रामी मज़दूर केंद्र बनाने की जरूरत है। इस दिशा में ‘सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग ट्रेड यूनियंस’ (सीएसटीयू) का गठन सकारात्मक पहल है और मज़दूर आंदोलन को आगे ले जाने की एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती है। देशभर के संग्रामी मज़दूर संगठनों-यूनियनों का साझा मंच मासा के हिस्से के तौर पर सीएसटीयू इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर है।

सभा के दौरान जन विरोधी नीतियों पर रोक लगाने; मज़दूर विरोधी लेबर कोड व आम जन विरोधी तीन अपराधी क़ानूनों को तत्काल रद्द करने; ठेका-अस्थाई कामों पर रोक लगाने और सबको स्थाई काम और सम्मानजनक रोजगार देने; ओला-उबर-जमैटो आदि गईगी-प्लेटफ़ॉर्म वर्कर सहित असंगठित क्षेत्र के समस्त मज़दूरों को सम्मानजनक रोजगार, सामाजिक सुरक्षा, कर्मकार का दर्जा देने; निजीकरण पर रोक लगते हुए देश की सार्वजनिक संपत्तियों और उद्योगों को अडानियों-अम्बानियों को सौंपने के जारी खेल को बंद करने; शिक्षा-चिकित्सा जैसी बुनियादी चीजों को मेहनतकश जनता के लिए जनसुलभ बनाने आदि की मांग हुई।

साथ ही बीजेपी-आरएसएस के विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ मुखर आवाज बनाते हुए मेहनतकश जनता की संग्रामी एकता को मजबूत करने का संकल्प लिया गया।

एकता से गठित सीएसटीयू का पहला सम्मेलन, नए संघर्ष का आगाज
उल्लेखनीय है कि देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यरत एसडब्लूसीसी, एमएसके, एचपीईयू व एसजीयू की संग्रामी एकता से मज़दूर आंदोलन को सशक्त बनाने के लिए ‘सेंट्रल फॉर स्ट्रगलिंग ट्रेड यूनियंस’ सीएसटीयू का गठन हुआ है और इन चारों संगठनों की पहल पर कोलकाता में आयोजित प्रथम सम्मेलन की शुरुआत 7 दिसंबर को इस खुले सत्र के साथ हुई।

सम्मेलन के लिए पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों से लेकर दार्जिलिंग हिल्स, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों मज़दूर और मज़दूर प्रतिनिधि उपस्थित हुए।

मज़दूरों की हर जायज लड़ाई के प्रति संकल्पबद्ध सीएसटीयू संगठित-असंगठित सभी मज़दूरों के जुझारू, निरंतर और निर्णायक लड़ाई को आगे बढ़ाएगा। साथ ही मज़दूरों के सभी प्रकार के शोषण-दमन और अन्याय से मज़दूर वर्ग और सभी मेहनतकश जनता की पूर्ण मुक्ति के संघर्ष को मजबूत करने के लिए भी सक्रिय भागीदारी निभाएगा।

देश के विभिन्न हिस्सों से बिरादर संगठनों ने दिखाई एकजुटता
सीएसटीयू के इस खुले सत्र में मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के घटक संगठनों के अतिरिक्त अन्य भाईचारा संगठनों ने अपनी विरदारना एकजुटता प्रदर्शित की।
सभा को सीएसटीयू के कॉमरेड मुकुल, एनटीयूआई के महासचिव कॉमरेड गौतम मोदी, केएसएस कर्नाटक से कॉमरेड सुषमा, आईएफटीयू के महासचिव कॉमरेड टी श्रीनिवास, आईएफटीयू-सर्वहारा के महासचिव कॉमरेड कन्हाई बर्नवाल, एलजेएमयू (एसएस) से कॉमरेड सोमेन्दु गांगोली, टीयूसीआई के उपाध्यक्ष कॉमरेड अलीक चक्रबर्ती, आईएफटीयू (एसवी) के आंध्रप्रदेश अध्यक्ष कॉमरेड एस बाबू, बीएनएएसयू पटना से कॉमरेड जय प्रकाश, एमएसएस से कॉमरेड विभव, सीएसटीयू से कॉमरेड प्रेमानन्द डॉन, एसजीयू दिल्ली (सीएसटीयू) से कॉमरेड अनीता व एचपीईयू दार्जिलिंग हिल्स (सीएसटीयू) से कॉमरेड सुमेन्द्र तामाङ ने संबोधित किया।

इसके साथ ही उपस्थित ना हो पाने के कारण विभिन्न बिरादर संगठनों- इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र, जन संघर्ष मंच हरियाणा तथा कारखाना मज़दूर यूनियन व टेक्सटाइल-हौजरी कामगार यूनियन द्वारा भेजे गए विरादराना संदेशों को भी पढ़ा गया।
कार्यक्रम का संचालन कॉमरेड अमिताभ भट्टाचार्य ने किया।

रैली के दौरान लगाए गए नारे-
रैली और सभा के दौरान ‘मज़दूरों का शोषण-दमन बंद करो’; ‘मज़दूरों का स्वतंत्र, जुझारू संघर्ष आगे बढ़ाना होगा’; ‘मज़दूरों का निरंतर-जुझारू संघर्ष आगे बढ़ाओ’; ‘CSTU का प्रथम सम्मेलन सफल बनाओ’; ‘मज़दूर आन्दोलन के समझौतावाद-समर्पणवाद का विरोध करो’; ‘मज़दूर विरोधी लेबर कोड रद्द करो’; ‘मज़दूर हित में श्रम कानून बदलना होगा’’ ‘रेल, बीमा, कोल, भेल आदि का निजीकरण बंद करो’; ‘न्यूनतम वेतन रुपए 26 हजार घोषित करना होगा’; ‘ठेका प्रथा, नीम ट्रेनी बंद करो’; ‘स्थाई काम पर स्थाई रोजगार की गारंटी दो’; ‘छंटनी-बंदी-बर्खास्तगी का धंधा बंद करो’; ‘बंद चाय बागानों को चालू करो, बकाया वेतन-बोनस का भुगतान करो’; ‘घरेलू कामगारों सम्मानजनक ज़िंदगी, सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दो’; ‘सभी मज़दूरों को सामाजिक सुरक्षा, आवास, चिकित्सा, रोजगार की गारंटी दो’; ‘समान काम पर समान वेतन देना होगा’; ‘महिला श्रमिकों के यौन उत्पीड़न और भेदभाव पर रोक लगाओ’; ‘धर्म-जाति के नाम पर बँटाने की साजिश बंद करो’; ‘सांप्रदायिक-फासीवाद का नाश हो’; ‘मज़दूरों का दमन बंद करो’; ‘महँगाई-बेरोजगारी पर रोक लगाओ’; ‘CSTU का आह्वान- जारी रखना है संग्राम’; ‘मज़दूरों की संग्रामी एकता ज़िन्दाबाद’; ‘CSTU ज़िन्दाबाद’; ‘दुनिया के मज़दूरों एक हो’; ‘लूट-पाट, मुनाफाखोरी नहीं चलेगी!’ आदि नारों से माहौल गुंजायमान रहा।