नहीं सुन रही है देश की हठधर्मी सरकार और जारी है औरतों का इंकलाब

संविधान के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को बचाने में जुटी है महिलाएं
दिसम्बर 2019 से पूरे देश में एक बडा आन्दोलन चल रहा है और वो भी महिलाओं के नेतृत्व में। माना जा रहा है कि अंग्रेजों के खिलाफ हुए आजादी के संघर्ष के बाद पहली बार देश में इतनी महिलाएं सड़क पर उतरी हैं। अपनी जान को दांव पर लगाकर कर इस कड़कडाती ठंड में सरकार को चुनौती दे रही हैं। दिल्ली, अहमदाबाद, पटना, कलकत्ता, लखनऊ, इलाहाबाद जैसे कई शहरों में यह आन्दोलन चल रहा है।
दिनांक 20 जनवरी को केवल दिल्ली में 6 जगहों पर अनिश्चितकाल के लिए महिलाएं सड़क पर थी – दिन रात लोग सड़क पर पंडाल के नीचे सो रहे हैं। अपने खाना पीना लंगर से खा रहे हैं। बच्चे, बूढ़े सभी सडकों पर हैं। सभी सीएए के खिलाफ हैं। गौरतलब है कि अल्पसंख्यको को नागरिकता देने के नाम पर मोदी-शाह अपने हिंदुत्व की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं।
सबसे पहले तो दिसंबर 16 के दिन दिल्ली के शाहीन बाग में महिलाएं NH-24 का घेराव करके बैठी हैं। जामिया में छात्रों पर हमला होने के बाद, वहाँ इलाकाई स्तर पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करते हुए महिलाएं उस दिन कड़ी ठंड में बाहर रास्ते पर धरने पर बैठ गई। तबसे अब तक आज एक महीने से ऊपर हो गया। शाहीन बाग की महिलाएं देश और संविधान को बचाने की इस मुहीम को नेतृत्व दे रही हैं। 2000 महिलाएं दिन रात वहीं सड़क पर हैं – उसमें से कुछ लोग दिहाड़ी पर काम करते हैं। वो दिन में काम भी कर रहे हैं, और फिर शाम-रात को सड़क पर धरने में शामिल होते हैं। खाना- पीना, शौच, इत्यादि सब कुछ वहीं करते हैं।
ज्यादातर महिलाएं यह पहला अनुभव है – जैसे रात को सड़क पर सोना, उनका कहना है कि त्योहारों में भी वे इतनी रात को कभी बाहर नहीं निकली । पहली बार घर की जिम्मेदारियों के बोझ को पीछे छोडकर वो राजनीतिक आन्दोलन में हिस्सा ले रही हैं। और यह बस शाहीन बाग में नहीं है, जहाँ महिलाएं इस आन्दोलन को आगे बढ़कर नेतृत्व दे रही हैं। वो आज सीलमपुर में, पार्क सर्कस में, पटना में, उत्तर प्रदेश के लखनऊ में भी बैठी हैं, जहां योगी के पुलिस राज के सबसे खतरनाक दमन के बावजूद महिलाएं आज भी घंटाघर पर बैठी हैं – उनका कहना है कि जब तक सीएए कानून को वापस नहीं लिया जाएगा, तब तक वो वहीं बैठेंगी।
इसके साथ साथ असम की महिलाएं भी बड़े पैमाने में इस आन्दोलन को नेतृत्व दे रही हैं। वहाँ की सरकार द्वारा अखिल गोगोई नाम के प्रगतिशील जन नेता के ऊपर न्।च्। कानून लगाकर उनके संगठन का दमन किया जा रहा है, जिसके खिलाफ उनकी माँ, प्रियादा गोगोई अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल पर बैठे गईं हैं। दिल्ली के लाजपत नगर में दो लड़कियों ने अमित शाह के जन सम्पर्क अभियान के दौरान अपने घर के छत से सीएए विरोधी बैनर दिखाया – उनका यह कहना था कि हमने इतनी जगह विरोध प्रदर्शन किया पर अमित शाह या मोदी कोई भी बातचीत करने को तैयार नहीं हैं। जब देश के इतने नागरिक इसका विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तो इसी सन्दर्भ में उन्होंने भी अपने मौलिक अधिकार का इस्तेमाल किया। भाजपा के कार्यकर्ता उनके साथ गाली गलौज की और उन लड़कियों के घर में घुसने की कोशिश की। उन्हें डराया धमकाया और मकान मालिक पर दबाव देकर उनको घर से बाहर निकलवा दिया।
इतने सारे खतरे मोल लेकर महिलाएं आज भारत के आजादी के संघर्ष के अहम पहलुओं को बचाने के लिए सड़कों पर उतरी हैं। वो संविधान में लिखे हुए धर्मनिरपेक्षता की भावना और संविधान के दिए हुए समानता के हक को बचाने की लड़ाई लड़ रही हैं। महिलाओं की एक बड़ी आबादी के पास कागज नहीं होता है, क्योंकि हमारे देश में पिछड़ी सोच की वजह से महिलाओं के साथ जन्म से भेदभाव होता है, उन्हें स्कूल नहीं भेजा जाता है, या पैतृक संपत्ति भी नहीं दी जाती है। असम में हमने यही देखा कि एनआरसी में जिनका नाम छूटा हैं, उनमें महिलाएं ज्यादा हैं – क्योंकि हमारेे समाज का पितृसत्तात्मक सोच उनको दरकिनार करता आया है।
लेकिन महिलाएं सड़क पर इसलिए नहीं हैं कि उनको कुछ दिक्कत हो जाएगी। वास्तविकता यह है कि वे अल्पसंख्यक समुदाय के ऊपर बढ़ते हुए जुल्म और अत्याचार के खिलाफ आज सड़कों पर है। वे इसलिए बाहर निकली हैं, क्योंकि बिस्मिल-अशफाक और भगत सिंह ने जिस आजादी का सपना देखा था, वो आज खतरे में हैं। हर न्याय पसंद इंसान को सीएए विरोधी आन्दोलन में महिलाओं के साथ खड़ा होना चाहिए – यह संघर्ष इस आजाद देश को तोड़ने मरोड़ने की आरएसएस की साजिश का खुलासा करता है।
नीचे लिखे जगहों पर नागरिकता कानून के विरोध में 24 घंटे धरना और प्रदर्शन चल रहा है।
शाहीन बाग़, दिल्ली
जामिया, दिल्ली
आराम पार्क, ख़ुरेज़ी, दिल्ली
सीलमपुर फ्रूट मार्केट, दिल्ली
मुस्तफाबाद, दिल्ली
जामा मस्जिद, दिल्ली
तुर्कमान गेट, दिल्ली
सब्ज़ी बाग़, पटना, बिहार
शांति बाग़, गया, बिहार
मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार
अररिया, सीमांचल बिहार
बेगूसराय, बिहार
पकरीबरावां, नवादा, बिहार
मज़ार चौक, चूड़ीपट्टी,
किशनगंज, बिहार
मुग़लाख़ार, अंसारनगर, नवादा, बिहार
मधुबनी, बिहार
सीतामढ़ी, आज़ाद चौक,
मेहसौल, बिहार
अम्बेडकर पार्क, सिवान, बिहार
अम्बेडकर चौक, गोपालगंज, बिहार
धुले, नांदेड, हिंगोली, प्रमाणि, अकोला, महाराष्ट्र
कोंडवा, पुणे, सत्यानंद हॉस्पिटल, महाराष्ट्र
सर्कस पार्क, कोलकाता
क़ाज़ी नज़रुल बाग़, आसनसोल, पश्चिम बंगाल
इस्लामिया मैदान, बरेली, उत्तरप्रदेश
रोशन बाग़, इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश
मंसूर पार्क, इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश
मोहम्मद अली पार्क, कानपुर, उत्तरप्रदेश
शास्त्री चौराहा, इटावा, उत्तर प्रदेश
घण्टाघर, लखनऊ, उत्तरप्रदेश
अल्बर्ट हॉल, रामनिवास बाग़, जयपुर, राजस्थान
कोटा, राजस्थान
इक़बाल मैदान, भोपाल, मध्यप्रदेश
जामा मस्जिद ग्राउंड, बड़वाली चौकी, इंदौर
माणिक बाग़, इंदौर
अहमदाबाद, गुजरात
मैंगलोर, कर्नाटक